• October 15, 2025

रॉबर्ट वाड्रा की ईडी पेशी: हरियाणा जमीन सौदे में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच तेज

नई दिल्ली, 15 अप्रैल 2025: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हरियाणा के शिकोहपुर में एक जमीन सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा को पूछताछ के लिए तलब किया। यह दूसरा समन था, क्योंकि वाड्रा 8 अप्रैल को जारी पहले समन पर पेश नहीं हुए थे। मंगलवार को वाड्रा नई दिल्ली में ईडी कार्यालय पहुंचे और जांच एजेंसी के सामने अपना बयान दर्ज कराया। इस मामले ने एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, क्योंकि वाड्रा ने इसे “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” करार दिया है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 2008 के एक जमीन सौदे से जुड़ा है, जिसमें वाड्रा की कंपनी, स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने शिकोहपुर में 3.5 एकड़ जमीन को 7.5 करोड़ रुपये में खरीदा था। बाद में इस जमीन को डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया गया। आरोप है कि इस सौदे में अनियमितताएं हुईं, खासकर तब जब जमीन का उपयोग बदलकर व्यावसायिक लाइसेंस प्राप्त किया गया। ईडी का दावा है कि इस लेनदेन में मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू हो सकते हैं, जिसके चलते वह इसकी गहन जांच कर रही है। जांच एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया है।
ईडी ने अपनी जांच में पाया कि स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और डीएलएफ के बीच हुए इस सौदे में वित्तीय लेनदेन संदिग्ध हैं। इसके अलावा, हरियाणा सरकार द्वारा जमीन के उपयोग में बदलाव और लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठे हैं। जांच एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस सौदे से उत्पन्न मुनाफा अवैध गतिविधियों से जुड़ा था।
वाड्रा का पक्ष
ईडी कार्यालय से बाहर निकलने के बाद रॉबर्ट वाड्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा, “यह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। मैंने कोई गलत काम नहीं किया है। मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं है, फिर भी मुझे बार-बार परेशान किया जा रहा है।” उन्होंने दावा किया कि यह जांच उनकी पत्नी प्रियंका गांधी और कांग्रेस पार्टी को निशाना बनाने का हिस्सा है। वाड्रा ने कहा कि वह जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं और सभी सवालों के जवाब दे रहे हैं।
वाड्रा ने यह भी कहा कि यह मामला पुराना है और पहले भी इसकी जांच हो चुकी है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर बार-बार उसी मामले को क्यों उठाया जा रहा है। उनके वकील ने बताया कि वाड्रा ने ईडी को सभी जरूरी दस्तावेज सौंपे हैं और जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने राजनीतिक दलों के बीच तीखी बयानबाजी को जन्म दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे कानून का पालन करने की दिशा में एक कदम बताया है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “कानून सबके लिए बराबर है। अगर कोई गड़बड़ी हुई है, तो उसकी जांच होनी चाहिए। ईडी अपना काम कर रही है और सच्चाई जल्द सामने आएगी।”
दूसरी ओर, कांग्रेस ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” का मामला बताया। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “यह सरकार विपक्षी नेताओं और उनके परिवारों को निशाना बनाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है, फिर भी उन्हें परेशान किया जा रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस को कमजोर करने की साजिश का हिस्सा है।
जांच का दायरा
ईडी की जांच केवल शिकोहपुर जमीन सौदे तक सीमित नहीं है। जांच एजेंसी वाड्रा की अन्य कंपनियों और उनके वित्तीय लेनदेन की भी पड़ताल कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, ईडी यह जांच कर रही है कि क्या स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और अन्य संबंधित कंपनियों ने अवैध तरीके से फंड जुटाए या उनका हस्तांतरण किया। इसके अलावा, हरियाणा में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान जमीन के लाइसेंसिंग और उपयोग में बदलाव की प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे हैं।
ईडी ने इस मामले में डीएलएफ के कुछ अधिकारियों और हरियाणा सरकार के पूर्व अधिकारियों से भी पूछताछ की है। जांच एजेंसी ने कई दस्तावेज जब्त किए हैं, जिनमें जमीन सौदे से जुड़े अनुबंध, बैंक स्टेटमेंट और लाइसेंसिंग प्रक्रिया से संबंधित कागजात शामिल हैं।
हरियाणा में जमीन सौदों का इतिहास
हरियाणा में जमीन सौदों को लेकर विवाद कोई नया नहीं है। 2004 से 2014 के बीच कांग्रेस के शासनकाल में कई बड़े जमीन सौदे हुए, जिन पर बाद में अनियमितताओं के आरोप लगे। शिकोहपुर का यह मामला उनमें से एक है। 2018 में, हरियाणा पुलिस ने इस सौदे में कथित धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के लिए प्राथमिकी दर्ज की थी। बाद में यह मामला ईडी को सौंप दिया गया, क्योंकि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका थी।
ईडी का कहना है कि इस सौदे में न केवल वित्तीय अनियमितताएं हुईं, बल्कि इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर काले धन को सफेद करने के लिए भी किया गया। जांच एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि इस सौदे से प्राप्त मुनाफे का कुछ हिस्सा अन्य कंपनियों और खातों में हस्तांतरित किया गया, जिसकी जांच अभी जारी है।
आगे क्या?
ईडी की जांच अभी शुरुआती चरण में है। वाड्रा से पूछताछ के बाद जांच एजेंसी अब अन्य गवाहों और संदिग्धों से पूछताछ कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, ईडी जल्द ही कुछ और लोगों को समन जारी कर सकती है। इसके अलावा, जांच एजेंसी विदेशी खातों और लेनदेन की भी पड़ताल कर रही है, क्योंकि आशंका है कि इस सौदे का कुछ धन विदेशी खातों में भेजा गया था।
विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला लंबा चल सकता है, क्योंकि इसमें कई पक्ष शामिल हैं और दस्तावेजों की जांच में समय लगेगा। साथ ही, यह मामला राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील है, क्योंकि वाड्रा का संबंध गांधी परिवार से है। ऐसे में, इस जांच का असर 2025 के राजनीतिक परिदृश्य पर भी पड़ सकता है।
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Rama Niwash Pandey

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