Manish Sisodia Arrested : शराब घोटाला मामले में मनीष सिसोदिया गिरफ्तार, भाजपा मुख्यालय का घेराव करेंगे आप कार्यकर्ता
नई दिल्ली : दिल्ली के शराब घोटाला मामले में सीबीआई ने आठ घंटे की लंबी पूछताछ के बाद दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया है। सिसोदिया से इसके पहले भी सीबीआई कई बार पूछताछ कर चुकी है। अब इसको लेकर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी आमने-सामने हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुबह ही इस मसले पर ट्विट कर केंद्र सरकार पर हमला किया था।
आप कार्यकर्ता करेंगे भाजपा मुख्यालय पर प्रदर्शन
शराब घोटाले मामले में गिरफ्तार हुए दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के विरोध में आप कार्यकर्ता आज भाजपा मुख्यालय का घेराव कर प्रदर्शन शुरू करेंगी। इस प्रदर्शन की शुरुआत दोपहर 12 से की जाएगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह प्रदर्शन देश व्यापी स्तर पर होगा।
सीबीआई ने बताया क्यों हुई सिसोदिया की गिरफ्तारी ?
सीबीआई ने सिसोदिया की गिरफ्तारी की वजह का खुलासा करते हुए कहा कि, ”उन्होंने टालमटोल भरे जवाब दिए और जांच में सहयोग नहीं किया। इसीलिए उनको गिरफ्तार किया गया है। वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति बनाने और लागू करने तथा निजी व्यक्तियों को निविदा के बाद लाभ देने में कथित अनियमितताओं के संबंध में उपमुख्यमंत्री और प्रभारी आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया और 14 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।” आपको बता दें कि , सीबीआई ने 8 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया है। मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने आज पूछताछ के लिए बुलाया था। पुलिस ने काफी सुरक्षा इंतजाम कर रखे हैं। वहीं, आप के कई नेता इस पूरे वाकये को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर हैं।
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क्या हैं पूरा मामला ?
17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की थी। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं। नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं। नई पॉलिसी लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं। सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा।
सरकार ने लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी। जिस एल-1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख देना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये चुकाने पड़े। इसी तरह अन्य कैटेगिरी में भी लाइसेंस की फीस में काफी बढ़ोतरी हुई।