कानपुर में बाइक छूने की मामूली बात पर नाबालिग की बेरहम पिटाई, इलाज के दौरान मौत
कानपुर, 29 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक दिल दहला देने वाली घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। कल्याणपुर थाना क्षेत्र में 24 अप्रैल को बाइक छू जाने की मामूली बात पर कुछ दबंगों ने 17 वर्षीय नाबालिग सुमित वाल्मीकि की इतनी बेरहमी से पिटाई की कि उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। सुमित के सिर की हड्डियां नौ जगह टूटी मिलीं, और उसके शरीर पर कई गहरे जख्म थे। इस दौरान वह मदद के लिए चिल्लाता रहा, लेकिन आसपास मौजूद लोगों ने उसकी मदद नहीं की। यह घटना न केवल सामाजिक असंवेदनशीलता को उजागर करती है, बल्कि कानपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल उठाती है।
घटना का विवरण: एक छोटी सी बात का खौफनाक अंजाम
पुलिस और स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह घटना 24 अप्रैल की शाम को कल्याणपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत हुई। सुमित वाल्मीकि, जो एक दलित परिवार से ताल्लुक रखता था, अपनी बाइक पर सवार था, जब उसकी बाइक गलती से पड़ोस के एक युवक गुड्डू की बाइक से छू गई। इस छोटी सी बात पर गुड्डू और उसके साथियों में सुमित के साथ कहासुनी शुरू हो गई। मामला यहीं खत्म हो सकता था, लेकिन गुड्डू और उसके साथियों ने इसे व्यक्तिगत अपमान मान लिया।
देर शाम करीब डेढ़ दर्जन युवक सुमित के घर पहुंचे। उन्होंने सुमित को जबरन घर से खींचकर बाहर निकाला और गली में ले जाकर उसकी बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी। हमलावरों ने लोहे की रॉड, डंडों और ईंटों से सुमित पर ताबड़तोड़ वार किए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुमित मदद के लिए चिल्लाता रहा, लेकिन आसपास के लोग मूकदर्शक बने रहे। हमलावरों ने सुमित के सिर, चेहरे और शरीर पर इतने प्रहार किए कि उसका शरीर खून से लथपथ हो गया। कुछ सूत्रों का दावा है कि हमलावरों ने सुमित के नाखून तक नोच डाले।
अस्पताल में इलाज के दौरान मौत
गंभीर हालत में सुमित को स्थानीय लोगों ने किसी तरह अस्पताल पहुंचाया, जहां उसे हैलट अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया। डॉक्टरों ने बताया कि सुमित के सिर में नौ जगह हड्डियां टूटी थीं, और उसका मस्तिष्क गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त था। इसके अलावा, उसके शरीर पर कई गहरे जख्म और फ्रैक्चर थे। चिकित्सकों ने उसकी जान बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन 27 अप्रैल को इलाज के दौरान सुमित ने दम तोड़ दिया।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने इस घटना की भयावहता को और उजागर किया। रिपोर्ट के अनुसार, सुमित के सिर की हड्डियां धंस गई थीं, और उसके शरीर पर कई जगह गहरे घाव थे। यह पिटाई इतनी क्रूर थी कि सुमित के बचने की संभावना न के बराबर थी।

पुलिस की कार्रवाई और जांच
घटना की सूचना मिलते ही कल्याणपुर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या और साक्ष्य छिपाने का मुकदमा दर्ज किया है। डीसीपी (पश्चिम) विजय ढुल ने बताया कि जांच में अभी तक हत्या का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, लेकिन पुलिस इस मामले को हत्या और दुर्घटना दोनों पहलुओं से जांच रही है।
पुलिस ने मुख्य आरोपी गुड्डू और उसके कुछ साथियों को हिरासत में लिया है। सीसीटीवी फुटेज और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधार पर पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है। फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और साक्ष्य जुटाए हैं। पुलिस ने सुमित के परिवार के बयानों को भी दर्ज किया है, जिसमें परिवार ने गुड्डू और उसके साथियों पर सुमित को जानबूझकर मारने का आरोप लगाया है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस घटना ने दलित समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है। कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय नेताओं ने सुमित के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर भी इस घटना को लेकर गुस्सा देखा जा रहा है। कई यूजर्स ने इस घटना को दलितों के खिलाफ बढ़ती हिंसा से जोड़ा है। एक यूजर ने लिखा, “कानपुर की घटना ने साबित कर दिया कि दलितों की जान की कोई कीमत नहीं है। बसपा की मजबूती ही हमें सुरक्षित कर सकती है।”
वहीं, कुछ यूजर्स ने इस घटना को सामाजिक असमानता और कानून-व्यवस्था की विफलता से जोड़ा। एक अन्य यूजर ने लिखा, “बाइक छूने की छोटी सी बात पर इतनी क्रूरता? यह समाज कहां जा रहा है?”
सामाजिक असंवेदनशीलता का सवाल
सुमित की पिटाई के दौरान आसपास के लोगों द्वारा मदद न करना इस घटना का सबसे दुखद पहलू है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुमित की चीखें सुनकर भी लोग चुप रहे। यह घटना समाज में बढ़ती असंवेदनशीलता को दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि लोग डर, उदासीनता या कानूनी पचड़ों से बचने के कारण ऐसी घटनाओं में हस्तक्षेप करने से कतराते हैं।
चिकित्सा विशेषज्ञों की राय
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, सुमित की मौत का मुख्य कारण सिर की गंभीर चोटें थीं। न्यूरोसर्जन डॉ. अजय शर्मा ने बताया कि सिर में नौ जगह हड्डियों का टूटना और मस्तिष्क में रक्तस्राव ऐसी चोटें हैं, जिनका समय पर इलाज न हो तो बचने की संभावना बहुत कम होती है। उन्होंने कहा, “ऐसे मामलों में तत्काल मेडिकल इंटरवेंशन जरूरी है, लेकिन सुमित की हालत इतनी गंभीर थी कि चिकित्सा सुविधाएं भी उसे बचा नहीं सकीं।”
कानूनी और सामाजिक निहितार्थ
यह घटना कानपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाती है। पिछले कुछ वर्षों में कानपुर में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां छोटी-छोटी बातों पर हिंसा हुई है। अक्टूबर 2023 में भी कानपुर में एक 15 वर्षीय नाबालिग ने रैश ड्राइविंग से दो बच्चों की जान ले ली थी, लेकिन उस मामले में कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई थी।
कानपुर के सामाजिक कार्यकर्ता रमेश वाल्मीकि ने कहा, “यह घटना दलित समुदाय के खिलाफ हिंसा का एक और उदाहरण है। समाज में अभी भी जातिगत भेदभाव और दबंगई मौजूद है। हमें एकजुट होकर ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठानी होगी।”
