• October 22, 2025

हमारी धरोहर और विरासत हैं नदियां : डॉ. अफरोज अहमद

 हमारी धरोहर और विरासत हैं नदियां : डॉ. अफरोज अहमद

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के सदस्य डॉ. अफरोज अहमद ने कहा कि नदियां हमारी धरोहर और विरासत हैं। नदियों को नष्ट करना बड़ा अपराध है। प्रकृति के साथ मनुष्य खिलवाड़ कर रहा है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में आ रही आपदा से प्रकृति मनुष्य को चेता रही है।

भारतीय नदी परिषद ने शनिवार को गढ़ रोड स्थित हारमनी इन होटल में ’नदी पुनर्जीवन में समाज और कानून की भूमिका’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया। मुख्य अतिथि एनजीटी के सदस्य जस्टिस अरुण कुमार त्यागी ने कहा कि भारत समेत दुनिया के कई देशों में दनियों को पूजा जाता है। हमारे पूर्वजों ने प्रकृति से सामंजस्य बनाया तो पर्यावरण अनुकूल रहा। आज हालत खराब हो गए हैं। हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। आज गांवों में भी आरओ का पानी सप्लाई हो रहा है। पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में एनजीटी प्रमुख भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि एनजीटी में चिट्ठी को भी याचिका के रूप में स्वीकार करके कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। उन्होंने कहा कि क्या हमारे पूर्वजों ने ऐसे समाज की कल्पना की थी कि हम नदियों का अस्तित्व नकार दें।

शौचालयों से प्रदूषित हो रहा भूजल

जस्टिस अरुण कुमार त्यागी ने कहा कि शौचालयों से भी भूजल प्रदूषित हो रहा है। हम सभी को मिलकर पर्यावरण को ठीक करने की पहल करनी होगी। प्रकृति से सामंजस्य नहीं बनाने वाला समाज मिट गया। प्रकृति के साथ चलने वाले बच जाते हैं। नदियों पर अवैध कब्जे, अवैध डिस्चार्ज, अवैध खनन हो रहा है। उद्योग जहरीला पानी जमीन में डाल रहे हैं। पंजाब में तो कैंसर रोगियों को ले जाने के लिए कैंसर ट्रेन तक चलती है। प्रदूषित पानी के जरिए मनुष्य के खून में भी प्लास्टिक, पेस्टीसाइड आ गए हैं। प्रकृति अपना रंग जरूर दिखाएगी।

एनजीटी के सदस्य डॉ. अफराज आलम ने कहा कि लगभग 60 प्रतिशत कार्बन समुद्र में है। वनस्पतियां केवल हरियाली के लिए नहीं है, बल्कि कार्बन को अपने अंदर संचित भी करती है। नदी का अपना अकेला कोई रूप नहीं है। हमें सपूर्णता के बारे में सोचना होगा। भारत में 20 नदी बेसिन क्षेत्र है। मानव शरीर की नसों की तरह ही नदियां भी आपस में जुड़ी है। केवल ग्लेशियर से नदी नहीं बन सकती। बारिश से नदी जीवित रहती है। एनजीटी के योगदान से सहायक नदियों को भी पुर्जीवित किया जा रहा है। राज्यों में पानी के बंटवारे को लेकर विवाद हो रहे हैं। नदियों को बचाने के लिए एनजीटी काम कर रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता मनु गौड़ ने तथा संचालन नवीन प्रधान ने किया।

कार्यक्रम आयोजक नदीपुत्र रमन त्यागी ने कहा कि नदियों के हालात बहुत भयावह है। तमाम प्रयासों के बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आ रहा। इसके लिए सकारात्मक प्रयास की आवश्यकता है। नदियां हमारी सभ्यता का अंग है। अति होने पर नदियों ने ही सभ्यताओं को मिटाया है। कार्यक्रम में आरके त्यागी, सरबजीत कपूर, डॉ. रविंद्र राणा, नवनीत शर्मा, सलीम अहमद, राजीव त्यागी आदि उपस्थित रहे।

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Rama Niwash Pandey

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