• December 26, 2025

अमेरिकी टैरिफ की मार झेला, फिर भी चमके भारत का निर्यात—नए बाजारों ने खोले दरवाजे

3 नवंबर 2025, नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ तीर ने भारत को निशाना बनाया, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह तीर उल्टा पड़ गया? ज्वेलरी, कपड़े और सीफूड जैसे सेक्टर्स में निर्यात की रफ्तार न सिर्फ बरकरार रही, बल्कि नए बाजारों ने भारत को गले लगा लिया। वैश्विक विश्लेषकों के ‘डूबेंगे’ वाले अनुमान चूर-चूर। मध्य पूर्व से यूरोप तक, दक्षिण-पूर्व एशिया से अफ्रीका तक—भारत ने निर्भरता तोड़ी, विविधीकरण की मिसाल कायम की। क्या यह आर्थिक चमत्कार है या रणनीतिक जीत? आंकड़ों की यह कहानी न सिर्फ निर्यातकों को हौसला देगी, बल्कि वैश्विक व्यापार की नई तस्वीर भी पेश करेगी।

समुद्री उत्पादों की लहर: वियतनाम-बेल्जियम ने बढ़ाया स्वागत

2025 के जनवरी-सितंबर में भारत का सीफूड निर्यात 15.6% उछलकर 4.83 अरब डॉलर पर पहुंचा। अमेरिका अभी भी टॉप बाजार है (1.44 अरब डॉलर), लेकिन असली धमाल नए गंतव्यों में। वियतनाम में मांग 100.4% फूली, बेल्जियम में 73%, थाईलैंड में 54.4%। मलेशिया (64.2%), जापान (10.9%) और चीन (9.8%) भी पीछे नहीं। उच्च गुणवत्ता वाले झींगे, फिश फिलेट और स्क्विड की डिमांड ने भारत को चमकाया। मरीन फूड प्रोसेसिंग में तकनीकी अपग्रेड और ट्रेसिबिलिटी ने विदेशी खरीदारों का भरोसा जीता। अमेरिकी 50% टैरिफ की मार झेलते हुए भी, भारत ने एशिया-यूरोप में पैर जमा लिया। विशेषज्ञ कहते हैं, यह फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स की देन है—जैसे यूएई CEPA। निर्यातक उत्साहित, कहते हैं कि लो लॉजिस्टिक्स कॉस्ट ने नए बाजारों को आसान बना दिया। क्या यह लहर बंगाल की खाड़ी से वैश्विक मेनस्ट्रीम तक पहुंचेगी?

कपड़ा क्षेत्र की धागा-वारी: अफ्रीका-लैटिन अमेरिका बने नए साथी

टेक्सटाइल और गारमेंट्स ने भी कमाल दिखाया—1.23% ग्रोथ के साथ 28.05 अरब डॉलर। यूएई में 8.6% (136.5 मिलियन डॉलर) की तेजी, जहां दुबई-शारजाह री-एक्सपोर्ट हब बन रहे। यूरोप में नीदरलैंड (11.8%), पोलैंड (24.1%), स्पेन (9.1%) ने भारतीय फैब्रिक को अपनाया। अफ्रीका के मिस्र (24.5%), नाइजीरिया और लैटिन अमेरिका के पेरू ने नए बाजार खोले। सस्टेनेबल फैब्रिक, मेक इन इंडिया प्रोत्साहन और किफायती प्रोडक्शन ने यह संभव किया। अमेरिकी टैरिफ ने 20-25% निर्भरता को झकझोर दिया, लेकिन भारत ने विविधीकरण से जवाब दिया। PLI स्कीम्स ने कॉस्ट कटाई में मदद की। निर्यातक बताते हैं, पर्यावरण-अनुकूल कपड़ों की डिमांड ने युवा डिजाइनर्स को मौका दिया। क्या यह धागा वैश्विक सप्लाई चेन को नया आकार देगा, या ट्रंप की नीतियां फिर चुनौती देंगी?

ज्वेलरी की चमक बरकरार: सऊदी-कोरिया ने खोले खजाने

जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर ने 1.24% ग्रोथ से 22.73 अरब डॉलर का आंकड़ा छुआ। यूएई ने लीड किया—37.7% (1.93 अरब डॉलर) उछाल। दक्षिण कोरिया में 134%, सऊदी अरब में 68%, कनाडा में 41% की तेजी। कट-पॉलिश डायमंड्स, गोल्ड ज्वेलरी और लैब-ग्रोन डायमंड्स की वैश्विक भूख बढ़ी। अमेरिका पर निर्भरता घटाकर भारत ने यूरोप-खाड़ी को स्थायी पार्टनर बनाया। सप्लाई चेन रेजिलिएंस ने अमेरिकी 50% टैरिफ को झेलने की ताकत दी। रिपोर्ट्स कहती हैं, भारत अब वैकल्पिक सोर्सिंग हब है—चीन की कमी पूरी कर रहा। निर्यातक उत्साहित, बताते हैं कि तेज पेमेंट और कल्चरल मैच ने सौदे आसान किए। क्या यह चमक दीवाली की रोशनी से आगे, वैश्विक अर्थव्यवस्था को रोशन करेगी?
Digiqole Ad

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *