लखनऊ में आग का तांडव: 80 झोपड़ियां जलीं, गृहस्थी और अरमान खाक, राख में जेवर-रुपये खोजते लोग
लखनऊ, 30 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मड़ियांव थाना क्षेत्र के फैजुल्लागंज में सोमवार, 28 अप्रैल 2025 को एक भीषण अग्निकांड ने तबाही मचा दी। इस हादसे में करीब 80 झोपड़ियां जलकर राख हो गईं, जिससे सैकड़ों लोगों की गृहस्थी, जेवर, नकदी और सालों की मेहनत से जुटाए गए सामान स्वाहा हो गए। आग की लपटों ने न केवल लोगों का आशियाना छीना, बल्कि उनके सपनों और अरमानों को भी राख में मिला दिया। हादसे के बाद लोग राख के ढेर में अपने जेवर, रुपये और बचे हुए सामान को खोजते नजर आए, लेकिन अधिकांश को सिर्फ निराशा ही हाथ लगी।

मड़ियांव के फैजुल्लागंज इलाके में स्थित झोपड़पट्टी में दोपहर करीब 1 बजे अचानक आग लगने की सूचना मिली। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग की शुरुआत एक झोपड़ी में हुई, जो देखते ही देखते पास की अन्य झोपड़ियों में फैल गई। सूखी घास, लकड़ी और प्लास्टिक से बनी ये झोपड़ियां आग के लिए बेहद संवेदनशील थीं, जिसके कारण आग ने कुछ ही मिनटों में विकराल रूप धारण कर लिया। स्थानीय लोगों ने बताया कि तेज हवाओं ने भी आग को और भड़काने में भूमिका निभाई।
आग इतनी तेजी से फैली कि लोगों को अपना सामान बचाने का मौका तक नहीं मिला। कई परिवार अपने बच्चों और जरूरी दस्तावेजों को लेकर किसी तरह सुरक्षित स्थान पर पहुंचे, लेकिन उनका सारा सामान आग की भेंट चढ़ गया। एक पीड़ित, रामू पासी, ने बताया, “हमारे पास कुछ नहीं बचा। जेवर, रुपये, कपड़े, बर्तन… सब जल गया। अब हम कहां जाएंगे?”
दमकल की कार्रवाई और राहत कार्य
आग की सूचना मिलते ही मड़ियांव पुलिस और दमकल विभाग की टीमें मौके पर पहुंचीं। पांच दमकल गाड़ियों ने करीब तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक 80 झोपड़ियां पूरी तरह जल चुकी थीं। मड़ियांव थाना प्रभारी शिवानंद मिश्रा और दरोगा जगमोहन दुबे के नेतृत्व में पुलिस ने लोगों को सुरक्षित निकालने में मदद की।
जिला प्रशासन ने पीड़ितों के लिए तत्काल राहत कार्य शुरू किए। प्रभावित परिवारों को भोजन, पानी और अस्थायी आश्रय की व्यवस्था की गई। जिला मजिस्ट्रेट ने बताया कि पीड़ितों को सरकारी योजनाओं के तहत मुआवजा और पुनर्वास के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर समय पर दमकल न पहुंचने का आरोप लगाया। एक अन्य पीड़ित, शांति देवी, ने कहा, “अगर दमकल समय पर आती, तो शायद कुछ सामान बच जाता।”
लाखों का नुकसान, राख में खोजते रहे जेवर-रुपये
इस अग्निकांड में लाखों रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। कई परिवारों ने बताया कि उन्होंने शादी के लिए रखे जेवर, बच्चों की पढ़ाई के लिए जमा की गई नकदी और अन्य कीमती सामान खो दिया। हादसे के अगले दिन मंगलवार को लोग राख के ढेर में अपने जेवर, रुपये और बचे हुए सामान को खोजते नजर आए। कुछ लोगों को जले हुए बर्तन और आधे-अधूरे दस्तावेज मिले, लेकिन अधिकांश को सिर्फ राख ही हाथ लगी।
एक पीड़ित महिला, राधा, ने रोते हुए कहा, “मेरी बेटी की शादी के लिए मैंने 50 हजार रुपये और कुछ सोने के जेवर जमा किए थे। सब जल गया। अब मैं क्या करूंगी?” इसी तरह, एक अन्य निवासी, राजू, ने बताया कि उनके पास मकान बनाने के लिए रखे 30 हजार रुपये और कुछ जरूरी कागजात भी आग में नष्ट हो गए।
आग लगने का कारण: सिलेंडर ब्लास्ट की आशंका
प्रारंभिक जांच में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट या गैस सिलेंडर में रिसाव बताया जा रहा है। कुछ स्थानीय लोगों ने दावा किया कि एक झोपड़ी में खाना बनाते समय सिलेंडर में रिसाव के कारण आग भड़की, जो तेजी से फैल गई। हालांकि, पुलिस और दमकल विभाग ने इसकी पुष्टि नहीं की है। मड़ियांव थाना प्रभारी शिवानंद मिश्रा ने कहा, “आग लगने के सटीक कारण की जांच की जा रही है। फॉरेंसिक टीम मौके से नमूने ले रही है।”
चुनौतियां और भविष्य के लिए सबक
यह अग्निकांड एक बार फिर झोपड़पट्टियों में रहने वाले लोगों के लिए अग्नि सुरक्षा की कमी को उजागर करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी बस्तियों में बिजली के तारों की अवैध कनेक्शन, गैस सिलेंडरों का असुरक्षित उपयोग और संकरी गलियां दमकल गाड़ियों की पहुंच को मुश्किल बनाती हैं। इसके अलावा, जागरूकता की कमी और अग्निशमन उपकरणों का अभाव भी इस तरह के हादसों को और घातक बनाता है।
प्रशासन को सुझाव दिया गया है कि झोपड़पट्टियों में नियमित अग्नि सुरक्षा जांच, बिजली के तारों का नियमन और अग्निशमन यंत्रों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। साथ ही, लोगों को सुरक्षित गैस सिलेंडर उपयोग और आपात स्थिति में बचाव के तरीकों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है।
