फास्ट फूड का घातक शौक: अमरोहा की 16 वर्षीय छात्रा की मौत, आंतों में छेद और हार्ट फेलियर ने छीनी जिंदगी
अमरोहा: उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जो आधुनिक जीवनशैली और खान-पान की आदतों पर एक गंभीर चेतावनी है। लगातार फास्ट फूड के सेवन ने 11वीं कक्षा की एक होनहार छात्रा की जान ले ली है। चाऊमीन, पिज्जा, बर्गर और मैगी जैसे जंक फूड के प्रति अत्यधिक शौक छात्रा की आंतों के लिए घातक साबित हुआ, जिससे अंततः उसकी मृत्यु हो गई। यह घटना न केवल एक परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि उन तमाम युवाओं और अभिभावकों के लिए एक सबक भी है जो स्वाद के चक्कर में सेहत को नजरअंदाज कर रहे हैं।
शौक जो बन गया जानलेवा: अहाना की कहानी
अमरोहा नगर के मोहल्ला अफगानान निवासी किसान मंसूर खान की 16 वर्षीय पुत्री अहाना शहर के हाशमी गर्ल्स इंटर कॉलेज में 11वीं की छात्रा थी। परिजनों के अनुसार, अहाना को बचपन से ही घर के सादे खाने के बजाय बाजार के चटपटे फास्ट फूड का बहुत शौक था। माता-पिता के मना करने के बावजूद वह अक्सर चाऊमीन, मैगी, पिज्जा और बर्गर का सेवन करती रहती थी। उसे अंदाजा नहीं था कि स्वाद की यह लत उसके भीतर एक भयानक बीमारी को जन्म दे रही है। सितंबर महीने से उसकी तबीयत खराब होनी शुरू हुई, जिसे शुरुआत में सामान्य पेट दर्द समझा गया।
अस्पताल का संघर्ष और आंतों में मिले छेद
अहाना की स्थिति तब बिगड़ने लगी जब नवंबर के अंत में उसे पेट में असहनीय दर्द हुआ। 30 नवंबर को उसे मुरादाबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने जब गहन जांच और स्कैन किए, तो रिपोर्ट चौंकाने वाली थी। डॉक्टरों ने पाया कि अत्यधिक मैदे और मसालों के सेवन के कारण अहाना की आंतें आपस में चिपक गई थीं और उनमें छोटे-छोटे छेद हो गए थे। आंतों की यह स्थिति मेडिकल भाषा में काफी जटिल मानी जाती है। डॉक्टरों ने स्पष्ट रूप से परिजनों को बताया कि इस हालत का मुख्य कारण लंबे समय तक जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड का सेवन है। 3 दिसंबर की रात उसका एक बड़ा ऑपरेशन किया गया, जिसमें खराब हो चुकी आंतों को ठीक करने का प्रयास हुआ।
सुधार की उम्मीद और दिल्ली एम्स में दुखद अंत
ऑपरेशन के लगभग दस दिन बाद अहाना को अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी, लेकिन उसकी सेहत में अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा था। वह शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो गई थी। चार दिन पहले अचानक उसकी स्थिति फिर से बिगड़ गई, जिसके बाद परिजन उसे लेकर दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) पहुंचे। एम्स में इलाज के दौरान कुछ समय के लिए वह चलने-फिरने भी लगी थी और परिवार को उम्मीद थी कि अहाना जल्द स्वस्थ होकर घर लौटेगी। लेकिन रविवार की रात अचानक उसे दिल का दौरा (Heart Failure) पड़ा और डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। डॉक्टरों का मानना है कि आंतों के संक्रमण और सर्जरी के बाद शरीर में आई कमजोरी ने हृदय पर अत्यधिक दबाव डाला, जिससे हार्ट फेलियर हुआ।
विशेषज्ञों की चेतावनी: क्यों धीमा जहर है फास्ट फूड
अमरोहा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. एसपी सिंह और वरिष्ठ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. राजीव गुप्ता ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। विशेषज्ञों का कहना है कि फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड न केवल वजन बढ़ाते हैं, बल्कि शरीर के आंतरिक अंगों को धीरे-धीरे सड़ा देते हैं। पिज्जा, बर्गर और चाऊमीन में प्रयुक्त होने वाला मैदा आंतों की दीवारों पर चिपक जाता है, जिससे पाचन तंत्र बाधित होता है। लगातार ऐसा होने से आंतों में घाव या छेद (Perforation) हो सकते हैं। इसके अलावा, स्ट्रीट वेंडर द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले खराब गुणवत्ता के तेल और सिंथेटिक मसाले लिवर को डैमेज कर देते हैं, जिससे कम उम्र में ही फैटी लिवर और सिरोसिस जैसी बीमारियां हो रही हैं।
जंक फूड का स्वास्थ्य पर चौतरफा हमला
चिकित्सकों के अनुसार, फास्ट फूड का सेवन केवल मोटापे तक सीमित नहीं है। इसमें उच्च मात्रा में कैलोरी, फैट और कोलेस्ट्रॉल होता है, जो दिल की नसों को ब्लॉक कर सकता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, फाइबर की कमी के कारण यह कब्ज, एसिडिटी और गैस का कारण बनता है। मीठे पेय पदार्थ और तले-भुने भोजन से इंसुलिन का संतुलन बिगड़ता है, जिससे टीनएजर्स में टाइप-2 डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। शारीरिक नुकसान के अलावा, यह मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है; अधिक जंक फूड खाने से चिड़चिड़ापन, तनाव और एकाग्रता की कमी जैसी समस्याएं देखी गई हैं।
युवाओं में बढ़ता क्रेज और अभिभावकों की जिम्मेदारी
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में दाल-रोटी और पारंपरिक भोजन से युवाओं का नाता टूटता जा रहा है। स्कूल-कॉलेजों के आसपास मिलने वाले मोमोज, फ्रेंच फ्राइज और कोल्ड ड्रिंक्स युवाओं की रोजमर्रा की डाइट का हिस्सा बन चुके हैं। डॉ. फाइक अली, आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी, कहते हैं कि अक्सर अभिभावक बच्चों की जिद के आगे झुक जाते हैं और उन्हें जंक फूड दिला देते हैं। स्ट्रीट फूड में साफ-सफाई का अभाव और घटिया मसालों का प्रयोग स्थिति को और भी गंभीर बना देता है। अहाना की मौत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जिसे हम ‘सिर्फ एक बार का शौक’ समझते हैं, वह शरीर के भीतर अल्सर और इन्फेक्शन का जाल बुन सकता है।
स्वस्थ जीवन के लिए क्या करें और किन चीजों से बचें
डॉक्टरों ने सलाह दी है कि यदि स्वस्थ रहना है, तो अपनी थाली में बदलाव करना अनिवार्य है। आहार में दाल, ताजी हरी सब्जियां, रोटी, चावल और सलाद को प्राथमिकता देनी चाहिए। यदि बच्चों को फास्ट फूड खाना ही है, तो बेहतर होगा कि उसे घर पर साफ-सुथरे तरीके से बनाया जाए। समोसे, कचोरी, चिप्स, सोडा और पैकेज्ड जूस जैसे पदार्थों को पूरी तरह से डाइट से बाहर करना ही बेहतर है। नियमित व्यायाम, भरपूर पानी और समय पर भोजन करना एक स्वस्थ जीवनशैली की बुनियाद है। स्ट्रीट स्टॉल पर मिलने वाले अत्यधिक मसालेदार और मैदा युक्त भोजन से दूरी बनाना अब पसंद नहीं बल्कि जरूरत बन गई है।
एक होनहार छात्रा की विदाई और समाज के लिए संदेश
अहाना की मौत के बाद उसके घर में मातम पसरा है। वह एक होनहार छात्रा थी और उसका भविष्य उज्ज्वल था, लेकिन एक गलत खान-पान की आदत ने सब कुछ खत्म कर दिया। उसके मामा गुलजार खान का कहना है कि वे कभी नहीं चाहते थे कि जो उनकी बेटी के साथ हुआ, वह किसी और के साथ हो। यह घटना समाज के लिए एक कड़ा संदेश है कि जीभ के स्वाद के लिए अपनी जान को जोखिम में न डालें। संतुलित आहार ही वह एकमात्र सुरक्षा कवच है जो हमें आधुनिक युग की इन जानलेवा बीमारियों से बचा सकता है।