• April 19, 2025

लखनऊ: भीषण सड़क हादसे में खत्म हो गया पूरा परिवार, शव घर लाए गए तो मचा कोहराम

लखनऊ, 14 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक परिवार के लिए यह आंबेडकर जयंती का दिन जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी लेकर आया। जयपुर के जमुआ रामगढ़ में हुए एक भीषण सड़क हादसे ने लखनऊ के एक परिवार की तीन पीढ़ियों को हमेशा के लिए छीन लिया। इस हादसे में एक ही परिवार के पांच लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जिसमें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, उनकी पत्नी, उनके माता-पिता और उनकी ढाई साल की मासूम बेटी शामिल हैं। यह परिवार खाटू श्याम मंदिर में दर्शन करने के लिए जा रहा था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। जब शव लखनऊ में उनके घर पहुंचे, तो पूरे मोहल्ले में कोहराम मच गया। पड़ोसियों और रिश्तेदारों की आंखों से आंसुओं का सैलाब थमने का नाम नहीं ले रहा था।
हादसे का भयावह मंजर
हादसा रविवार, 13 अप्रैल 2025 को जयपुर के जमुआ रामगढ़ में हुआ। पुलिस सूत्रों के अनुसार, लखनऊ के इस परिवार की कार गलत दिशा से आ रहे एक ट्रेलर से टकरा गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि कार पूरी तरह से चकनाचूर हो गई। हादसे में कार में सवार सभी पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों की पहचान सॉफ्टवेयर इंजीनियर अजय प्रताप सिंह (35), उनकी पत्नी रुचि सिंह (32), उनकी बेटी अनन्या (2.5 वर्ष), अजय के पिता रामेश्वर सिंह (60), और मां शांति देवी (58) के रूप में हुई है। यह परिवार लखनऊ के गोमती नगर क्षेत्र में रहता था और अपनी धार्मिक यात्रा के लिए उत्साह से भरा हुआ था।
जयपुर पुलिस ने बताया कि ट्रेलर चालक ने गलत दिशा में वाहन चलाकर इस हादसे को अंजाम दिया। हादसे के बाद चालक मौके से फरार हो गया, लेकिन पुलिस ने ट्रेलर को जब्त कर लिया है और चालक की तलाश में छापेमारी शुरू कर दी है। स्थानीय लोगों ने हादसे की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद बचाव दल मौके पर पहुंचा। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए जयपुर के एक अस्पताल में भेजा गया, जहां से उन्हें सोमवार सुबह लखनऊ लाया गया।
घर में मातम, मोहल्ले में सन्नाटा
जब शवों को लखनऊ में गोमती नगर के उनके घर लाया गया, तो वहां का मंजर दिल दहला देने वाला था। परिवार का घर, जो कुछ दिन पहले तक हंसी-खुशी से गूंज रहा था, अब सिसकियों और चीखों से भर गया। अजय की मासूम बेटी अनन्या की तस्वीरें देखकर पड़ोसी और रिश्तेदार फूट-फूटकर रोने लगे। अनन्या की दादी शांति देवी की गोद में खेलने वाली वह छोटी सी बच्ची अब इस दुनिया में नहीं थी। अजय और रुचि, जो अपने करियर और परिवार के लिए मेहनत कर रहे थे, उनकी जिंदगी भी एक पल में खत्म हो गई।
पड़ोसियों ने बताया कि अजय एक मिलनसार और मददगार व्यक्ति थे। उनकी पत्नी रुचि एक गृहिणी थीं, जो अपनी बेटी के लिए सपने बुन रही थीं। रामेश्वर सिंह और शांति देवी मोहल्ले में अपनी सादगी और धार्मिक स्वभाव के लिए जाने जाते थे। इस परिवार की अचानक हुई इस क्षति ने पूरे क्षेत्र को सदमे में डाल दिया। एक पड़ोसी, श्याम लाल, ने रोते हुए कहा, “यह परिवार हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता था। भगवान को यह क्या मंजूर था कि एक साथ सबको ले लिया?”
परिवार की आखिरी यात्रा
सूचना मिलते ही रिश्तेदार और दोस्त गोमती नगर में परिवार के घर पहुंचने लगे। शवों को अंतिम संस्कार के लिए बैकुंठ धाम ले जाया गया, जहां सैकड़ों लोग इस परिवार को अंतिम विदाई देने पहुंचे। अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद लोगों की आंखें नम थीं। स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस दुखद घटना पर शोक व्यक्त किया। लखनऊ के मेयर और कई विधायकों ने परिवार के घर पहुंचकर शोक संवेदना प्रकट की।
पुलिस जांच और कानूनी कार्रवाई
जयपुर पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि ट्रेलर चालक की लापरवाही इस हादसे का मुख्य कारण थी। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधार पर जांच शुरू कर दी है। लखनऊ पुलिस भी इस मामले में जयपुर पुलिस के संपर्क में है और परिवार को न्याय दिलाने के लिए सहयोग कर रही है। लखनऊ के पुलिस आयुक्त ध्रुव कांत ठाकुर ने कहा, “यह एक दुखद घटना है। हम जयपुर पुलिस के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि दोषी को कड़ी सजा मिले।”
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इस हादसे पर गहरा दुख जताया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया पर शोक संदेश जारी करते हुए कहा, “जयपुर में हुए सड़क हादसे में लखनऊ के एक परिवार की मृत्यु अत्यंत दुखद है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवार के साथ हैं। सरकार इस दुख की घड़ी में उनके साथ खड़ी है।” सरकार ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा भी की है।
सड़क सुरक्षा पर सवाल
यह हादसा एक बार फिर सड़क सुरक्षा के मुद्दे को सामने लाता है। उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में सड़क हादसों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि गलत दिशा में वाहन चलाना, तेज रफ्तार, और यातायात नियमों की अनदेखी ऐसे हादसों के प्रमुख कारण हैं। इस हादसे ने सड़क सुरक्षा को लेकर लोगों में गुस्सा भी पैदा किया है। सामाजिक कार्यकर्ता अनिल मिश्रा ने कहा, “ऐसे हादसे तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक यातायात नियमों का सख्ती से पालन नहीं किया जाएगा। सरकार को चालकों के लिए प्रशिक्षण और सड़कों पर निगरानी बढ़ाने की जरूरत है।”
सामाजिक और भावनात्मक प्रभाव
इस हादसे का प्रभाव न केवल मृतक परिवार के रिश्तेदारों पर पड़ा है, बल्कि पूरे लखनऊ में लोगों के मन में डर और दुख व्याप्त है। सोशल मीडिया पर इस हादसे की तस्वीरें और खबरें वायरल हो रही हैं, जिनमें लोग इस परिवार के लिए दुआएं मांग रहे हैं। कई लोगों ने इस घटना को सड़क हादसों के बढ़ते खतरे का प्रतीक बताया है। एक यूजर ने लिखा, “एक पल में पूरा परिवार खत्म हो गया। यह कितना दुखद है कि हमारी सड़कें कितनी असुरक्षित हो गई हैं।”
आंबेडकर जयंती के बीच शोक की छाया
यह हादसा उस दिन हुआ, जब लखनऊ में आंबेडकर जयंती के आयोजन जोर-शोर से चल रहे थे। शहर में जहां लोग डॉ. बी.आर. आंबेडकर के विचारों और योगदान को याद कर रहे थे, वहीं इस परिवार की मौत की खबर ने उत्साह पर ग्रहण लगा दिया। कई सामाजिक संगठनों ने इस घटना पर शोक जताते हुए सड़क सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान चलाने की मांग की है।
भविष्य की चुनौतियां और सबक
यह हादसा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि सड़क सुरक्षा के लिए और क्या कदम उठाए जाने चाहिए। सरकार, पुलिस, और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी त्रासदियां दोबारा न हों। परिवार के पड़ोसियों ने मांग की है कि सड़कों पर सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए और ट्रक चालकों के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया को और सख्त किया जाए।
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