सनातन को समाप्त करने की बात कहने वाले देश से क्षमा याचना करें: शान्ता कुमार
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने शनिवार को कहा कि सनातन को समाप्त करने की बात कहने वालों को प्रभु सद्बुद्धि दें। शान्ता कुमार ने कहा कि ऐसा कहने वालों को स्वंय पता नहीं है कि वे क्या कह रहे हैं। जब समझ आएगा तो शर्म से उनका सिर झुक जाएगा। उन्होंने सनातन को समाप्त करने वालों से निवेदन किया कि बहुत जल्दी पूरे भारत से क्षमा याचना करें, गंगा में नहाएं और देश उनको क्षमा कर देगा।
शान्ता कुमार ने एक बयान में कहा कि भारत का सनातन है वेद उपनिषद, राम, कृष्ण, रामायण और महाभारत। ऋृग्वेद को देख कर जर्मन के महान विद्वान मैक्समूलर आकर्षित हुए। जीवन के 20 साल ऋृगवेद अध्ययन में लगाये। उस पर पहली मीमांसा लिखी जिसे छपने के लिए उस समय की ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक लाख रुपये दिए। विश्वभर के विद्वानों ने उसकी सराहना की।
उन्होंने कहा कि भारत का सनातन वो है जिसे स्वामी विवेकानंद ने 1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्मसभा में रखा था। दुनियाभर के सभी धर्मों के विद्वान सभा में मौजूद थे। दस हजार विद्वानों की सभा में जब स्वामी विवेकानन्द ने सनातन की व्याख्या की तो पूरी सभा तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत करती रही। स्वामी विवेकानन्द को विश्वभर से सम्मान मिला। अमेरिका जैसे देश में जगह-जगह उनको बुलाया गया। विश्वभर के सभी विद्वानों ने एकमत से भारत के सनातन की प्रशंसा की। शान्ता कुमार ने कहा कि मैक्समूलर ने कहा है कि भारत के ऋषियों ने अध्यात्मिकता की सबसे ऊंची चोटी को छू लिया था।
भाजपा के वरिष्ठ नेता शान्ता कुमार ने कहा कि हजारों वर्षों के जीवन के बाद भारतीय समाज में कुछ कुरीतियां आई हैं, छुआछूत है, जाति प्रथा ऊंच नीच, दलित इस प्रकार की कुरितियां सनातन नहीं हैं। यह समय के साथ समाज से आई हुई सामाजिक बीमारियां हैं। स्वामी दयानन्द और विवेकानन्द जैसे महापुरुष सदा इनका विरोध करते रहें। इन कुरीतियों को ही कुछ लोग सनातन समझने की मूर्खता करते है। उन्होंने सनातन को समाप्त करने वाले मित्रों से निवेदन किया कि बहुत जल्दी पूरे भारत से क्षमा याचना करें, गंगा में नहाएं और देश उनको क्षमा कर देगा।