भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 42% उछला: चीन की नींद हराम, PLI योजना का कमाल
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर 2025: भारत की अर्थव्यवस्था में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र तेजी से उभर रहा है, जो पारंपरिक निर्यात को पीछे छोड़ रहा है। वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 42% बढ़कर 22.2 अरब डॉलर हो गया, जो टॉप-30 श्रेणियों में सबसे तेज विकास है। यह उछाल 2020 की PLI योजना की देन है, जिसने ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत को मजबूत बनाया। चीन के लिए यह चिंता का विषय है, क्योंकि भारत अब वैकल्पिक हब बन रहा है। लेकिन यह सफलता कैसे हासिल हुई? आइए, तीन हिस्सों में समझते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात की छलांग और पारंपरिक सेक्टरों का पतन
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, FY26 की पहली छमाही में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 15.6 अरब डॉलर से बढ़कर 22.2 अरब डॉलर हो गया, यानी 42% की वृद्धि। यह सेक्टर अब इंजीनियरिंग उत्पादों (59.3 अरब डॉलर) के बाद दूसरे स्थान पर है, जबकि पेट्रोलियम निर्यात 16.4% गिरकर 30.6 अरब डॉलर रह गया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि FY28 तक इलेक्ट्रॉनिक्स पेट्रोलियम को पछाड़ सकता है, क्योंकि दोनों के बीच का अंतर 24.7 अरब डॉलर से घटकर 16 अरब डॉलर रह सकता है। PLI योजना ने FY23 के 23.5 अरब डॉलर से FY25 तक 38.5 अरब डॉलर तक निर्यात पहुंचाया, जो 63% की छलांग है। मोबाइल फोन निर्यात में 127 गुना वृद्धि हुई, जो 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। यह बदलाव भारत को संसाधन-आधारित से तकनीकी निर्यात की ओर ले जा रहा है।
PLI योजना की शुरुआत और Apple-Foxconn का योगदान
यह सफलता 2020 की PLI योजना से शुरू हुई, जब कोविड महामारी ने ग्लोबल सप्लाई चेन को चीन पर निर्भरता दिखाई। सरकार ने मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये की योजना लॉन्च की, जिसमें 4-6% प्रोत्साहन दिया गया। हाई-वैल्यू स्मार्टफोन्स (15,000 रुपये से ऊपर) पर फोकस ने Apple, Samsung को आकर्षित किया। FY26 H1 में Apple के iPhone निर्यात 10 अरब डॉलर (कुल का 45%) रहा, और वैश्विक iPhone उत्पादन का 20% भारत में हो रहा है। Foxconn ने तमिलनाडु में 15,000 करोड़ का निवेश किया, जिससे 14,000 नौकरियां बनीं। कर्नाटक का 22,000 करोड़ का प्लांट iPhone 17 असेंबल कर रहा है, जबकि उत्तर प्रदेश में HCL के साथ OSAT प्लांट 2027 तक चालू होगा। PLI ने 13,107 करोड़ निवेश आकर्षित किया, जिससे 8.56 लाख करोड़ उत्पादन और 4.65 लाख करोड़ निर्यात हुआ, साथ ही 1.35 लाख नौकरियां बनीं।
चीन के लिए चुनौती और भारत की भविष्य की राह
चीन की बढ़ती टेंशन इसलिए है क्योंकि भारत अब ‘China+1’ मॉडल का प्रमुख विकल्प बन रहा है। राजनीतिक स्थिरता, प्रोत्साहन और कुशल श्रम ने निवेशकों को लुभाया। FY26 Q2 में भारत अमेरिका का सबसे बड़ा स्मार्टफोन आपूर्तिकर्ता बन गया, जो 2014 में 78% आयात पर निर्भर था। पेट्रोलियम निर्यात में गिरावट रूसी तेल प्रतिबंधों और अमेरिकी टैरिफ से आई। भारत की ECMS योजना ने 1.15 लाख करोड़ निवेश प्रस्ताव लाए, जो 10 लाख करोड़ उत्पादन और 1.4 लाख नौकरियां पैदा करेगी। SPECS और EMC योजनाएं सेमीकंडक्टर, मेडिकल डिवाइस तक फैल रही हैं। NPE 2019 के तहत 2030 तक 500 अरब डॉलर उत्पादन का लक्ष्य है। यह क्रांति भारत को ESDM का वैश्विक केंद्र बनाएगी, जहां निर्यात न केवल मात्रा में, बल्कि वैल्यू में भी बढ़ेगा।