मथुरा में भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर होली का धमाल: रंग, गुलाल, और लाठियों के संग
मथुरा: मथुरा, जो भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि है, इस बार होली के त्योहार के दौरान रंग, गुलाल, फूल और नाच-गाने के साथ पूरी तरह से सज गया। भगवान कृष्ण के धाम में होली का विशेष उल्लास और धूम देखने को मिला। बरसाना और नन्द गाँव के बाद मथुरा में होली का धूमधाम देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, और मथुरा का जन्मभूमि परिसर राधा-कृष्ण की प्रेम भरी होली के रंग में रंग उठा। ‘उड़त गुलाल लाल भये बद्रा’ की गूंज से पूरा वातावरण आनंदित हो उठा।
प्राकृतिक सुंदरता के बीच यह होली का उत्सव विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि जीवन के जागरण और मन की चेतनाओं को शक्ति देने का प्रतीक है। होली के इस पर्व में साधारण प्राणी ही नहीं, बल्कि अध्यात्मिक चिंतन में लीन भक्त भी अपने आराध्य प्रभु के साथ विभिन्न खेल खेलते हैं, और यह परंपरा भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर भी देखी गई।
राधा-कृष्ण की स्वरूप के साथ होली का उत्सव
मथुरा के जन्मभूमि स्थित केशव वाटिका मंच पर राधा और कृष्ण के स्वरूप के आते ही होली के हुरियारों और हुरियारिनों ने होली के गीतों पर जमकर ठुमके लगाए। यहाँ ब्रज के प्रसिद्ध मयूर नृत्य, गागर नृत्य, जेयर नृत्य और चरकुला नृत्य जैसे पारंपरिक नृत्यों का प्रदर्शन किया गया। इन नृत्यों और संगीत में ऐसा उल्लास था कि उपस्थित श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए और प्रेममयी होली के रंग में रंग गए।
फूलों की होली और लाठियों का खेल
जन्मभूमि पर होली के अवसर पर एक और अनोखा दृश्य देखा गया, जब राधा और कृष्ण के स्वरूप के साथ उपस्थित श्रद्धालुओं ने फूलों की होली खेलना शुरू किया। इस होली में हुरियारिनों ने हुरियारों पर रंगों के बीच लाठियाँ भी बरसाई। हालांकि, हुरियारों ने अपनी रक्षा के लिए लाठियों का ही प्रयोग किया और पूरे वातावरण में आनंद और उल्लास का वातावरण फैल गया। इस अद्भुत खेल ने इस होली को और भी रोमांचक बना दिया।
श्रद्धालु इस होली का हिस्सा बनकर अपने आप को धन्य महसूस कर रहे थे, क्योंकि यह भूमि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली है। इसके साथ ही, नाच, गाना, रंग, गुलाल, फूल और लाठियों का यह अनूठा मिश्रण इस होली को और भी खास बना रहा था। मथुरा की धरती पर खेली गई इस अनोखी होली में शामिल होना हर श्रद्धालु के लिए जीवनभर का एक अद्वितीय अनुभव था।
संगीत, नृत्य और भक्तिमय होली का उत्सव
मथुरा में इस बार होली का उत्सव एक दिव्य और भक्तिमय माहौल में मनाया गया। संगीत और नृत्य के साथ-साथ रंगों की बौछार ने सबको कृष्ण के साथ एक आत्मीय जुड़ाव का अहसास कराया। यहां उपस्थित भक्तों ने न केवल होली खेली, बल्कि राधा-कृष्ण की लीलाओं का आह्वान करते हुए उनके प्रेम में खो गए। इस भव्य आयोजन ने मथुरा की होली को एक नए रूप में प्रस्तुत किया, जिसमें भगवान कृष्ण की भक्ति और प्रेम का अनुभव किया गया।
