प्रकृति, शिव और समाज से जोड़ती है कांवड़ यात्रा
कांवड़ का अर्थ है परात्पर शिव के साथ विहार। अर्थात् ब्रह्म यानी परात्पर शिव, जो उनमें रमण करे वह कांवड़िया। प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में लाखों की तादाद में कांवड़िए दूर-दराज से आते हैं और अपने आसपास के स्थानों से गंगा जल भरते हैं, तत्पश्चात् पदयात्रा कर अपने-अपने स्थानों को वापस लौट जाते हैं। इसी यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है। फिर चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से अपने आसपास शिव मंदिरों में […]Read More