योगी सरकार के प्रयासों से पूरी तरह नकल विहीन हुई यूपी बोर्ड की परीक्षाएं
लखनऊ, 13 मार्च: यूपी बोर्ड की परीक्षाएं बुधवार को पूरी पारदर्शिता और नकलविहीन माहौल में संपन्न हुईं। इस सफलता का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा परीक्षा प्रणाली में किए गए सुधारों और नकल रोकने के लिए उठाए गए कठोर कदमों को जाता है। इन प्रयासों का नतीजा अब स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। सरकार ने परीक्षा की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए गुप्त रणनीतियों और माइक्रो प्लानिंग का पालन किया, जिससे परीक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद हो गई और नकल के मामलों में अभूतपूर्व कमी आई। पिछले पांच वर्षों के आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि इन सुधारों ने सकारात्मक परिणाम दिए हैं।
नकल के मामलों में गिरावट
उत्तर प्रदेश में नकल रोकने के लिए जो कड़े कदम उठाए गए थे, उनके परिणामस्वरूप नकल के मामलों में भारी गिरावट आई है। वर्ष 2020 से लेकर 2025 तक नकल के मामलों में लगातार कमी आई है, जो योगी सरकार के सुधारात्मक कदमों की सफलता को दर्शाता है।
- 2020 में 760 परीक्षार्थी नकल करते हुए पकड़े गए थे, जबकि 2022 में यह संख्या घटकर 190 रह गई।
- 2023 में यह आंकड़ा 127 और 2024 में 48 तक आ गया।
- 2025 में यह संख्या सिर्फ 30 पर आ गई, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा सकती है।
यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि नकल को रोकने में यूपी सरकार ने बेहतरीन सफलता प्राप्त की है।
फर्ज़ी परीक्षार्थियों पर कड़ी कार्रवाई
नकल के साथ-साथ सरकार ने फर्ज़ी परीक्षार्थियों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए। यह सुनिश्चित किया गया कि कोई परीक्षार्थी के स्थान पर परीक्षा न दे, जिससे परीक्षा की शुचिता बनी रही।
- 2020 में 108 ऐसे मामले सामने आए थे, लेकिन 2022 में यह घटकर 47 रह गए।
- 2023 में 133 मामले सामने आए, जबकि 2024 में यह 37 हो गए।
- 2025 में कुल 49 मामले दर्ज हुए, जो प्रशासन के प्रभावी नियंत्रण को साबित करता है।
उत्तर पुस्तिकाओं की हेराफेरी पर रोक
पहले यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में उत्तर पुस्तिकाओं की हेराफेरी आम बात थी, लेकिन योगी सरकार के प्रयासों से अब इन पर लगभग पूरी तरह से रोक लग चुकी है।
- 2020 में 7 मामले सामने आए थे, जबकि 2022 में यह घटकर 2 रह गए।
- 2023 और 2024 में कोई भी मामला सामने नहीं आया।
- 2025 में सिर्फ 2 मामले सामने आए, जो प्रशासन की सख्ती को दर्शाता है।
प्रश्न पत्र लीक की घटनाओं पर कड़ी नजर
सरकार ने नकल माफिया पर कड़ा प्रहार करते हुए प्रश्न पत्र लीक होने की घटनाओं पर पूरी तरह से विराम लगाया है।
- 2020 और 2022 में एक-एक प्रश्न पत्र लीक हुआ था, लेकिन 2023, 2024, और 2025 में एक भी प्रश्न पत्र लीक नहीं हुआ। यह योगी सरकार के मजबूत प्रशासनिक नियंत्रण का परिणाम है।
प्रश्न पत्रों के गलत तरीके से खोलने पर रोक
परीक्षा शुरू होने से पहले प्रश्न पत्र खोलने के मामलों में भी सरकार की सख्ती ने काम किया।
- 2020 में एक मामला दर्ज हुआ था, लेकिन 2022, 2023, 2024, और 2025 में एक भी मामला सामने नहीं आया।
योगी सरकार की परीक्षा सुधार नीति: एक आदर्श मॉडल
2017 से पहले यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में नकल और धांधली आम थी, लेकिन योगी सरकार की मजबूत नीति और तत्परता से अब इन मामलों पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है। योगी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के कारण अब यूपी बोर्ड की परीक्षाएं न केवल निष्पक्ष हो गई हैं, बल्कि यह परीक्षा सुधार का आदर्श मॉडल बन गई हैं।
राज्य सरकार ने सख्त प्रबंधन, कानून व्यवस्था और तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल करके यह सिद्ध कर दिया है कि इच्छाशक्ति हो तो नकल मुक्त परीक्षा कराना संभव है। इस सफलता के बाद यूपी की परीक्षा प्रणाली को अब देशभर में एक उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।
