वीरता की मिसाल मेजर लील बहादुर गुरुंग को भारतीय सेना ने किया याद
कोलकाता, 30 अगस्त। मां भारती की कोख से जन्मे वीरों की बहादुरी के किस्से पूरी दुनिया में मशहूर है। ऐसे ही एक जांबाज थे मेजर लील बहादुर गुरुंग। वे 1972 के मार्च में एक जंग में बहादुरी से लड़ते हुए मातृभूमि पर कुर्बान हो गए थे। भारतीय सेना के पूर्वी कमान ने शुक्रवार को उन्हें याद किया। मेजर गुरुंग की बहादुरी को याद करते हुए भारतीय सेना ने एक्स पर एक पोस्ट किया है। इसमें लिखा गया है, “19 मार्च 1972 : पूर्वी सेक्टर में दुश्मन के एक सुदृढ़ पोस्ट पर आक्रमण के दौरान महार रेजिमेंट की एक बटालियन के कमांडिंग अधिकारी मेजर लील बहादुर गुरुंग ने अदम्य साहस और नेतृत्व का परिचय दिया। दुश्मन ने अपनी मजबूत स्थिति से मीडियम मशीन गनों (एमएमजी) के साथ तीव्र और सटीक गोलीबारी शुरू कर दी थी, जिससे भारतीय सेना की कंपनी को भारी चुनौती का सामना करना पड़ा।”
सेना ने उनकी बहादुरी को याद करते हुए लिखा है, “मेजर लील बहादुर गुरुंग ने इस भारी गोलीबारी की परवाह न करते हुए अपनी कंपनी का नेतृत्व किया और अपनी व्यक्तिगत बहादुरी से अपने सैनिकों को हमला जारी रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने रेंगते हुए दुश्मन की मीडियम मशीन गन बंकर की ओर बढ़ने का साहसी फैसला किया। इस दौरान उन्हें एक और गोलीबारी का सामना करना पड़ा, जिससे उनके पैर में गंभीर चोटें आईं। हालांकि, चोटिल होने के बावजूद मेजर गुरुंग ने हिम्मत नहीं हारी और दुश्मन के बंकर में एक ग्रेनेड फेंक कर उस मीडियम मशीन गन को निष्क्रिय कर दिया। इस अद्भुत कार्य से उनकी कंपनी को दुश्मन के किलेबंदी वाले इलाके को जीतने में बड़ी सहायता मिली। घायल होने के बावजूद उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक अपने सैनिकों को प्रेरित किया और युद्धभूमि पर वीरगति प्राप्त की।
अपने पोस्ट में इंडियन आर्मी ने बताया है कि मेजर लील बहादुर गुरुंग की इस असीम बहादुरी, दृढ़ संकल्प, नेतृत्व और अटूट आत्मबल के लिए उन्हें मरणोपरांत “वीर चक्र” से सम्मानित किया गया। उनकी वीरता की कहानियां आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करती रहेंगी और उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना ने सोशल मीडिया के जरिए वीरों की ऐसी अदम्य गाथा को शेयर करना शुरू किया है। ऐसी कहानियां याद दिलाती हैं कि कैसे हमारे जांबाज सैनिक देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। मेजर लील बहादुर गुरुंग की वीरता को इसी अंदाज में सेना ने नमन किया है।