उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र: योगी सरकार की अभेद्य रणनीति और वंदे मातरम पर विशेष विमर्श
उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश की राजनीति का केंद्र लखनऊ आज एक बार फिर भारी गहमागहमी का गवाह बनने जा रहा है। उत्तर प्रदेश विधानमंडल का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है, जिसके हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं। प्रदेश की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की है, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी ‘टीम’ को विपक्ष के हर वार का डटकर मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार रहने का निर्देश दिया है। रविवार को हुई भाजपा विधानमंडल दल की बैठक में मुख्यमंत्री ने जो तेवर दिखाए, उससे यह स्पष्ट है कि सरकार इस सत्र में रक्षात्मक होने के बजाय आक्रामक रुख अपनाएगी।
मंत्रियों और विधायकों को सीएम की दो टूक हिदायत
रविवार को लोकभवन में आयोजित भाजपा विधानमंडल दल की महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगामी सत्र के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि विपक्ष का काम सवाल उठाना है, लेकिन उन सवालों का जवाब तथ्यों के साथ देना सरकार की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने विभागों से संबंधित आंकड़ों और रिपोर्टों के साथ पूरी तैयारी करके सदन में आएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी मंत्री या विधायक को सदन के भीतर निरुत्तर नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री का मानना है कि यदि तैयारी पुख्ता हो, तो विपक्ष के किसी भी नैरेटिव को आसानी से ध्वस्त किया जा सकता है।
तथ्यों के साथ शालीनता का मंत्र
योगी आदित्यनाथ ने अपने विधायकों और मंत्रियों को एक महत्वपूर्ण मंत्र दिया—’तथ्यों पर आधारित शालीनता’। मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्सर विपक्ष सदन की कार्यवाही के दौरान उत्तेजित होकर गलत आरोप लगाता है या सदन को गुमराह करने की कोशिश करता है। ऐसे में सत्ता पक्ष के सदस्यों को अपना आपा खोने की जरूरत नहीं है। उन्होंने हिदायत दी कि विपक्ष के तीखे हमलों और गलत आरोपों का जवाब बहुत ही शालीन तरीके से, लेकिन दमदार तथ्यों के साथ दिया जाना चाहिए। सीएम ने सख्त लहजे में यह भी कहा कि कोई भी सदस्य सदन में ऐसा कोई बयान न दें, जिससे सरकार या भारतीय जनता पार्टी की स्थिति असहज हो जाए। अनुशासन और भाषाई मर्यादा को उन्होंने सर्वोपरि बताया।
वंदे मातरम के 150 वर्ष: राष्ट्रीय अस्मिता का गौरव
इस सत्र का सबसे महत्वपूर्ण और भावनात्मक पहलू ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने पर आयोजित होने वाली विशेष चर्चा है। मुख्यमंत्री ने इसे केवल एक संसदीय प्रक्रिया नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़ा विषय बताया। उन्होंने सभी विधायकों को इस विशेष चर्चा के दौरान अनिवार्य रूप से सदन में उपस्थित रहने का आदेश दिया है। योगी आदित्यनाथ ने आगाह किया कि विपक्ष इस चर्चा के दौरान ध्यान भटकाने या मुद्दे को मोड़ने का प्रयास कर सकता है, लेकिन सत्ता पक्ष को अपने लक्ष्य पर अडिग रहना है। सरकार की योजना है कि इस चर्चा के माध्यम से राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक गौरव के संदेश को जनता तक प्रभावी ढंग से पहुँचाया जाए। इसके लिए विधायकों को गंभीरता से अध्ययन करके सदन में आने को कहा गया है।
अनुपूरक बजट और विकास का रोडमैप
सोमवार का दिन विधायी कार्यों के लिहाज से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने बताया कि दोनों सदनों में अनुपूरक अनुदान मांगें पेश की जाएंगी। यह अनुपूरक बजट सरकार की आगामी विकास योजनाओं और चल रही परियोजनाओं को गति देने के लिए आवश्यक है। सूत्रों का कहना है कि इस बजट में आगामी महाकुंभ, बुनियादी ढांचे के विकास और औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रावधान किए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों को बजट पेश किए जाने के समय सदन में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है ताकि विधायी कार्यों को बिना किसी बाधा के संपन्न कराया जा सके।
कैबिनेट बैठक और बड़े फैसलों की उम्मीद
विधानसभा सत्र की शुरुआत से ठीक पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट की एक महत्वपूर्ण बैठक भी होने वाली है। इस बैठक में न केवल अनुपूरक बजट के प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी दी जाएगी, बल्कि प्रदेश के विकास से जुड़े कई अन्य अहम प्रस्तावों पर भी मुहर लग सकती है। माना जा रहा है कि निवेश के नए प्रस्तावों, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे से जुड़ी कुछ नई योजनाओं को भी कैबिनेट से हरी झंडी मिल सकती है। यह कैबिनेट बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से सरकार जनता को यह संदेश देना चाहती है कि वह जनहित के कार्यों और विकास की गति को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
विपक्ष की घेराबंदी और सत्ता पक्ष की ढाल
दूसरी ओर, विपक्ष ने भी बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था, और महंगाई जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। समाजवादी पार्टी के विधायक दल की बैठक में भी सरकार को विभिन्न मोर्चों पर घेरने की रणनीति बनी है। हालांकि, भाजपा ने इसकी काट के तौर पर अपनी उपलब्धियों का एक विस्तृत ब्यौरा तैयार किया है। मुख्यमंत्री ने विधायकों को निर्देश दिया है कि वे सरकार द्वारा किए गए जनहित के कार्यों को जनता और सदन के सामने मजबूती से रखें। विशेष रूप से महिला सुरक्षा, भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस और औद्योगिक निवेश के आंकड़ों को विपक्ष के आरोपों के खिलाफ एक ढाल के रूप में इस्तेमाल करने की योजना है।
निष्कर्ष: संसदीय लोकतंत्र की परीक्षा
उत्तर प्रदेश विधानमंडल का यह शीतकालीन सत्र केवल विधायी कार्यों तक सीमित नहीं रहने वाला है, बल्कि यह 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले अपनी-अपनी विचारधारा और कार्यों को जनता के सामने पेश करने का एक बड़ा मंच भी बनेगा। जहां विपक्ष सरकार की खामियों को उजागर कर जनमत अपने पक्ष में करने की कोशिश करेगा, वहीं योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा अपनी ‘प्रो-इंकम्बेंसी’ और ‘राष्ट्रवाद’ के कार्ड के साथ सदन में उतरेगी। मुख्यमंत्री के कड़े निर्देशों और वंदे मातरम पर विशेष चर्चा के फैसले ने यह साफ कर दिया है कि भाजपा इस बार बैकफुट पर नहीं, बल्कि फ्रंटफुट पर खेलकर सत्र का एजेंडा तय करने वाली है। आज से शुरू हो रहा यह सत्र यूपी की राजनीति की दिशा और दशा तय करने में मील का पत्थर साबित होगा।