• October 14, 2025

जयंत सिंह ने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को किसानों के हितों के लिए लिखा पत्र

नई दिल्ली: राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने पुष्टि करते हुए बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार तथा शिक्षा राज्य मंत्री चौधरी जयंत सिह ने उपभोक्ता,खाद्य व सार्वजनिक वितरण नवीं एवं नवीकरण मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को गन्ना किसानों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए चीनी को निर्यात करने हेतु तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य में संशोधन का आग्रह करते हुए पत्र लिखा है।

पत्र में केन्द्रीय मंत्री ने अपने 6 अगस्त 2024 के पत्र का संदर्भ देते हुए लिखा है जिसमें उन्होंने चालू चीनी सीजन में कम से कम 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति का आग्रह किया था । उन्होंने लिखा है कि कुछ कारकों के कारण, चीनी उद्योग चुनौतीपूर्ण समय का सामना कर रहा है, जो गन्ना किसानों को बकाया गन्ने के समय पर भुगतान पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है, सबसे अधिक दबाव वाली मिलों ने एक्स मिल चीनी की कीमतें कम कर दी हैं, जो 35 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास हैं, जो चीनी के उत्पादन लागत से कम है और पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान प्रचलित कीमतों से भी कम है, इसके अलावा 55 लाख टन चीनी के मानक स्टॉक के अलावा लगभग 28 लाख टन चीनी भंडार की अपेक्षित अधिशेष उपलब्धता चीनी मिलों पर उनकी वहन लागत के कारण अतिरिक्त बोझ पैदा करेगी।

मुझे यह भी बताया गया है कि चीनी का एम.एस.पी. अंतिम बार फरवरी 2019 में 31 रुपये प्रति किलोग्राम तय किया गया था इसलिए, उपरोक्त कारकों पर विचार करते हुए, यह कम से कम 20 लाख टन चीनी के निर्यात को तुरंत अनुमति देने का एक सुअवसर है क्योंकि यह चीनी उद्योग के लिए एक वित्तीय बफर प्रदान करेगा, चीनी मिलों की किसानों को समय पर भुगतान करने की क्षमता में सुधार करेगा और चीनी मिलों को अपनी परिचालन लागत का प्रबंधन करने और चीनी मिलों के विस्तार और सुधार में निवेश करने में मदद करेगा। आगे उन्होंने लिखा कि यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि चीनी के निर्यात की अनुमति देने से हमारा देश मूल्य, विदेशी मुद्रा अर्जित करने और घरेलू बाजार स्थापित करने में सक्षम होगा। इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया कम से कम 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने पर विचार करें और पिछले 50 वर्षों में गन्ने के एफआरपी के संशोधन को ध्यान में रखते हुए चीनी के एमएसपी को संशोधित करने पर भी विचार करें।

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Rama Niwash Pandey

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