• October 18, 2025

दलाई लामा का संदेश, बोधिचित्त का अभ्यास जीवन को आनंदमय बनाता है

 दलाई लामा का संदेश, बोधिचित्त का अभ्यास जीवन को आनंदमय बनाता है

तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने कहा कि बोधिचित्त के अभ्यास से जीवन आनंदमय बनता है। वह बचपन से इस पर अध्ययन और इसका नियमित अभ्यास कर रहे हैं। इस कारण आज 88 वर्ष की उम्र में भी वह मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। उन्होंने यह संदेश आज (मंगलवार) सुबह सिक्किम की राजधानी गंगटोक के पाल्जोर स्टेडियम में आयोजित प्रवचन में दिया।

दलाई लामा के ‘बोधिसत्व के 37 अभ्यास’ विषय पर केंद्रित प्रवचन कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री प्रेमसिंह तमांग, मंत्री, विधायक, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और बड़ी संख्या में स्थानीय और दूसरे राज्यों के अनुयायी उपस्थित रहे। दलाई लामा ने सभी को जीवन में बोधिचित्त के नियमित अभ्यास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे मन शांत रहता है। शांत मन ही तन और मन को स्वस्थ रखता है। बोधिचित्त का अभ्यास पवित्र सोच है। यह सभी प्राणियों के प्रति कल्याण की भावना का संचार करता है।

उन्होंने कहा कि वह अपने दैनिक जीवन में बोधिचित्त को अपनाते हैं। धरती से लेकर आकाश तक सभी प्राणियों के हित और कल्याण के बारे में सोचते हैं। सभी लोगों के प्रति सद्भाव रखना, लड़ाई-झगडे न करना, समान व्यवहार करना, सभी के प्रति निष्पक्ष बनना ही बोधिचित्त का अभ्यास करना है। उल्लेखनीय है कि दलाई लामा चार दिवसीय दौरे पर कल सिक्किम पहुंचे। 14 दिसंबर को सिक्किम से उनकी वापसी है।

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Rama Niwash Pandey

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