• December 25, 2025

पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीजफायर: इस्तांबुल में सहमति, लेकिन TTP मुद्दे पर अनिश्चितता बरकरार

इस्लामाबाद, 31 अक्टूबर 2025: पाकिस्तान और अफगानिस्तान (तालिबान सरकार) के बीच सीमा पर तनाव कम करने की दिशा में अहम कदम उठा है। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की कि इस्तांबुल में मध्यस्थता वाली वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने अस्थायी सीजफायर बनाए रखने पर सहमत हुए हैं। 6 नवंबर को उच्च-स्तरीय बैठक में इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। यह फैसला चार दिवसीय बातचीत (25-30 अक्टूबर) के बाद आया, जो पहले विफल मानी जा रही थी। लेकिन TTP पर पाकिस्तान की मांग और काबुल का इनकार क्या शांति में बाधा बनेगा? आइए, तीन हिस्सों में समझते हैं।

इस्तांबुल वार्ता और सीजफायर की सहमति

तुर्की के विदेश मंत्रालय ने 30 अक्टूबर को संयुक्त बयान जारी कर कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्की और कतर की मध्यस्थता से वार्ता “उत्पादक” रही। दोनों पक्षों ने 19 अक्टूबर के दोहा सीजफायर को बनाए रखने पर सहमत हुए, जो इस महीने की शुरुआत में हुई गोलीबारी के बाद लागू हुआ था। उस गोलीबारी में दर्जनों सैनिक, नागरिक और आतंकवादी मारे गए थे। बयान में कहा गया, “सभी पक्ष एक निगरानी और सत्यापन तंत्र स्थापित करने पर सहमत हुए हैं, जो शांति सुनिश्चित करेगा और उल्लंघन पर जुर्माना लगाएगा।” 6 नवंबर को इस्तांबुल में अगली बैठक होगी। अफगान राज्य प्रसारक RTA ने भी सहमति की पुष्टि की। यह कदम सीमा पर तनाव कम करने का प्रयास है।

विफल वार्ता से नई शुरुआत तक

पिछला दौर (25-30 अक्टूबर) विफल होने के बाद जुबानी जंग हुई, लेकिन सीमा पर शांति रही। पाकिस्तानी सूत्रों ने दोष अफगानिस्तान पर डाला, जबकि तालिबान ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया। पाकिस्तान का मुख्य मुद्दा: अफगानिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) पर कार्रवाई। रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने Geo News को बताया कि तुर्की-कतर के अनुरोध पर “शांति को एक और मौका” दिया गया। प्रतिनिधिमंडल को इस्तांबुल में रोक लिया गया। काबुल ने इनकार किया कि उसके इलाके का TTP के खिलाफ इस्तेमाल हो रहा है। इस सप्ताह सीमा पर नई झड़प नहीं हुई, लेकिन प्रमुख क्रॉसिंग बंद हैं, जिससे सैकड़ों ट्रक फंसे हैं।

TTP आरोप और भविष्य की चुनौतियां

2021 में तालिबान सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान में आतंकी हमले बढ़े, जिनके लिए इस्लामाबाद TTP को जिम्मेदार ठहराता है। इस्लामाबाद का कहना है कि TTP को अफगानिस्तान में पनाह दी जा रही है। इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक्स हुए, जिसका तालिबान ने जवाब दिया। 2,600 किमी लंबी सीमा पर तनाव बना हुआ है। विश्लेषकों का कहना है कि निगरानी तंत्र स्थापित करना मुश्किल होगा, क्योंकि दोनों पक्ष एक-दूसरे पर भरोसा नहीं करते। ईरान, रूस, चीन ने तालिबान से TTP खत्म करने की अपील की है। 6 नवंबर की बैठक सफल रही तो क्षेत्रीय शांति मजबूत होगी, वरना युद्ध का खतरा बढ़ेगा।
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