विस की दो सीटों पर उपचुनाव में साख बचाने को मैदान में भाजपा
देहरादून, 21 जून ।लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव होना है। इसके मद्देनजर एक बार फिर चुनावी माहौल तैयार हो रहा है। हालांकि, यह चुनाव बद्रीनाथ और मंगलौर सीट पर होना है लेकिन पूूरे प्रदेश की इन पर निगाहें टिकी हैं। सत्ताधारी दल भाजपा के लिए यह चुनाव सीट की नहीं, बल्कि साख का है।
दरअसल, ये दोनों ही सीटें रिक्त होने से पहले भाजपा के विरोधियों के पास रही है। इसलिए सीटें नहीं, बल्कि साख बचाने का सवाल उसके सामने खड़ा है। साख इसलिए क्योंकि कुछ दिन पहले ही उसने लोकसभा की पांचों की पांचों सीटों को लगातार तीसरी बार जीतकर रिकार्ड कायम किया है।
बद्रीनाथ सीट की बात करें तो लोकसभा चुनाव से ऐन पहले इस सीट के विधायक और पूर्व मंत्री राजेंद्र भंडारी कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में आ गए थे। उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को शिकस्त दी थी। अब वह भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। बद्रीनाथ विधानसभा सीट चमोली जिले के अंतर्गत आती है और गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। कांग्रेस ने लखपत बुटोला को प्रत्याशी बनाया है, जो कि राजेंद्र भंडारी के साथ कांग्रेस में जरूर रहे हैं लेकिन जिला पंचायत की राजनीति में वह उनके लिए एक प्रतिस्पर्धी के तौर पर रहे हैं।
दरअसल, भंडारी तो पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष रहे हैं और उनकी पत्नी रजनी भंडारी वर्तमान में इस पद पर आसीन है। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जब-जब उनकी पत्नी को पद से हटाया गया है तब-तब जिला पंचायत उपाध्यक्ष लखपत बुटोला को ही अध्यक्ष की कुर्सी संभालने का मौका मिला है। इस वजह से दोनों बीच एक प्रतिद्वंद्विता हमेशा दिखाई दी है। अब चुनाव में दोनों आमने-सामने हैं।
दूसरी तरफ, मंगलौर सीट किसी के पाला बदल से रिक्त नहीं हुई, बल्कि बसपा विधायक सरबत करीम अंसारी के निधन के कारण यहां पर उपचुनाव की नौबत आई है। बसपा ने उनके बेटे उबैदुर्ररहमान को टिकट दिया है जबकि इस सीट पर पिछला चुनाव बहुत कम वोटों से हारे कांग्रेस के तेजतर्रार नेता काजी निजामुद्दीन पर पार्टी ने भरोसा किया है। इस सीट का इतिहास खंगालें, तो बसपा या फिर कांग्रेस को जीत हासिल हुई है। भाजपा के लिए यहां पर जीत दर्ज करना हमेशा से टेढ़ी खीर रहा है। इस बार भाजपा ने यहां पर एक नया प्रयोग किया है। उत्तराखंड से बाहर के राज्यों से विधायक और सांसद रह चुके करतार सिंह भडाना को टिकट दिया गया है। मंगलौर सीट हरिद्वार जिले के अंतर्गत आती है। संसदीय क्षेत्र भी हरिद्वार ही है।
इन दोनों ही सीटों पर 10 जुलाई को मतदान होना है। सीट बचाने की चुनौती कांग्रेस और बसपा के सिर पर है। क्योंकि, 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने ही इन सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा पर इस लिहाज से कोई दबाव नहीं है लेकिन उसके सामने साख का सवाल जरूर खड़ा है। गढ़वाल और हरिद्वार दोनों ही सीटों पर लोकसभा चुनाव में भाजपा ने डेढ़ से दो लाख के अंतर से विजय प्राप्त की है। इसके अलावा उत्तराखंड में विधानसभा सीटों के उपचुनाव पर गौर करें तो इसके नतीजे हमेशा सत्तासीन दल के पक्ष में ही दिखे हैं। इन स्थितियों के बीच, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि भाजपा अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखेगी और दोनों सीटों पर जीत हासिल करेगी।