• December 25, 2025

राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख संत और पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का निधन

रीवा/अयोध्या, 15 दिसंबर 2025: श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख स्तंभों में शुमार पूर्व भाजपा सांसद और संत डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार को मध्य प्रदेश के रीवा में निधन हो गया। वे 67 वर्ष के थे। रीवा के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल (सुपर स्पेशलिटी) में इलाज के दौरान दोपहर साढ़े बारह बजे के करीब उन्होंने अंतिम सांस ली। डॉ. वेदांती पिछले कुछ दिनों से मध्य प्रदेश के रीवा जिले में रामकथा वाचन कर रहे थे। रविवार को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी, जब उन्हें यूरिन इंफेक्शन और सीने में दर्द की शिकायत हुई। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां रात में हार्ट अटैक आया और सुबह स्थिति फिर बिगड़ी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भोपाल एयरलिफ्ट की व्यवस्था कराई, लेकिन खराब विजिबिलिटी के कारण विमान नहीं उतर सका। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी मेदांता अस्पताल में शिफ्ट करने की कोशिश की, लेकिन डॉक्टरों ने स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव को देखते हुए इजाजत नहीं दी। अंततः दोपहर में उनकी सांसें थम गईं।उनका पार्थिव शरीर अयोध्या लाया जा रहा है, जहां मंगलवार को सरयू नदी में जल समाधि दी जाएगी।

सीएम योगी ने जताया गहरा शोक
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ. वेदांती के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख स्तंभ पूर्व सांसद और श्री अयोध्या धाम स्थित वशिष्ठ आश्रम के पूज्य संत डॉ. रामविलास वेदांती जी महाराज का गोलोकगमन आध्यात्मिक जगत और सनातन संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका जाना एक युग का अवसान है। धर्म, समाज व राष्ट्र की सेवा को समर्पित उनका त्यागमय जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा है। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान और शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।”
कौन थे डॉ. रामविलास वेदांती?
7 अक्टूबर 1958 को जन्मे डॉ. वेदांती राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे। वे विश्व हिंदू परिषद से जुड़े रहे और 1992 के बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी थे (बाद में बरी हुए)। भाजपा से दो बार सांसद चुने गए – 1996 में मछलीशहर और 1998 में प्रतापगढ़ से। वे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य भी थे और आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संत समाज और राम भक्तों में उनके निधन से शोक की लहर है।
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