• April 19, 2025

दुनिया के हालात बदलेंगे यूपी के डिफेंस सेक्टर की तस्वीर: 25 हजार करोड़ के रक्षा उत्पादों का होगा निर्यात

लखनऊ, 16 अप्रैल 2025:त्तर प्रदेश, जो कभी अपनी कृषि और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता था, अब वैश्विक रक्षा उद्योग के मानचित्र पर एक नया अध्याय लिख रहा है। यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (UPDIC) के माध्यम से राज्य रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और निर्यात के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। हाल ही में, उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) ने घोषणा की कि यूपी के डिफेंस सेक्टर से 25 हजार करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादों का निर्यात किया जाएगा। यह उपलब्धि केवल उत्तर प्रदेश की औद्योगिक क्षमता को दर्शाती है, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में भारत की बढ़ती साख को भी रेखांकित करती है।
यूपी डिफेंस कॉरिडोर: एक क्रांतिकारी पहल
यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना 2018 में केंद्र सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत की गई थी। यह कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के छह प्रमुख नोड्स—लखनऊ, कानपुर, झांसी, अलीगढ़, चित्रकूट और गरा—में फैला हुआ है। इसका उद्देश्य रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना, आयात पर निर्भरता कम करना और वैश्विक बाजार में भारतीय रक्षा उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ाना है। यूपीडा के अधिकारियों के अनुसार, अब तक कॉरिडोर में 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित किया जा चुका है, जिसमें 154 मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoUs) शामिल हैं। इनमें से 129 औद्योगिक और 25 संस्थागत समझौते हैं।
कॉरिडोर में अब तक 1600 हेक्टेयर से अधिक भूमि अधिग्रहित की गई है, जिसमें से 700 हेक्टेयर से अधिक 42 औद्योगिक समूहों को आवंटित हो चुकी है। इन समूहों ने करीब 8 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है। झांसी नोड में सबसे अधिक भूमि (1000 हेक्टेयर से अधिक) अधिग्रहित की गई है, जबकि अलीगढ़ में 23 उद्योग समूहों को भू-आवंटन हो चुका है। यह कॉरिडोर केवल रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि हजारों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित कर रहा है।
25 हजार करोड़ का निर्यात लक्ष्य: वैश्विक बाजार में यूपी की धमक
वैश्विक रक्षा बाजार में बढ़ती मांग और देशों के आत्मनिर्भर बनने की प्रवृत्ति ने रक्षा क्षेत्र को सात गुना विस्तार दिया है। यूपी डिफेंस कॉरिडोर इस अवसर का लाभ उठाने के लिए पूरी तरह तैयार है। यूपीडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “दुनिया भर में रक्षा उत्पादों की मांग बढ़ रही है, और यूपी का डिफेंस कॉरिडोर वैश्विक निर्यात बाजार में एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। हमारा लक्ष्य 25 हजार करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादों का निर्यात करना है, जिसमें हथियार, गोला-बारूद, उपकरण और अन्य सैन्य सामग्री शामिल हैं।”
यह उपलब्धि उत्तर प्रदेश के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। रक्षा उत्पादों का निर्यात केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में कहा था कि भारत का रक्षा निर्यात 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.04% अधिक है। यूपी का योगदान इस राष्ट्रीय उपलब्धि में महत्वपूर्ण है।

रक्षा उत्पादन में यूपी की बढ़ती भूमिका
उत्तर प्रदेश का डिफेंस सेक्टर केवल निर्यात तक सीमित नहीं है; यह स्वदेशी रक्षा उत्पादन में भी अग्रणी बन रहा है। कॉरिडोर में छोटे हथियारों से लेकर मिसाइल सिस्टम, ड्रोन, और बख्तरबंद वाहनों तक का उत्पादन हो रहा है। रक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई ‘पॉजिटिव इंडिजिनाइजेशन लिस्ट’ के तहत 5000 से अधिक आयातित रक्षा सामग्रियों पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा मिला है।
यूपी के डिफेंस कॉरिडोर में निजी क्षेत्र की कंपनियां और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (DPSUs) दोनों सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं। डीपीएसयू ने 2024-25 में 42.85% की वृद्धि के साथ 8,389 करोड़ रुपये का निर्यात किया, जबकि निजी क्षेत्र ने 15,233 करोड़ रुपये का योगदान दिया। इसके अलावा, कॉरिडोर में स्थापित होने वाली नई फैक्ट्रियां और अनुसंधान केंद्र तकनीकी नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
यूपी डिफेंस कॉरिडोर का प्रभाव केवल आर्थिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है; यह सामाजिक और क्षेत्रीय विकास में भी योगदान दे रहा है। कॉरिडोर के छह नोड्स में फैक्ट्रियों और औद्योगिक इकाइयों की स्थापना से स्थानीय समुदायों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। यूपीडा के अनुसार, कॉरिडोर से हजारों युवाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
इसके अलावा, रक्षा क्षेत्र में निवेश से उत्तर प्रदेश की औद्योगिक बुनियादी ढांचे में सुधार हो रहा है। इन्वेस्ट यूपी 2.0 पहल के तहत 2024-25 में 3318 नई फैक्ट्रियां पंजीकृत हुई हैं, जिनमें से कई रक्षा क्षेत्र से संबंधित हैं। यह औद्योगिक विकास राज्य के सकल मूल्य वर्धन (GVA) को बढ़ा रहा है, जो 2022-23 में 1.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
वैश्विक रक्षा बाजार में भारत की स्थिति
भारत का रक्षा निर्यात पिछले एक दशक में 31 गुना बढ़ा है, और यूपी इस वृद्धि का एक प्रमुख केंद्र बन रहा है। 2023-24 में भारत ने 90 से अधिक देशों को रक्षा उत्पाद निर्यात किए, जिनमें अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया शीर्ष गंतव्य थे। यूपी के डिफेंस कॉरिडोर से निर्यात होने वाले उत्पादों में डोर्नियर-228 विमान, ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम, और पिनाका रॉकेट जैसे उन्नत सैन्य उपकरण शामिल हैं।
रक्षा मंत्रालय ने 2029 तक 50 हजार करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है, और यूपी इस लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। वैश्विक रक्षा बाजार में भारत की बढ़ती हिस्सेदारी केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भू-राजनीतिक स्तर पर भी भारत को एक विश्वसनीय रक्षा भागीदार के रूप में स्थापित कर रहा है।
चुनौतियां और भविष्य की राह
हालांकि यूपी डिफेंस कॉरिडोर ने उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन कुछ चुनौतियां अभी भी बाकी हैं। भू-अधिग्रहण, विशेष रूप से आगरा नोड में, एक प्रमुख मुद्दा है। इसके अलावा, तकनीकी नवाचार और वैश्विक मानकों के अनुरूप उत्पादन को बढ़ाने के लिए और निवेश की आवश्यकता है।
फिर भी, उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की नीतिगत पहल इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध हैं। रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए ग्रीन चैनल स्टेटस पॉलिसी और ऑनलाइन निर्यात प्राधिकरण पोर्टल जैसे कदम उठाए गए हैं।
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