“लोकतंत्र बनाम माओवाद-थ्येन आनमन की विरासत का बोझ” विषय पर विचार गोष्ठी आज

 “लोकतंत्र बनाम माओवाद-थ्येन आनमन की विरासत का बोझ” विषय पर विचार गोष्ठी आज

लोकतंत्र बनाम माओवाद-थ्येन आनमन की विरासत का बोझ” विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन आज सोमवार को दोपहर 2.30 बजे से वृदांवन हॉल, छत्तीसगढ़ कॉलेज के पीछे, सिविल लाइन रायपुर में किया गया है। बस्तर शांति समिति के एमडी ठाकुर व राधेश्याम मरई के संयोजन में आयोजित इस विचार गोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रसिद्ध लेखक राजीव रंजन प्रसाद होंगे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री व गृहमंत्री विजय शर्मा रहेंगे ।

बस्तर शांति समिति ने विचार गोष्ठी के उक्त संदर्भित विषय के संबंध में ऐतिहासिक तथ्यों को भी साझा किया है। बस्तर शांति समिति ने कहा है कि चीन माओवाद का ध्वजवाहक देश है, जहां लौह आवरण में सिसकता लोकतंत्र है। एक ऐसा देश जहां माओ के सिद्धान्त की केंचुली ओढ़कर पूंजीवाद और बन्दूक की नली के भरोसे महाशक्ति बनकर येन केन प्रकारेण दुनिया पर राज करना एकमात्र लक्ष्य है। उस चीन की केंचुली उतरने और लोकतंत्र विरोधी विभत्स चेहरा का गवाह है बीजिंग का थ्येन आनमन चौक। चीन में लोकतंत्र के लिए हुई क्रांति और उसका बर्बरतापूर्वक दमन चक्र का रक्त रंजित इतिहास है थ्येन आनमन चौक

आधुनिक वैश्विक इतिहास के पन्ने पर दर्ज रक्त रंजित तारीख 4 जून 1989 को कम्युनिस्ट पार्टी के उदारवादी नेता हू याओबांग की मौत के विरोध में हजारों छात्र इस चौक पर प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुए थे। 30 वर्ष पूर्व 4 अप्रैल से 4 जून तक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करते हुए लोकतंत्र की मांग करने वाले छात्रों और नागरिकों पर चीनी सैनिकों ने क्रूरतापूर्वक गोलीबारी की थी। चीन की कम्युनिस्ट सरकार के दमन चक्र के लाल धब्बों को थ्येन आनमन चौक से कभी नहीं मिटाया जा सकता।

एक तरफ चीन के माओवाद के असल रूप का आईना दिखाता थ्येन आनमन चौक है, वहीं दूसरी ओर भारतीय गणतंत्र का लोकतंत्र है, जहां संविधान का राज है, अभिव्यक्ति की आजादी है, मौलिक अधिकारों का कवच है, जनता के प्रति जवाबदेही है, विकास के लिए प्रतिबद्ध सरकार है। यहां समस्याओं का समाधान बंदूक की गोलियों से नहीं, बल्कि विरोधी विचारों के सम्मान, संवाद, आपसी चर्चा बोलियों में है। वो जिसे माओवाद कहते हैं, वैसा आचरण में करते नहीं हैं। हम जो कहते हैं वो करते भी हैं। वहां छद्म माओवाद है।हमारे यहां प्रखर राष्ट्रवाद है। चीन में रहने वाले नहीं जानते कि लोकतंत्र क्या है। भारत में लोकतंत्र की बुनियाद है। विकास का परवाज है।

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