मोबाइल की लत बन रही हादसों की सबसे बड़ी वजह: चौंकाने वाले आंकड़े
वाराणसी, 13 अप्रैल 2025: सड़क हादसों की बात करें तो आमतौर पर तेज रफ्तार और शराब को इसका प्रमुख कारण माना जाता है। लेकिन हाल के आंकड़े एक नई और हैरान करने वाली सच्चाई सामने ला रहे हैं। विशेषज्ञों और ट्रैफिक पुलिस की ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल अब सड़क दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह बन गया है। यह न केवल शहरी क्षेत्रों बल्कि ग्रामीण सड़कों पर भी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। उत्तर प्रदेश, खासकर वाराणसी जैसे शहरों में, यह मुद्दा तेजी से चिंता का विषय बन रहा है।
हैरान करने वाले आंकड़े
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में से करीब 30% से ज्यादा मामले ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन के उपयोग से जुड़े हैं। 2016 के आंकड़ों में यह सामने आया था कि मोबाइल के कारण 4,976 सड़क हादसे हुए, जिनमें 2,138 लोगों की जान चली गई और 4,746 लोग घायल हुए। हाल के वर्षों में यह संख्या और बढ़ी है। उत्तर प्रदेश में भी स्थिति गंभीर है। एक स्थानीय एनजीओ के सर्वे के मुताबिक, वाराणसी और आसपास के इलाकों में 25% से अधिक सड़क हादसे मोबाइल के कारण हो रहे हैं।
ट्रैफिक पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि 2017 में केवल हैदराबाद में ड्राइविंग के दौरान मोबाइल इस्तेमाल करने के 49,385 मामले दर्ज किए गए थे। उत्तर प्रदेश के लिए भी ऐसी ही स्थिति है, जहां ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों में मोबाइल का उपयोग सबसे आम पाया गया है। 2022 में यूपी में सड़क हादसों से 22,595 लोगों की मौत हुई, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा मोबाइल से विचलित ड्राइवरों के कारण था।

मोबाइल क्यों बन रहा है खतरा?
विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल फोन का उपयोग ड्राइविंग के दौरान ड्राइवर का ध्यान भटकाता है, जो शराब पीकर गाड़ी चलाने से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है। चाहे फोन पर बात करना हो, मैसेज टाइप करना हो, या फिर सोशल मीडिया स्क्रॉल करना, ये सभी गतिविधियां ड्राइवर की एकाग्रता को खत्म कर देती हैं। एक अध्ययन के अनुसार, फोन पर बात करने वाला ड्राइवर 4 सेकंड के लिए सड़क से नजर हटाता है, और 60 किमी/घंटा की रफ्तार पर यह दूरी 66 मीटर के बराबर होती है—जो किसी भी हादसे के लिए काफी है।
वाराणसी में स्थानीय ट्रैफिक पुलिस इंस्पेक्टर अजय सिंह ने बताया, “लोगों को लगता है कि फोन पर एक छोटा सा मैसेज चेक करना या कॉल उठाना कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन यही लापरवाही जानलेवा बन रही है। खासकर युवा ड्राइवरों में यह आदत ज्यादा देखी जा रही है।” उन्होंने यह भी बताया कि शहर के व्यस्त चौराहों जैसे सिगरा, लंका, और कैंट पर ऐसे हादसे बार-बार हो रहे हैं।
स्थानीय प्रभाव: वाराणसी का हाल
वाराणसी, जो अपने तंग रास्तों और भारी ट्रैफिक के लिए जाना जाता है, में मोबाइल से होने वाले हादसे चिंता का विषय बन गए हैं। गंगा घाटों के पास और शहर के बाहरी इलाकों जैसे भदोही और चंदौली मार्ग पर दोपहिया और चारपहिया वाहन चालकों द्वारा फोन का इस्तेमाल आम है। हाल ही में, कैंट इलाके में एक स्कूटी सवार युवक ने फोन पर बात करते हुए एक पैदल यात्री को टक्कर मार दी, जिससे दोनों को गंभीर चोटें आईं।
किसानों के लिए भी यह समस्या बढ़ रही है। ग्रामीण इलाकों में ट्रैक्टर और अन्य वाहन चालक फोन पर बात करते हुए गाड़ी चलाते हैं, जिससे खेतों के आसपास छोटे-मोटे हादसे बढ़ गए हैं। चिरईगांव के किसान रामलाल ने बताया, “पहले लोग सड़क पर ध्यान देते थे, अब हर कोई फोन में खोया रहता है। पिछले महीने ही मेरे पड़ोस में एक ट्रैक्टर पलट गया क्योंकि ड्राइवर वीडियो देख रहा था।”
क्या हैं अन्य कारण?
हालांकि मोबाइल फोन प्रमुख कारण है, लेकिन सड़क हादसों में तेज रफ्तार और शराब का सेवन भी अब तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 72.3% सड़क हादसे तेज गति के कारण हुए, जबकि मोबाइल के कारण होने वाले हादसे दूसरे नंबर पर हैं। इसके अलावा, खराब सड़क डिजाइन, अपर्याप्त ट्रैफिक संकेत, और फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस भी हादसों को बढ़ा रहे हैं। वाराणसी में कई जगहों पर सड़कों की मरम्मत और अतिक्रमण भी ट्रैफिक को प्रभावित कर रहे हैं, जिससे ड्राइवरों का ध्यान और बंटता है।
कानूनी स्थिति और जुर्माना
भारत में ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 184 के तहत दंडनीय है। पहली बार पकड़े जाने पर 1,000 रुपये तक का जुर्माना और बार-बार उल्लंघन करने पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना या जेल हो सकती है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इस दिशा में सख्ती बरतने की बात कही है। वाराणसी ट्रैफिक पुलिस ने हाल ही में विशेष अभियान शुरू किया है, जिसमें सीसीटीवी और ड्रोन के जरिए मोबाइल इस्तेमाल करने वालों पर नजर रखी जा रही है।
समाधान और जागरूकता
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि केवल जुर्माना और सजा से इस समस्या का हल नहीं निकलेगा। लोगों में जागरूकता फैलाने और तकनीकी समाधान अपनाने की जरूरत है। कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:
-
जागरूकता अभियान: स्कूलों, कॉलेजों, और गांवों में सड़क सुरक्षा पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएं। वाराणसी में पहले से ही कुछ एनजीओ इस दिशा में काम कर रहे हैं।
-
तकनीकी हस्तक्षेप: कई स्मार्टफोन कंपनियां अब “ड्राइविंग मोड” फीचर दे रही हैं, जो गाड़ी चलाते समय नोटिफिकेशन और कॉल को ब्लॉक कर देता है। इसे अनिवार्य किया जा सकता है।
-
सख्त निगरानी: ट्रैफिक पुलिस को और अधिक संसाधन दिए जाएं ताकि नियम तोड़ने वालों पर तुरंत कार्रवाई हो।
-
सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा: वाराणसी जैसे शहरों में मेट्रो और बेहतर बस सेवाएं शुरू होने से निजी वाहनों का उपयोग कम हो सकता है, जिससे हादसे घटेंगे।
