• March 13, 2025

Holi 2025: काशी में होली की धूम, रंग के साथ संगीत और ठंडाई का लुत्फ उठा रहे लोग; घाटों पर जमकर झूमे

12 मार्च 2025 होली का पर्व भारत में हर साल धूमधाम से मनाया जाता है, और इस बार भी काशी (वाराणसी) में होली की मस्ती और रंगों का रंगीन माहौल दिखाई दिया। काशी, जो अपने ऐतिहासिक घाटों, सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, इस बार भी होली के मौके पर लोगों से गुलजार रही। इस साल होली के उत्सव ने काशी के घाटों को और भी जीवंत बना दिया, जहां लोग रंगों के साथ संगीत और ठंडाई का आनंद लेते हुए जमकर झूमे।

काशी में रंगों का उत्सव

काशी में होली का पर्व एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आयोजन बन चुका है। शहर के घाटों पर होली के रंग बिखरे हुए थे, जहां लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हुए, ढोल-मंजीरे की धुनों पर नाचते-गाते हुए खुशी का इज़हार कर रहे थे। काशी के घाटों पर होली का उल्लास दोगुना था, क्योंकि यहां के लोग इस पर्व को अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के साथ मनाते हैं।

पवित्र गंगा नदी के किनारे होली खेलने का आनंद एक अलग ही अनुभव है। घाटों पर सजे हुए रंगों और नृत्य के साथ-साथ संगीत की धुनें गूंज रही थीं। हर कोई रंगों में सराबोर था और गंगा में डुबकी लगाने के बाद होली के रंगों में रंगने का आनंद ले रहा था।

संगीत, नृत्य और ठंडाई का संगम

काशी में होली का पर्व सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि संगीत और नृत्य का भी होता है। यहां के लोग पारंपरिक लोक संगीत के साथ-साथ बॉलीवुड गानों पर भी झूमते हैं। होली के इस मौके पर काशी के घाटों पर ढोल, मंजीरे और हारमोनियम की आवाजें गूंज रही थीं। नृत्य और संगीत का अद्भुत संगम बन रहा था, जिससे वातावरण में एक उत्सव का माहौल था।

इसके अलावा, ठंडाई का लुत्फ भी होली के इस मौके पर खास था। ठंडाई, जो इस पर्व की एक विशेष पेय है, यहां के लोग बड़ी श्रद्धा और उमंग के साथ पी रहे थे। कुछ स्थानों पर विशेष रूप से ठंडाई बनाने की दुकानों का भी आयोजन किया गया था, जहां लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ बैठकर ठंडाई का मजा ले रहे थे। ठंडाई के साथ यह होली और भी रंगीन और मस्ती से भरी हुई महसूस हो रही थी।

घाटों पर उत्सव की धूम

काशी के घाट, जो धार्मिक आस्था के प्रतीक माने जाते हैं, होली के दौरान सजे-धजे थे। दशाश्वमेध घाट, मणिकर्णिका घाट, अस्सी घाट और अन्य प्रमुख घाटों पर विशेष आयोजन हुए। यहां पर भक्तों ने गंगा आरती के बाद एक दूसरे पर रंग डाले और लोक गीतों पर थिरके। घाटों के किनारे बैठकर लोग मिलकर होली के गीत गा रहे थे, जिससे पूरे वातावरण में उल्लास का वातावरण था।

संस्कार और परंपरा का संगम

काशी में होली के इस आयोजन में न केवल रंगों और संगीत का आदान-प्रदान हो रहा था, बल्कि यहां की संस्कारों और परंपराओं का भी सुंदर संगम देखा गया। धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से काशी के लोग होली के इस पर्व को बहुत श्रद्धा से मनाते हैं। विशेष रूप से यहां के लोग होली के दिन एक-दूसरे को अच्छे विचारों, प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हुए होली खेलते हैं।

यहां की होली में धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है, जैसे गंगा आरती और मंत्रोच्चार, जिनसे काशी की सांस्कृतिक धरोहर को और भी ज्यादा प्रदर्शित किया जाता है।

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