• December 26, 2025

पहलगाम आतंकी हमला: ‘बदला चाहिए नहीं तो मर जाऊंगी…’, ऐशान्या का सवाल, ‘मेरे शुभम को क्यों मार दिया?’

कानपुर/श्रीनगर, 25 अप्रैल 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने न केवल देश को झकझोर दिया, बल्कि कई परिवारों की जिंदगी हमेशा के लिए तबाह कर दी। इस हमले में कानपुर के 31 वर्षीय शुभम द्विवेदी की जान चली गई, जिनकी शादी महज दो महीने पहले 12 फरवरी 2025 को ऐशान्या के साथ हुई थी। शुभम की पत्नी ऐशान्या का रो-रोकर बुरा हाल है। वह बार-बार एक ही सवाल पूछ रही हैं, “मेरे शुभम को क्यों मार दिया?” और कह रही हैं, “बदला चाहिए, नहीं तो मर जाऊंगी।”

हमले का भयावह मंजर

पहलगाम की बैसरन घाटी, जिसे ‘मिनी स्विटजरलैंड’ के नाम से जाना जाता है, 22 अप्रैल को उस समय खून से लथपथ हो गई जब लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) के छह आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। दोपहर 2:45 बजे हुए इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें 25 भारतीय और एक नेपाली पर्यटक शामिल थे। मरने वालों में शुभम द्विवेदी भी थे, जो अपनी पत्नी ऐशान्या और साली के साथ कश्मीर की सैर पर गए थे।

ऐशान्या ने बताया, “हम लोग हंसी-खुशी बैठे थे। घोड़ों से उतरकर गेट की ओर पैदल जा रहे थे। तभी आतंकी आए। उन्होंने शुभम से पूछा, ‘हिंदू है कि मुसलमान?’ हमने समझा कि शायद मजाक है। लेकिन जब दोबारा पूछा और हमने कहा ‘हिंदू’, तो उन्होंने तुरंत शुभम के सिर में गोली मार दी।” ऐशान्या ने यह भी बताया कि आतंकियों ने उनसे कहा, “अपनी सरकार को बता देना कि हमने तुम्हारे पति के साथ क्या किया।”
आतंकियों ने नकली सैन्य वर्दी पहन रखी थी, जिसके कारण शुरुआत में पर्यटकों को उन पर शक नहीं हुआ। उन्होंने हिंदू पर्यटकों को चुन-चुनकर निशाना बनाया और कुछ से जबरन ‘कलमा’ पढ़वाने की कोशिश की। जो ऐसा नहीं कर सके, उन्हें गोली मार दी गई। इस हमले में 20 से ज्यादा लोग घायल भी हुए।
शुभम और ऐशान्या की कहानी
शुभम द्विवेदी, कानपुर के हाथीपुर, रघुबीर नगर के रहने वाले एक व्यवसायी थे। उनकी शादी झांसी में ऐशान्या के साथ धूमधाम से हुई थी। 17 अप्रैल को वह 11 लोगों के समूह के साथ कश्मीर घूमने गए थे। सोनमर्ग और गुलमर्ग की सैर के बाद वे पहलगाम पहुंचे थे। ऐशान्या ने बताया कि शुभम ने उनकी पसंदीदा शर्ट पहन रखी थी, जिसे देखकर वह हमेशा खुश हो जाते थे। लेकिन उस दिन वह शर्ट खून से लथपथ हो गई।
हमले के बाद ऐशान्या और अन्य पर्यटकों को श्रीनगर के एक होटल में भेजा गया। शुभम का शव बुधवार देर रात करीब 1:30 बजे उनके घर पहुंचा। शव देखते ही परिजनों की चीखें गूंज उठीं। ऐशान्या ने शुभम की पसंदीदा शर्ट पहनकर उनके शव से लिपटकर घंटों रोया। वह बार-बार कह रही थीं, “मम्मी, मेरे सामने इनको गोली मार दी, मुझे
क्यों नहीं मारी?”
शुभम के पिता संजय द्विवेदी ने बताया कि परिवार ‘मिनी स्विटजरलैंड’ से 7 किलोमीटर पहले एक रेस्टोरेंट में रुका था, जबकि शुभम, ऐशान्या और उनकी साली बैसरन घाटी गए थे। आतंकी हमले की खबर सुनकर परिवार दहल गया।
परिवार का दर्द और गुस्सा
शुभम के चचेरे भाई सौरभ द्विवेदी ने बताया कि शुभम की मौत की खबर ने दो परिवारों को तोड़ दिया। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि शव को जल्द से जल्द औपचारिकताओं के बाद परिवार को सौंपा जाए। ऐशान्या की हालत देखकर पूरा मोहल्ला गम और गुस्से में डूबा हुआ है। स्थानीय लोग और रिश्तेदार आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
ऐशान्या की मांग साफ है, “मुझे बदला चाहिए। मेरे शुभम को मारने वालों को सजा मिलनी चाहिए, नहीं तो मैं मर जाऊंगी।” उनका यह सवाल, “मेरे शुभम को क्यों मार दिया?” न केवल उनके दर्द को दर्शाता है, बल्कि पूरे देश के गुस्से को भी व्यक्त करता है।
सुरक्षाबलों की कार्रवाई और बांदीपोरा मुठभेड़
पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के डिप्टी चीफ सैफुल्लाह के इशारे पर पांच कमांडरों ने प्लान की थी। हमले के बाद भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। 25 अप्रैल को बांदीपोरा के कोलनार आजस इलाके में हुई मुठभेड़ में लश्कर का टॉप कमांडर अल्ताफ लल्ली ढेर कर दिया गया। इस ऑपरेशन में दो सुरक्षाकर्मी घायल हुए, जिनकी हालत स्थिर है।
सुरक्षाबलों ने अनंतनाग और त्राल में हमले की साजिश रचने वाले आतंकियों के ठिकानों को भी नष्ट किया। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने श्रीनगर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और हमले के दोषियों को सजा देने का आश्वासन दिया।
भारत सरकार का कड़ा रुख
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा छोटा कर दिल्ली लौटकर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक की। बैठक में पांच बड़े फैसले लिए गए:
  1. 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया।
  2. अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट को बंद कर दिया गया।
  3. पाकिस्तानी नागरिकों के लिए SAARC वीजा छूट रद्द की गई।
  4. पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य सलाहकारों को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित किया गया।
  5. दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि हमले के पीछे सीमा पार की साजिश थी, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी कहा कि हमले का बदला लिया जाएगा।
देश-दुनिया की प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले की देश-विदेश में कड़ी निंदा हुई। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज, और चीन के विदेश मंत्रालय ने हमले को क्रूर और अमानवीय बताया। भारत में राहुल गांधी, सनी देओल, अनुपम खेर जैसे नेताओं और हस्तियों ने पीड़ितों के प्रति संवेदना जताई। कश्मीर में 23 अप्रैल को बंद का आह्वान किया गया, जो 35 वर्षों में पहली बार पूरी घाटी में देखा गया
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