किश्तवाड़ में बादल फटने से तबाही: 70 मौतें, 200 से अधिक लापता, 4 मंदिर समेत पूरा गांव मलबे में दबा
लखनऊ /19 अगस्त 2025: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोटी गांव में 14 अगस्त 2025 को दोपहर 12:25 बजे बादल फटने से आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन ने भयावह तबाही मचाई। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 70 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 200 से अधिक लोग लापता हैं। चार मंदिर, 16 मकान, एक पुल, और कई वाहन मलबे में दब गए। मचैल माता यात्रा के दौरान यह हादसा हुआ, जब सैकड़ों श्रद्धालु और स्थानीय लोग मौके पर मौजूद थे। रेस्क्यू ऑपरेशन पांचवें दिन भी जारी है, लेकिन खराब मौसम और मलबे ने राहत कार्यों को मुश्किल बना दिया है।
घटना का विवरण
ख़बरों के मुताबिक चशोटी गांव, जो मचैल माता मंदिर यात्रा मार्ग का आखिरी मोटरेबल पड़ाव है, में 14 अगस्त को दोपहर बादल फटने से चिनाब नदी में उफान आ गया। चश्मदीद सलाहुल हसन, जो एक मिस्त्री हैं, ने बताया, “12:30 बजे के करीब तेज धमाका हुआ, और मलबा, मिट्टी, और पेड़ गांव की ओर बहने लगे। हम एक पुल पर काम कर रहे थे, जो मलबे ने तोड़ दिया। मैंने खुद एक मकान के नीचे से 10 शव निकाले। एक अन्य चश्मदीद विशाल मेहरा ने कहा, “हम मचैल यात्रा से लौट रहे थे। सेना के जवानों ने भागने को कहा, लेकिन मलबे में फंस गए। मेरी बहन और भतीजा अब भी लापता हैं।”
तबाही का मंजर, मौतें और लापता लोग
ख़बरों के मुताबिक अब तक 70 शव बरामद किए गए हैं, जिनमें दो CISF जवान और एक SPO शामिल हैं। 34 शवों की पहचान हो चुकी है। 200 से अधिक लोग लापता हैं, और स्थानीय लोग दावा कर रहे हैं कि घटना के समय 1,200 से 2,000 लोग मौके पर थे।
नुकसान: चार मंदिर, 16 मकान, चार पानी की चक्कियां, 30 मीटर लंबा पुल, और दर्जनों वाहन बाढ़ में बह गए। लंगर स्थल, बाजार, और सुरक्षा चौकी पूरी तरह नष्ट हो गए।
घायल: 100 से अधिक लोग घायल हैं, जिनमें 38 की हालत गंभीर है। गाजीपुर मेडिकल कॉलेज (GMC) में 75 लोगों का इलाज चल रहा है, जहां 24 का ऑपरेशन हुआ और एक की मौत हो गई।
रेस्क्यू ऑपरेशन
ख़बरों के मुताबिक भारतीय सेना, NDRF, SDRF, CISF, और जम्मू-कश्मीर पुलिस राहत कार्यों में जुटी है। 167 लोगों को अब तक सुरक्षित निकाला गया है, लेकिन खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पा रहे। 12 JCB मशीनें और श्वान दस्ते मलबा हटाने में लगे हैं। स्थानीय लोगों ने भी बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सोशल मीडिया के अनुसार एक 9 वर्षीय बच्ची देवांशी ने बताया, “मैं मलबे में फंस गई थी। चाचा और ग्रामीणों ने मुझे कई घंटों बाद बचाया। मम्मी-पापा अभी लापता हैं।”
प्रशासन और नेताओं की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 16 अगस्त को चशोटी पहुंचकर हालात का जायजा लिया। ख़बरों के मुताबिक उनका कहना है , “लापता लोगों की सटीक संख्या का आकलन मुश्किल है। हम हर संभव मदद कर रहे हैं। मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद क्या प्रशासन सतर्क था, इसकी जांच होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,पीएम ने उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल से बात कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि 67 घायल अस्पताल में हैं, और स्थानीय लोगों ने प्रथम प्रतिक्रिया दल के रूप में शानदार काम किया। विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने दावा किया कि 1,200 लोग घटनास्थल पर थे, और लापता लोगों की संख्या बढ़ सकती है।
निष्कर्ष
किश्तवाड़ के चशोटी गांव में बादल फटने से आई यह त्रासदी जम्मू-कश्मीर के इतिहास की सबसे भयावह आपदाओं में से एक है। चार मंदिरों और पूरे गांव के मलबे में दबने से सैकड़ों परिवार उजड़ गए। चश्मदीदों की आपबीती और मलबे में अपनों की तलाश कर रहे लोगों की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं। राहत कार्यों में तेजी लाने और लापता लोगों को खोजने के लिए प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में और बारिश की चेतावनी दी है, जिससे हालात और जटिल हो सकते हैं
