April Fool’s Day Special: 1 अप्रैल को ही क्यों होता है ‘अप्रैल फूल डे’? क्या है इसकी कहानी
स्पेशल: अप्रैल फूल्स डे कल है | क्या आप जानते है कि अप्रैल फूल्स डे को ऑल फूल्स डे के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को दुनिया भर के कई देशों में मनाया जाता है | इस दिन लोग पारंपरिक रूप से एक-दूसरे के साथ मजाक करते हैं और लोगों को उन चीजों पर विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं जो सच नहीं होती हैं।
जानें कैसे पड़ा इसका नाम….
आपको बता दें कि इस दिन का नाम पडने के पीछे एक अच्छी वजह है | इस दिन का नाम एक दूसरे से मजाक करने के बाद रखा गया। मजाक जैसे, दोस्तों को यह बताना कि उनके जूते के फीते खुले हुए हैं या फिर उन्हें बेवकूफ बनाकर कहीं काम पर भेज देना। इस दिन को सदियों से मनाया जा रहा है, लेकिन इसकी शुरुआत कहां से हुई इसके ठोस सबूत नहीं हैं। यह पुराने रोम के हिलारिया जैसे त्योहार की तरह का है, जिसे हर साल 25 मार्च को मनाया जाता है। इसमें लोग भेष बदलते हैं और एक-दूसरे का और मजिस्ट्रेट तक का मजाक उड़ा देते हैं।
गौरतलब है कि इसकी शुरुआत 1392 में आई जेफ्री चौसर की ‘द कैंटरबरी टेल्स’ में पहली अप्रैल और बेवकूफी का रिश्ता दिखाया गया। कहानी में एक लोमड़ी एक मूर्गे को बेवकूफ बनाती है। हालांकि, इसमें साफ तौर पर अप्रैल फूल्स का जिक्र नहीं है। वहीँ कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अप्रैल फूल की शुरुआत 1582 में फ्रांस से हुई। इस दौरान यहां जूलियन कैलेंडर की जगह ग्रेगोरियन कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता था। जूलियन कैलेंडर में मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में साल शुरू होता था यानी 1 अप्रैल के आसपास।
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देश में मनता है अप्रैल फूल्स डे…
हर देश इस दिन को अपनी तरह से सेलीब्रेट करता है। हालांकि, इन सभी सेलीब्रेशन में एक चीज सामान्य है, वह यह है कि इस दिन हम सभी को दूसरों के साथ मजाक करने का लाइसेंस मिल जाता है। जैसे फ्रांस में जो व्यक्ति बेवकूफ बन जाता है, उसे अप्रैल फिश कहा जाता है। फ्रांस में इस तरह के नजारे दिखना बेहद आम है, जहां बच्चे अपने दोस्तों की पीठ पर कागज की मछली छिपका देते हैं, और उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगती।