उत्तर प्रदेश: अंसल की संपत्तियों पर गृहकर वसूली शुरू, छह हजार संपत्तियों से 50 करोड़ का टैक्स
लखनऊ, 11 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अंसल प्रॉपर्टीज की आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों पर अब गृहकर वसूली का शिकंजा कस गया है। हाईटेक और इंटीग्रेटेड टाउनशिप से जुड़ी संशोधित नियमावली को राज्य कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद नगर निगम ने करीब छह हजार संपत्तियों पर लगभग 50 करोड़ रुपये का गृहकर लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह फैसला दिसंबर 2020 से लागू होगा, जिसके तहत अंसल समूह की संपत्तियों को गृहकर के दायरे में लाया गया है। इस कदम से न केवल नगर निगम की आय में वृद्धि होगी, बल्कि शहर के बुनियादी ढांचे के विकास को भी गति मिलेगी।
अंसल प्रॉपर्टीज ने लखनऊ में सुशांत गोल्फ सिटी और अन्य टाउनशिप परियोजनाओं के तहत हजारों आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियां विकसित की हैं। इनमें फ्लैट, विला, दुकानें, और ऑफिस स्पेस शामिल हैं। लंबे समय तक इन संपत्तियों को गृहकर के दायरे से बाहर रखा गया था, जिसके कारण नगर निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा था। स्थानीय लोगों और अन्य करदाताओं ने इस असमानता पर सवाल उठाए थे, क्योंकि सामान्य संपत्तियों पर गृहकर वसूला जाता रहा, जबकि बड़े डेवलपर्स की संपत्तियां इससे छूट प्राप्त थीं।
इसके जवाब में राज्य सरकार ने हाईटेक टाउनशिप नियमावली में संशोधन किया, जिसे हाल ही में कैबिनेट ने मंजूरी दी। इस संशोधन के तहत अंसल समूह की संपत्तियों को अब नगर निगम के गृहकर के अंतर्गत लाया गया है। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और सभी संपत्तियों पर एकसमान कर प्रणाली लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
छह हजार संपत्तियों पर टैक्स
नगर निगम के अनुमान के अनुसार, अंसल प्रॉपर्टीज की करीब छह हजार संपत्तियां गृहकर के दायरे में आएंगी। इनमें सुशांत गोल्फ सिटी और अन्य परियोजनाओं में स्थित फ्लैट, स्वतंत्र मकान, और व्यावसायिक प्रतिष्ठान शामिल हैं। इन संपत्तियों से लगभग 50 करोड़ रुपये का गृहकर वसूलने का लक्ष्य रखा गया है। गृहकर की गणना संपत्ति के आकार, प्रकार (आवासीय या व्यावसायिक), और स्थान के आधार पर की जाएगी।
नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमने सभी संपत्तियों का सर्वे पूरा कर लिया है। प्रत्येक संपत्ति के मालिक को नोटिस भेजा जाएगा, जिसमें गृहकर की राशि और भुगतान की अंतिम तिथि का उल्लेख होगा। टैक्स जमा न करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।” व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को विशेष रूप से गृहकर जमा करने के लिए अनिवार्य किया गया है, ताकि राजस्व में कोई कमी न रहे।

नियमावली में बदलाव
हाईटेक और इंटीग्रेटेड टाउनशिप नियमावली में किए गए संशोधन ने गृहकर वसूली का रास्ता साफ किया है। पहले इन टाउनशिप को विशेष छूट प्राप्त थी, क्योंकि इन्हें स्वायत्त रूप से संचालित होने वाली इकाइयों के रूप में देखा जाता था। हालांकि, अब सरकार ने स्पष्ट किया है कि नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाली सभी संपत्तियां गृहकर के लिए उत्तरदायी होंगी। यह नियम दिसंबर 2020 से रेट्रोस्पेक्टिव प्रभाव के साथ लागू होगा, जिसका मतलब है कि पिछले कुछ वर्षों का बकाया भी वसूला जा सकता है।
इसके लिए नगर निगम ने एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया है, जहां संपत्ति मालिक अपनी गृहकर की स्थिति देख सकते हैं, बकाया राशि की जानकारी ले सकते हैं, और ऑनलाइन भुगतान कर सकते हैं। इस डिजिटल पहल का उद्देश्य प्रक्रिया को पारदर्शी और सुगम बनाना है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
इस फैसले का स्थानीय लोगों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। सुशांत गोल्फ सिटी के एक निवासी राकेश वर्मा ने कहा, “यह अच्छा कदम है, क्योंकि सभी को समान रूप से टैक्स देना चाहिए। लेकिन गृहकर की राशि को पारदर्शी तरीके से तय करना चाहिए, ताकि लोगों पर अनावश्यक बोझ न पड़े।” वहीं, कुछ निवासियों ने चिंता जताई कि गृहकर के साथ-साथ टाउनशिप की मेंटेनेंस फीस पहले से ही अधिक है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ सकता है।
एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान के मालिक ने कहा, “हमें पहले से ही कई तरह के टैक्स देने पड़ते हैं। अब गृहकर का अतिरिक्त बोझ हमारी कमाई को और प्रभावित करेगा। सरकार को छोटे व्यवसायियों के लिए कुछ राहत देनी चाहिए।”
नगर निगम की रणनीति
नगर निगम ने गृहकर वसूली के लिए एक व्यापक रणनीति बनाई है। सबसे पहले, सभी छह हजार संपत्तियों की सूची तैयार की गई है, जिसमें प्रत्येक संपत्ति का विवरण जैसे मालिक का नाम, संपत्ति का प्रकार, और क्षेत्रफल शामिल है। इसके बाद, प्रत्येक मालिक को गृहकर का नोटिस भेजा जाएगा। भुगतान की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प उपलब्ध होंगे।
नगर निगम ने यह भी स्पष्ट किया है कि समय पर गृहकर जमा करने वालों को कुछ छूट दी जा सकती है, जबकि बकाया रखने वालों पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एक अधिकारी ने बताया, “हमारा लक्ष्य राजस्व बढ़ाना है, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि प्रक्रिया में कोई अनियमितता न हो।”
शहर के विकास पर प्रभाव
इस गृहकर वसूली से नगर निगम को मिलने वाले 50 करोड़ रुपये का उपयोग शहर के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में किया जाएगा। इसमें सड़क निर्माण, जल निकासी व्यवस्था, स्ट्रीट लाइटिंग, और स्वच्छता जैसी परियोजनाएं शामिल हैं। खासकर हाल ही में बेमौसम बारिश के कारण हुए जलभराव ने शहर की जल निकासी व्यवस्था की कमियों को उजागर किया था। इस अतिरिक्त राजस्व से ऐसी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलेगी।
भविष्य की संभावनाएं
यह कदम न केवल लखनऊ, बल्कि उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है। नोएडा, गाजियाबाद, और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों में भी बड़े डेवलपर्स की टाउनशिप पर गृहकर वसूली को लेकर चर्चा चल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल नगर निगमों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी, बल्कि शहरों में समान कर प्रणाली लागू करने में भी मदद मिलेगी।
