• December 26, 2025

फास्ट फूड का ‘जानलेवा’ शौक: 11वीं की छात्रा अहाना की मौत ने देश को दहलाया, अधूरी रह गई डॉक्टर बनने की हसरत

मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से एक ऐसी हृदयविदारक घटना सामने आई है जिसने आधुनिक जीवनशैली और खान-पान की आदतों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मोहल्ला अफगानान की रहने वाली 11वीं की छात्रा अहाना, जिसका सपना डॉक्टर बनकर लोगों की जान बचाना था, खुद फास्ट फूड की भेंट चढ़ गई। चाऊमीन, बर्गर, पिज्जा और मैगी जैसे जंक फूड के प्रति अत्यधिक शौक ने अहाना की आंतों को इस कदर नुकसान पहुंचाया कि उनमें छेद हो गए। कई दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ने के बाद अहाना ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में दम तोड़ दिया। अहाना की मौत केवल एक परिवार की क्षति नहीं है, बल्कि उन करोड़ों बच्चों और अभिभावकों के लिए एक चेतावनी है जो फास्ट फूड को दैनिक आहार का हिस्सा बना चुके हैं।

मामा से साझा किए आखिरी अल्फाज: ‘मैं बच्चों को सजग करना चाहती हूं’

अहाना के निधन के बाद उसके मामा गुलजार खान उर्फ गुड्डू ने उन भावुक क्षणों को याद किया जब अहाना अस्पताल के बिस्तर पर अपनी आखिरी सांसों से लड़ रही थी। गुलजार ने बताया कि अहाना को अपनी बीमारी की असल वजह पता चल गई थी। उसे इस बात का गहरा पछतावा था कि उसने अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ किया। अस्पताल में उसने अपने मामा से वादा किया था कि वह अब कभी फास्ट फूड को हाथ नहीं लगाएगी।

अहाना ने अपने मामा से कहा था, “मामा, मैं ठीक होने के बाद स्कूल-कॉलेज के बच्चों के पास जाऊंगी और उन्हें जागरूक करूंगी। मैं उन्हें बताऊंगी कि फास्ट फूड हमारी सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन है।” वह चाहती थी कि जो तकलीफ उसने सही, वह कोई और बच्चा न सहे। अहाना हाई स्कूल में 69 फीसदी अंक पाकर सफल हुई थी और वह डॉक्टर बनने की तैयारी कर रही थी। विडंबना देखिए कि जिस प्रोफेशन में लोग खान-पान के प्रति परहेज की सलाह देते हैं, उसी की पढ़ाई करने वाली छात्रा खुद इसका शिकार हो गई।

इलाज का लंबा दौर और टूटती उम्मीदें

अहाना के बीमार होने का सिलसिला तब शुरू हुआ जब उसे पेट में असहनीय दर्द की शिकायत हुई। जांच में पता चला कि फास्ट फूड के लगातार सेवन से उसकी आंतें गल चुकी थीं और उनमें गंभीर संक्रमण के कारण छेद हो गए थे। 3 दिसंबर की रात मुरादाबाद के एक निजी अस्पताल में उसका जटिल ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के बाद 10 दिन तक वह अस्पताल में रही और उसे छुट्टी दे दी गई। घर लौटने पर परिवार को लगा कि अहाना अब ठीक हो जाएगी, लेकिन कुछ ही दिनों बाद उसकी तबीयत फिर से बिगड़ गई। उसे आनन-फानन में दिल्ली के एम्स (AIIMS) ले जाया गया, जहां रविवार की रात डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद अहाना ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

भावुक पिता की सीएमओ से अपील: ‘बच्चों को बचा लीजिए’

बेटी को खोने के बाद पिता मंसूर अहमद और मां सारा खान पूरी तरह टूट चुके हैं। मंसूर खान ने अपनी व्यक्तिगत त्रासदी को समाज के लिए एक मिशन बनाने का फैसला किया है। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को एक बेहद भावुक पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने अपील की है कि स्वास्थ्य विभाग को तत्काल स्कूलों और कॉलेजों में एक सघन जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विभाग की टीमें बच्चों को विस्तार से बताएं कि फास्ट फूड शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को कैसे धीरे-धीरे खत्म कर देता है। मंसूर अहमद चाहते हैं कि उनकी बेटी का अधूरा मिशन—बच्चों को जागरूक करना—अब स्वास्थ्य विभाग पूरा करे, ताकि किसी और पिता को अपनी ‘अहाना’ न खोनी पड़े।

बहनों का अटूट प्रेम और घर में पसरा मातम

अहाना के परिवार ने बताया कि वह बेहद शांत स्वभाव की थी। उसकी छोटी बहन इशा मारिया के साथ उसका गहरा जुड़ाव था। अहाना के इलाज के दौरान इशा एक साये की तरह उसके साथ रही। उसने एक पल के लिए भी अपनी बहन का हाथ नहीं छोड़ा। इशा को पूरा भरोसा था कि उसकी दीदी ठीक होकर उसके साथ घर लौटेगी, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। अहाना की मौत के बाद से इशा सदमे में है और परिवार के अन्य सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है।

प्रशासन की सक्रियता: अब स्कूलों में चलेगा जागरूकता अभियान

अहाना की मौत की खबर देश भर में वायरल होने के बाद जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग भी हरकत में आ गया है। मुख्य विकास अधिकारी (CDO) अश्वनी कुमार मिश्रा ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि अब जिले के सभी स्कूलों में बच्चों को शुद्ध और पौष्टिक आहार के प्रति प्रेरित करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने एक महत्वपूर्ण योजना पर विचार करने की बात कही, जिसके तहत स्कूलों में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कैंटीन खोली जाएंगी। इससे न केवल महिलाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि बच्चों को घर जैसा शुद्ध और पौष्टिक भोजन भी मिल सकेगा।

डीएम के सख्त निर्देश: ठेलों पर बिकने वाले खाने की होगी जांच

जिलाधिकारी निधि गुप्ता वत्स ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्ट्रेट में एक बैठक बुलाई। उन्होंने सभी स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम अनिवार्य करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, डीएम ने खाद्य सुरक्षा विभाग को सख्त आदेश दिए हैं कि स्कूलों के आसपास लगने वाले फास्ट फूड के ठेलों और दुकानों पर बिकने वाली सामग्री की गुणवत्ता की नियमित जांच की जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले विक्रेताओं पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

डीआईओएस की सलाह: अभिभावकों की जिम्मेदारी भी तय हो

जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) डॉ. प्रवेश कुमार ने कहा कि स्कूलों को निर्देश जारी किए जा रहे हैं कि वे बच्चों को फास्ट फूड के दुष्प्रभावों के प्रति शिक्षित करें। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस लड़ाई में केवल स्कूल और प्रशासन ही काफी नहीं हैं, अभिभावकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। माता-पिता को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे बच्चों की टिफिन में पौष्टिक भोजन दें और उन्हें घर से बाहर का तला-भुना और अनहाइजीनिक भोजन खाने से रोकें।

अहाना की कहानी आज हर उस घर की कहानी है जहां बच्चे पौष्टिक भोजन के बजाय जंक फूड को प्राथमिकता दे रहे हैं। उसकी अधूरी इच्छा और उसके पिता की अपील समाज के लिए एक जागृति का आह्वान है।

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