ज्ञानवापी केस: HC का बड़ा फैसला, ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग की दी इजाजत

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है हाई कोर्ट में फैसला सुनाते हुए शिवलिंग की कार्बन डेटिंग करने की अनुमति प्रदान की है। सुनवाई के दौरान आदेश दिया कि शिवलिंग में किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया जाए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच और साइंटिफिक सर्वे की मांग को लेकर दाखिल याचिका स्वीकार कर ली है और एएसआई को बिना नुकसान पहुंचाए शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच करने का आदेश दे दिया है।
इस याचिका पर सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एमपी चतुर्वेदी और मुख्य स्थाई अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडे ने पक्ष रखा जिसमें कहा कि कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता कि क्या शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बगैर कार्बन डेटिंग की जांच की जा सकती है क्योंकि जहां से शिवलिंग की आयु का पता चलेगा। वही एसआई ने कहा कि नक्षत्र शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच की जा सकती है।
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क्या होती है कार्बन डेटिंग
कार्बन डेटिंग आखिर क्या होती है और इस परीक्षण से किन चीजों को लेकर नतीजे निकाले जा सकते हैं इस बारे में बीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृत और पुरातत्व विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अशोक सिंह ने कहा कि कार्बन डेटिंग केवल उन्हीं चीजों की की जा सकती जिसमें कभी कार्बन रहा इसका सीधा साधा मतलब हुआ कि कोई भी सजीव वस्तु जिसके अंदर कार्बन होता है जब वह अमृत हो जाती तब उसके बच्चे हुए अवशेष की गणना करके कार्बन डेटिंग की जाती है जैसे हड्डी, लकड़ी का कोयला, घोंघा इन सभी चीजों के मृत हो जाने के बाद भी कार्बन डेटिंग की जा सकती है।
