गांधीनगर: साबरमती नदी किनारे 700 से अधिक अवैध निर्माणों पर चला बुलडोजर, प्रशासन की बड़ी कार्रवाई
गांधीनगर, 18 सितंबर 2025: गुजरात के गांधीनगर शहर में आज सुबह से एक बड़ी कार्रवाई शुरू हो गई है। साबरमती नदी के किनारे बने 700 से ज्यादा अवैध घरों और निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए प्रशासन ने बुलडोजर चला दिए हैं। यह कार्रवाई सरकारी जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए की जा रही है। स्थानीय लोगों में हड़कंप मच गया है, लेकिन भारी पुलिस बल की मौजूदगी के कारण कोई बड़ा हंगामा नहीं हुआ।सुबह करीब 8 बजे शुरू हुई इस कार्रवाई में जीईबी, पेठापूर और चरेदी जैसे इलाकों को निशाना बनाया गया है।
इन क्षेत्रों में साबरमती नदी के किनारे सरकारी जमीन पर बिना अनुमति के लोग घर बना चुके थे। जिला प्रशासन के मुताबिक, ये अवैध निर्माण नदी के प्रवाह को बाधित कर रहे थे और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे थे। इसलिए कई महीनों से नोटिस जारी किए जा रहे थे, लेकिन लोगों ने कार्रवाई न होने पर इन्हें नजरअंदाज कर दिया। अब आखिरकार प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है।कार्रवाई की अगुवाई कर रहे गांधीनगर जिला कलेक्टर ने बताया, “साबरमती नदी गुजरात की जीवन रेखा है। इसके किनारे अवैध निर्माण न केवल नदी के जल स्तर को प्रभावित करते हैं, बल्कि बाढ़ के समय खतरा भी बढ़ाते हैं। हमने 700 से अधिक निर्माणों की पहचान की है, जिनमें ज्यादातर झोपड़ियां और छोटे-मोटे मकान शामिल हैं। आज की कार्रवाई इनमें से सैकड़ों को ध्वस्त करने की है। बाकी का काम अगले कुछ दिनों में पूरा होगा।” कलेक्टर ने यह भी कहा कि प्रभावित परिवारों को वैकल्पिक जगह देने के लिए योजना बनाई जा रही है, लेकिन अवैध निर्माण पर कोई रहम नहीं होगा।कार्रवाई के दौरान भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
करीब 200 पुलिसकर्मी मौके पर तैनात थे। कुछ स्थानीय निवासियों ने विरोध की कोशिश की। वे चिल्ला रहे थे, “यह हमारा घर है, हम कहां जाएंगे?” लेकिन पुलिस ने शांतिपूर्वक उन्हें हटाया। एक बुजुर्ग महिला ने बताया, “हम गरीब हैं, नदी किनारे जगह मिली तो यहां बस गए। नोटिस तो आए थे, लेकिन हमने सोचा शायद कुछ न हो। अब सब बर्बाद हो गया।” वहीं, एक युवा ने कहा, “प्रशासन को पहले ही वैकल्पिक जमीन देनी चाहिए थी। अब तो हम सड़क पर आ गए।”साबरमती नदी गुजरात और राजस्थान से होकर बहती है। यह अहमदाबाद और गांधीनगर जैसे शहरों के लिए महत्वपूर्ण है। नदी के किनारे साबरमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट जैसी योजनाएं चल रही हैं, जो पर्यटन और विकास के लिए हैं। लेकिन अवैध निर्माणों ने इन योजनाओं को बाधित किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि नदी किनारे अतिक्रमण से प्रदूषण बढ़ता है और मछलियों व वन्यजीवों को खतरा होता है। पिछले साल भी इसी तरह की कार्रवाई हुई थी, जिसमें 200 से ज्यादा निर्माण हटाए गए थे।यह कार्रवाई गुजरात सरकार की अवैध निर्माणों के खिलाफ चल रही मुहिम का हिस्सा है।
राज्य भर में ऐसे कई इलाकों में बुलडोजर चले हैं। उदाहरण के लिए, सूरत और वडोदरा में भी नदी किनारे अतिक्रमण हटाए गए। सरकार का दावा है कि इससे सरकारी जमीन मुक्त हो रही है और विकास तेज होगा। लेकिन विपक्षी दल इसे गरीबों पर अत्याचार बता रहे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, “यह कार्रवाई तो ठीक है, लेकिन प्रभावित लोगों के लिए तुरंत पुनर्वास की व्यवस्था होनी चाहिए। वरना यह सिर्फ तोड़फोड़ बनकर रह जाएगी।”कार्रवाई जारी है और शाम तक करीब 300 निर्माण ध्वस्त हो चुके हैं। बाकी का काम कल से फिर शुरू होगा। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अवैध निर्माण न करें, वरना सख्त कार्रवाई होगी। प्रभावित परिवारों को राशन और अस्थायी आश्रय देने की योजना है। स्थानीय एनजीओ भी मदद के लिए आगे आए हैं।इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि विकास और गरीबों के अधिकारों के बीच संतुलन कैसे बने। साबरमती नदी की सुंदरता बरकरार रखने के लिए जरूरी है कि ऐसी कार्रवाइयां हों, लेकिन मानवीय पहलू को भी नजरअंदाज न किया जाए। गांधीनगर के निवासी अब इंतजार कर रहे हैं कि आगे क्या होता है।
