किसानों को धोखा दे रहा है मानसून, सता रही अकाल की चिंता
खूंटी, 25 जुलाई ।खूंटी जिले में
पर्याप्त मानसूनी बारिश नहीं
होने से किसानों
को अकाल की
चिंता सताने लगी
है। बारिश के
अभाव में खेतों
में धान के
बिचड़े सूखने लगे
हैं। किसानों का
कहना है कि
सावन महीने में
पूरे क्षेत्र में
जमकर बारिश होती
थी, लेकिन इस
बार आषाढ़ महीने
में आधी बारिश
भी नहीं हुई
है। मानसून इस
बार किसानों को
धोखा दे रहा
है।
तोरपा स्थित
कृषि विज्ञान केंद्र
के कृषि मौसम
वैज्ञानिक डॉ राजन
चौधरी कहते हैं
कि जुलाई महीने
में खूंटी जिले
में औसत बारिश
लगभग 400 मिलीमीटर है, लेकिन
अब तक जिले
में दो मिमी
भी बारिश नहीं
हुई है। डॉ
चौधरी ने किसानों
को सलाह दी
है कि वे
वे मौसम के
सक्रिय होने का
इंतजार करें। इसके बाद
धान की रोपाई
करनी करें, लेकिन
किसी भी परिस्थिति
में कभी भी
35 दिन से ज्यादा
पुराने बिचड़े से धान
की रोपाई नहीं
करनी करें,क्योंकि देर से
लगाने पर कल्ले
कम निकलते है
एवं कम पौधे
होने से उपज
में भारी कमी
आती है।
देर
से जब धान
लगाना हो, तो
कम अवधि की
प्रजातियों का चयन
करना चाहिए जो
110 से 120 दिन में
तैयार हो जाती
है इनकी रोपाई
करने की बजाय
सीधी बुआई करने
की सलाह दी
जाती है।
कृषि
वैज्ञानिक डॉ चौधरी
ने वर्तमान में
वर्षा की स्थिति
को देखते हुए
दलहनी फसलों को
लगाने की सलाह
दी है कि
वे, अरहर, उड़द,
मूंग आदि की
खेती करें, पर
ध्यान रखें कि
इन फसलों को
उसी जगह लगायें,
जहां जल निकासी
की व्यवस्था अच्छी
हो। इसके अलावा
मक्का एवं तिल
भी लगाना अच्छा
रहेगा। आजकल किसानों
को मोटे अनाज
जैसे, ज्वार, बाजरा,
सावा, मडुआ, कंगनी
से भी बहुत
अच्छा फायदा हो
रहा है। अतः
इस तरह के
वातावरण में इन
फसलों को लगाकर
किसान अच्छा फायदा
कमा सकते है।
ठीक से देखभाल
करने से उपज
एवं लाभ में
कोई कमी नहीं
होती है।
डॉ
चौधरी ने कहा
कि जिन किसानों
ने आम, लीची,
अमरूद, केला, आवला, कटहल
इत्यादि फल के
नए बाग लगाना
चाहते है, वे
मानसून के सक्रिय
होने के बाद
ही नए बाग
लगाए। जिन किसानों
ने पपीता के
पौधे अभी हाल
हाल में ही
रोपाई की है,
उन्हें सलाह दी
जाती है कि
प्रतिदिन हल्की हल्की सिंचाई
करें। संभव हो
तो अत्यधिक धूप
से बचाने का
भी उपाय करें।