यूपी: प्रदेश में वाहन खरीदना होगा महंगा, 10 लाख की गाड़ी के लिए देने होंगे अतिरिक्त 10 हजार रुपये
लखनऊ, 9 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश में वाहन खरीदने की योजना बना रहे लोगों के लिए एक बुरी खबर है। राज्य सरकार ने वाहनों पर लगने वाले वन टाइम रोड टैक्स में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है, जिसके बाद अब नई बाइक और कार खरीदना महंगा हो जाएगा। इस फैसले के तहत 40 हजार रुपये से अधिक कीमत वाले वाहनों पर टैक्स में 1 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इसका असर यह होगा कि 10 लाख रुपये की कीमत वाली गाड़ी पर खरीदारों को अब अतिरिक्त 10 हजार रुपये चुकाने होंगे। यह नई दरें कैबिनेट की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी होने पर लागू होंगी।
कैबिनेट ने दी नई दरों को मंजूरी
उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने मंगलवार, 8 अप्रैल 2025 को हुई बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। इसके तहत वाहनों पर लगने वाले रोड टैक्स की स्लैब में बदलाव किया गया है। पहले जहां टैक्स की दरें 7 से 10 प्रतिशत के बीच थीं, अब ये बढ़कर 8 से 11 प्रतिशत हो गई हैं। हालांकि, 40 हजार रुपये से कम कीमत वाले दोपहिया वाहनों पर टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह फैसला राज्य के राजस्व को बढ़ाने और सड़क ढांचे के विकास के लिए लिया गया है।
टैक्स स्लैब में बदलाव का विवरण
नए नियमों के अनुसार, वाहनों की कीमत और प्रकार के आधार पर टैक्स की दरें इस प्रकार होंगी:
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10 लाख रुपये से कम कीमत वाली नॉन-एसी चार पहिया गाड़ियां: पहले 7% टैक्स लगता था, अब 8% लगेगा।
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10 लाख रुपये से कम कीमत वाली एसी गाड़ियां: पहले 8% टैक्स था, अब 9% होगा।
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10 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली गाड़ियां: पहले 10% टैक्स लागू था, अब 11% टैक्स देना होगा।
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40 हजार रुपये से अधिक कीमत वाले दोपहिया वाहन: इन पर भी 1% अतिरिक्त टैक्स लागू होगा।
इस तरह, एक 10 लाख रुपये की गाड़ी पर पहले 10% यानी 1 लाख रुपये टैक्स देना पड़ता था, लेकिन अब 11% के हिसाब से 1 लाख 10 हजार रुपये देने होंगे। यानी खरीदार को 10 हजार रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे।
लोगों पर क्या होगा असर?
इस टैक्स वृद्धि का सीधा असर वाहन खरीदारों की जेब पर पड़ेगा। खासकर मध्यम वर्ग और वे लोग जो नई कार या बाइक खरीदने की योजना बना रहे थे, उनके लिए यह फैसला झटका साबित हो सकता है। लखनऊ के रहने वाले अजय सिंह ने कहा, “पहले ही गाड़ियों की कीमतें आसमान छू रही हैं, अब टैक्स बढ़ने से और बोझ बढ़ेगा। सरकार को इस फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए।” वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि यह अतिरिक्त राजस्व सड़कों और बुनियादी ढांचे को बेहतर करने में मदद करेगा।
सरकार का तर्क
उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि यह टैक्स वृद्धि राज्य के विकास के लिए जरूरी है। परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “रोड टैक्स से मिलने वाली राशि का उपयोग सड़कों के रखरखाव, नई सड़कों के निर्माण और परिवहन सेवाओं को बेहतर करने में किया जाता है। यह बढ़ोतरी मामूली है और लंबे समय में लोगों को ही फायदा पहुंचाएगी।” सरकार का यह भी दावा है कि टैक्स की नई दरें अभी भी कई अन्य राज्यों की तुलना में कम हैं।

ऑटोमोबाइल सेक्टर पर प्रभाव
ऑटोमोबाइल डीलर्स और विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से वाहनों की बिक्री पर असर पड़ सकता है। एक कार डीलर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “अप्रैल का महीना वैसे भी बिक्री के लिए धीमा होता है। अब टैक्स बढ़ने से ग्राहक और पीछे हट सकते हैं।” हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रभाव短期 में ही रहेगा और लोग धीरे-धीरे इसकी आदत डाल लेंगे।
पहले से ही बढ़ रही हैं कीमतें
पिछले कुछ सालों में वाहनों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। कच्चे माल की लागत बढ़ने, सेमीकंडक्टर की कमी और महंगाई के कारण ऑटोमोबाइल कंपनियां पहले ही कीमतें बढ़ा चुकी हैं। अब रोड टैक्स में यह वृद्धि खरीदारों के लिए दोहरी मार साबित हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति 12 लाख रुपये की एक एसयूवी खरीदता है, तो उसे पहले 1.20 लाख रुपये टैक्स देना पड़ता था, लेकिन अब 1.32 लाख रुपये देने होंगे, यानी 12 हजार रुपये का अतिरिक्त बोझ।
अन्य राज्यों से तुलना
उत्तर प्रदेश में टैक्स की नई दरें लागू होने के बाद भी यह कई अन्य राज्यों की तुलना में प्रतिस्पर्धी मानी जा रही हैं। उदाहरण के लिए, कर्नाटक में रोड टैक्स की दर 14.43% तक है, जो देश में सबसे ज्यादा है। वहीं, दिल्ली में गाड़ियों की कीमत के आधार पर 12% तक टैक्स लगता है। इस लिहाज से यूपी में 11% की अधिकतम दर अभी भी मध्यम स्तर पर है।
वैकल्पिक उपायों की मांग
कई लोग सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने या वैकल्पिक उपाय अपनाने की मांग कर रहे हैं। कुछ का सुझाव है कि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर टैक्स में छूट को और बढ़ाया जाए, ताकि लोग पर्यावरण के अनुकूल विकल्प चुन सकें। गौरतलब है कि यूपी सरकार पहले ही ईवी पर रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क में छूट दे रही है, जो 2027 तक लागू रहेगी।
