जानें कब है अपरा एकादशी, क्या है पूजा विधि…

धर्म डेस्क: हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का अपना एक अलग महत्त्व है | इस एकादशी को अपरा एकादशी भी जाता है। हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ माह पवित्र माना जाता है, ज्येष्ठ मास लगते ही मनुष्य को स्नान आदि करके शुद्ध रहना चाहिए। इंद्रियों को वश में कर काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या तथा द्वेष आदि का त्याग कर भगवान का स्मरण करना चाहिए,प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती हैं, परंतु जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। अपरा एकादशी को जलक्रीड़ा एकादशी, अचला एकादशी और भद्रकाली एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
आपको बता दें कि इस बार अपरा एकादशी 15 मई को मनाई जाएगी जो 15 मई को सुबह 02 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगी और 16 मई सुबह 01 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए अपरा एकादशी का व्रत 15 मई को रखा जायेगा |
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एकादशी व्रत पूजन विधि…
शारीरिक शुद्धता के साथ ही मन की पवित्रता का भी ध्यान रखना चाहिए, एकादशी के व्रत को विवाहित अथवा अविवाहित दोनों कर सकते हैं। एकादशी व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से ही शुरु हो जाता है। दशमी तिथि को सात्विक भोजन ग्रहण कर अगले दिन एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और शुद्ध जल से स्नान के बाद सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें पति पत्नी संयुक्त रूप से लक्ष्मीनारायण जी की उपासना करें, पूजा के कमरे या घर में किसी शुद्ध स्थान पर एक साफ चौकी पर श्रीगणेश, भगवान लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद पूरे कमरे में एवं चौकी पर गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।
