• December 26, 2025

मुगल बादशाह अकबर को कुंभ क्षेत्र में ईसाई बनाने का हुआ था प्रयास

लखनऊ : धर्म परिवर्तन की घटना की चर्चा में मुगल बादशाह अकबर के भी ईसाई बनाने के प्रयास का गवाह रहा है।यह सम्भवतः 1576 की है।कुंभ गणना के उपलब्ध तथ्यों के अनुसार वह अर्ध कुंभ का साल था। 1575 में मुगल बादशाह अकबर दूसरी बार तब के इलाहाबाद आया और यहां लंबे समय तक रुका रहा। उसी समय अकबर ने अपना प्रसिद्ध किला बनवाना शुरू किया।पहली बार अकबर नगर के पास कड़ा के सरदार अलीकुली खां की बगावत को कुचलने पहुंचा था।जब अकबर यहां रहने का मन बनाया।तब तक इस धर्म क्षेत्र के बारे में बहुत सी जानकारी इकट्ठा कर ली थी।

संगम में स्नान के साथ इस क्षेत्र में होने वाली धर्म चर्चाओं ने अकबर पर भी असर डाला।धर्म का ही प्रभाव था कि अकबर शहर का नाम इलाहाबास यानी ईश्वर की जगह रखा जो बाद में बदलकर इलाहाबाद हुआ।इसी जगह पर किले में अकबर ने एक इबादतखाना भी बनवाया और यहीं उसे ईसाई बनाने का प्रयास हुआ था। प्रयागराज का कुंभ क्षेत्र तो डॉ. हेरम्ब चतुर्वेदी द्वारा लिखी गई पुस्तक कुम्भः ऐतिहासिक वांग्मय में यह तथ्य शामिल किया गया है।

पास्टर मोंसेरेंट ने पुर्तगाल सरकार को जानकारी दी कि अकबर इस समय प्रयागराज में है।बाद में मोंसेरेंट के अकबर के दरबार में भी हाजिर होने का प्रमाण मिलता है। बहरहाल, पुर्तगाल का प्रसिद्ध पास्टर मिशनरी वेदेत्ति भारत पहुंचा। कुंभ क्षेत्र के साथ अकबर के किले में स्थित इबादखाने में भी धर्म चर्चा चल रही थी। उसी समय अकबर से सम्पर्क कर उसे मिशन के बारे में जानकारी देकर प्रभाव में लेने की कोशिश हुई। मुगल बादशाह अकबर ने भांप लिया कि यह धर्म परिवर्तन की कोशिश है।अकबर को लगा कि धार्मिक चर्चा के लिए बनवाये इबादतखाने में धर्म के नाम पर झगड़े हो रहे हैं। उसने यह कहते हुए इबादतखाना बंद करवा दिया कि धर्म चर्चा तो कुंभ में ही सम्भव है।

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