• December 25, 2025

KGMU डॉक्टर भर्ती में धांधली का आरोप: 78 SC/ST डॉक्टर अयोग्य, SGPGI के चिकित्सक भी रिजेक्ट; शासन ने मांगी इंटरव्यू रिकॉर्डिंग

लखनऊ/ 21 अगस्त, 2025 : KGMU में डॉक्टर भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं। 78 SC/ST डॉक्टर अयोग्य करार दिए गए, यहां तक कि SGPGI के चिकित्सक भी रिजेक्ट कर दिए गए। शासन ने इंटरव्यू की रिकॉर्डिंग और सभी दस्तावेज तलब किए हैं। यूपी के टॉप मेडिकल संसथान SGPGI के फैकल्टी डॉक्टर भी KGMU की डॉक्टर भर्ती के लिए योग्य नहीं माने गए।

भर्ती प्रक्रिया पर उठे सवाल

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में चल रही डॉक्टर भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आरोप है कि भर्ती में भारी धांधली हुई है। बड़ी संख्या में योग्य अभ्यर्थियों को अयोग्य करार दिया गया, जिससे पूरे प्रदेश में विवाद खड़ा हो गया है।

 

78 SC/ST डॉक्टर हुए अयोग्य

सूत्रों के अनुसार भर्ती प्रक्रिया में 78 SC/ST वर्ग के डॉक्टरों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। इस फैसले ने न केवल अभ्यर्थियों को हिलाकर रख दिया है बल्कि सामाजिक न्याय और आरक्षण व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

SGPGI के चिकित्सक भी रिजेक्ट

हैरानी की बात यह है कि भर्ती प्रक्रिया में SGPGI जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के चिकित्सक भी रिजेक्ट कर दिए गए हैं। इससे यह साफ हो रहा है कि चयन प्रक्रिया में कहीं न कहीं गड़बड़ी हुई है

 

शासन ने की कड़ी कार्रवाई

भर्ती पर उठते विवादों को देखते हुए शासन ने तुरंत कार्रवाई की है। सरकार ने इंटरव्यू की रिकॉर्डिंग और सभी दस्तावेज तलब किए हैं। अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि भर्ती प्रक्रिया से जुड़ी हर जानकारी पारदर्शी तरीके से प्रस्तुत की जाए।

अभ्यर्थियों में आक्रोश

भर्ती प्रक्रिया से बाहर किए गए अभ्यर्थियों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि उन्होंने सभी मानकों को पूरा किया था, बावजूद इसके उन्हें जानबूझकर बाहर किया गया। अभ्यर्थियों ने शासन से न्याय की मांग की है।

जांच की मांग तेज

अब यह मामला जांच के घेरे में आ चुका है। कई सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने स्वतंत्र जांच की मांग उठाई है। उनका कहना है कि यदि इस तरह की धांधली भर्ती प्रक्रिया में होती रही तो योग्य उम्मीदवारों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा।

KGMU की साख पर असर

यह पूरा विवाद KGMU जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की साख पर सवाल खड़ा कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता सबसे अहम है और ऐसी घटनाएं संस्थान की विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं।

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