• December 30, 2025

उप्र: 2012 की अधिकतम बिजली मांग से डेढ़गुना है इस वर्ष की न्यूनतम मांग, नहीं बढ़े पारेषण केन्द्र

 उप्र: 2012 की अधिकतम बिजली मांग से डेढ़गुना है इस वर्ष की न्यूनतम मांग, नहीं बढ़े पारेषण केन्द्र

उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग निरन्तर बढ़ती जा रही है, लेकिन उस हिसाब से विद्युत सब स्टेशनों और पारेषण केंद्रों की संख्या नहीं बढ़ी है। इसके पीछे एक तरफ जहां ऊर्जा मंत्री अरविन्द शर्मा की उदासीनता है, वहीं समय से समस्या का समाधान न होना भी है। यही कारण है कि अधिकतम विद्युत मांग बढ़ते ही प्रदेश की विद्युत व्यवस्था चौपट हो गई है।

आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में 2012-17 के बीच औसत बिजली की मांग 13598 मेगावाट थी, उससे ज्यादा इस समय न्यूनतम बिजली (18701 मेगावाट) की मांग चल रही है। यदि व्यवस्था को सुचारू बनानी है तो 2012 की अपेक्षा शासन को पारेषण केंद्रों और बिजली उत्पादन को बढ़ाने पर जोर देना होगा।

2012 से 2017 के बीच औसत मांग 13598 मेगावाट के दोगुना से भी ज्यादा 27611 मेगावाट बिजली की मांग है। वहीं उस समय अधिकतम मांग से भी ज्यादा इस समय न्यूनतम मांग है। इस चुनौती के मद्देनजर प्रदेश की बिजली व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ, जिसके कारण मांग के हिसाब से विद्युत आपूर्ति करना ऊर्जा विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है। हर रोज आठ सौ से ज्यादा ट्रांसफार्मर खराब हो रहे हैं। इससे भी लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं।

आंकड़ों के अनुसार 2012-13 में अधिकतम लोड 12048 मेगावाट था, वहीं न्यूनतम 5477 मेगावाट रहा। वहीं 2013-14 में 12327 अधिकतम और 4790 न्यूतम, 2014-15 में 13003 अधिकतम और 6199 न्यूनतम, 2015-16 में 14503 अधिकतम और 6511 न्यूनतम, 2016-17 में 16110 अधिकतम और 5450 मेगावाट न्यूनतम बिजली की मांग रही। वहीं 2017-18 में अधिकतम बिजली की मांग 18061 मेगावाट और न्यूतम 6030 मेगावाट बिजली की मांग रही। 2018-19 में 20062 मेगावाट अधिकतम, 6503 मेगावाट न्यूनतम, 2019-20 में 21632 मेगावाट अधिकतम और 4341 मेगावाट न्यूनतम, 2020-21 में 23867 मेगावाट अधिकतम और 6003 न्यूनतम, 2021-22 में 25071 अधिकतम और 5662 मेगावाट न्यूनतम बिजली की मांग रही। वहीं 2022-23 में 26589 मेगावाट अधिकतम बिजली की मांग रही, वहीं 7033 न्यूनतम बिजली की मांग रही, जबकि इस वर्ष 27611 मेगावाट अधिकतम बिजली की मांग रही। वहीं 18701 न्यूनतम बिजली की मांग रही है।

2012-13 में अधिकतम लोड 12048 मेगावाट की अपेक्षा इस वर्ष न्यूनतम 18701 मेगावाट बिजली की मांग भी डेढ़गुना रही, जबकि अधिकतम मांग दोगुना से भी ज्यादा रही है। इस हिसाब से पारेषण केंद्रों की संख्या भी दोगुना होना चाहिए, लेकिन इसकी संख्या सवागुना से भी कम बढ़ाई गयी है।

इस संबंध में उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जब सरकार के सिर पर बोझ पड़ता है, तब उसकी नींद खुलती है। यही काम लगातार होता रहता तो यह समस्याएं नहीं आती।

वहीं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने मंगलवार को विद्युत कर्मियों से अपील की है कि चुनौती के मद्देनजर जनसेवा में संपूर्ण समर्पित भावना से काम करें। उन्होंने कहा कि बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए कर्मचारी और अधिकारी दिन-रात एक किये हुए हैं।

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