इराक से आया फतवा: दोपहर 2 बजे के बाद खुतबे के साथ अदा करें जोहर की नमाज, होली के दिन न पढ़ें जुमे की नमाज
नई दिल्ली/इराक: भारत में होली के त्योहार के मौके पर इराक से एक विवादास्पद फतवा सामने आया है, जिसमें मुस्लिमों को होली के दिन जुमे की नमाज न पढ़ने और जोहर की नमाज को दोपहर 2 बजे के बाद खुतबे के साथ अदा करने की सलाह दी गई है। इस फतवे ने भारतीय मुसलमानों के बीच हलचल मचा दी है और विभिन्न धार्मिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
फतवे में क्या कहा गया?
इराक से जारी किए गए इस फतवे में कहा गया है कि होली के दिन मुस्लिम समुदाय को जुमे की नमाज न अदा करने की सलाह दी गई है, क्योंकि इस दिन हिन्दू समुदाय द्वारा होली का पर्व मनाया जाता है, और उस दिन भव्य आयोजन, हुड़दंग, रंग-गुलाल और शोर-शराबे के चलते मस्जिदों में नमाज अदा करने में कठिनाई हो सकती है।
इसके अतिरिक्त, फतवे में यह भी कहा गया है कि जोहर की नमाज को दोपहर 2 बजे के बाद खुतबे के साथ अदा किया जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नमाज पढ़ने के दौरान कोई विघ्न न हो और मुस्लिम समुदाय के लोग त्योहार के समय सुरक्षित रूप से अपनी धार्मिक जिम्मेदारियों को पूरा कर सकें।
जुमे की नमाज पर विवाद
होली के दिन जुमे की नमाज न पढ़ने के संबंध में फतवे ने खासा विवाद उत्पन्न किया है। यह बात भारतीय मुस्लिम समुदाय में कई लोगों के लिए चुनौती बन सकती है, क्योंकि जुमे की नमाज को सप्ताह के सबसे महत्वपूर्ण नमाजों में से एक माना जाता है।
विभिन्न धार्मिक और समाजिक संगठन इस फतवे को लेकर चिंतित हैं और उनका कहना है कि यह सलाह भारतीय मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों और आस्थाओं के खिलाफ है। कई लोग इसे गलत समझते हुए यह भी कह रहे हैं कि इस तरह के फतवे से मुसलमानों के धार्मिक कर्तव्यों की अनदेखी होती है।
भारतीय उलेमाओं की प्रतिक्रिया
भारत में इस फतवे पर कई उलेमाओं और धार्मिक नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुछ उलेमाओं ने इसे “गलतफहमी” करार दिया और कहा कि मुस्लिमों को अपनी धार्मिक गतिविधियों में कोई भी बदलाव नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय मुस्लिम समुदाय के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने कर्तव्यों को निभाएं और जुमे की नमाज को उसी समय पर अदा करें जैसा वे सामान्यत: करते हैं, चाहे त्यौहार हो या कोई अन्य विशेष अवसर।
उलेमा का यह भी कहना है कि इराक से आया यह फतवा भारतीय परिस्थितियों और सांस्कृतिक संदर्भ को ध्यान में रखकर नहीं दिया गया है, और इस तरह की सलाह से भारतीय मुसलमानों के धार्मिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर भी इस फतवे को लेकर तीखी बहस चल रही है। कुछ लोग इसे धार्मिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप मानते हैं, जबकि कुछ का मानना है कि यह फतवा एक वैध धार्मिक सलाह है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोगों ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि भारतीय मुसलमानों को अपने धर्म के बारे में खुद निर्णय लेने का अधिकार है और बाहरी देशों के फतवे की तुलना में स्थानीय उलेमाओं की सलाह अधिक प्रासंगिक होनी चाहिए।
होली के दिन मुस्लिम समुदाय का क्या है रुख?
होली के दिन, भारतीय मुस्लिम समुदाय के अधिकांश लोग पारंपरिक रूप से दिनभर रंगों के उत्सव में शामिल नहीं होते, क्योंकि यह दिन हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार होता है। हालांकि, मुस्लिम समुदाय के कई सदस्य अपने-अपने घरों में इस दिन को शांतिपूर्वक मनाते हैं।
इस संदर्भ में, मुस्लिम धार्मिक नेता और उलेमा यह सुझाव देते हैं कि यह दिन सामान्य धार्मिक कर्तव्यों की पूरी जिम्मेदारी से निपटने के लिए है, जबकि दूसरों ने यह भी कहा कि भारतीय मुसलमानों को होली के दिन अपने कर्तव्यों को निभाने में कोई हानि नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह दिन उन्हें अपनी धार्मिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में भी भाग लेने की स्वतंत्रता देता है।
