महाशिवरात्रि: अलग-अलग जिलों के मंदिरों में लगीं भक्तों की कतारें, हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंजे शिवालय
26 फ़रवरी 2025 महाशिवरात्रि का पर्व देशभर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। हर साल की तरह इस वर्ष भी भक्तों की भारी भीड़ विभिन्न शिव मंदिरों में उमड़ी है। महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव की पूजा और उपासना का विशेष अवसर है। इस दिन को लेकर श्रद्धालुओं में विशेष आस्था और श्रद्धा है। शिवालयों में भक्तों का अपार उत्साह देखने को मिला, और हर-हर महादेव के उद्घोष से शिवालय गूंजते रहे।
भक्तों की भारी भीड़ और मंदिरों में भक्तिमय माहौल
महाशिवरात्रि के मौके पर देश के विभिन्न मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलीं। विशेष रूप से प्रमुख शिव मंदिरों जैसे काशी विश्वनाथ, सोमनाथ, महाकालेश्वर, मीनाक्षी मंदिर, तिरुपति और अन्य प्रमुख स्थानों पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा। रातभर विशेष पूजन और जागरण का आयोजन किया गया। मंदिरों के बाहर श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहीं, और लोग भगवान शिव के दर्शन के लिए घंटों इंतजार करते रहे।
उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ मंदिर में तो भारी संख्या में भक्तों ने पूजा अर्चना की। काशी में इस दिन की महत्ता को लेकर विशेष उत्साह देखा गया। काशी के घाटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया और मंदिरों में सुबह से ही लिंग पूजन और शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और जल चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो गया। हर तरफ “हर-हर महादेव” का उद्घोष सुनाई दे रहा था। लोग एक-दूसरे को शिवरात्रि की शुभकामनाएं देते हुए भक्तिमय वातावरण में डूबे हुए थे।
महाकालेश्वर मंदिर में विशेष आयोजन
मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष आयोजन हुआ। यहां भक्तों के लिए मंदिर प्रबंधन द्वारा सभी सुविधाओं का ध्यान रखा गया था। सुरक्षा के कड़े इंतजामों के साथ-साथ मंदिर में भक्तों के दर्शन के लिए इंतजार करने की व्यवस्था की गई थी। महाकालेश्वर मंदिर में हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु महाशिवरात्रि के दिन पहुंचते हैं। इस दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें विशेष रूप से रात्रि जागरण, रुद्राभिषेक और महाकाल की महाआरती की जाती है।
पिछले कुछ वर्षों से महाकालेश्वर मंदिर में ऑनलाइन दर्शन की सुविधा भी शुरू की गई है, जिसके चलते दूरदराज से आए श्रद्धालुओं को भी दर्शन का लाभ मिलता है। इस बार भी महाशिवरात्रि पर ऑनलाइन पूजा अर्चना की सुविधा का लाभ हजारों श्रद्धालुओं ने लिया।
सोमनाथ मंदिर में प्राचीन परंपराओं का निर्वहन
गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर में भी महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखा गया। यहां सुबह से लेकर रात तक पूजा और अभिषेक का आयोजन चलता रहा। सोमनाथ मंदिर में प्राचीन परंपराओं के तहत श्रद्धालु शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए भगवान शिव की आराधना करते हैं। सोमनाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि यह भारत के अति पवित्र और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक माना जाता है।
सोमनाथ मंदिर में खास बात यह रही कि यहां पर हर वर्ष की तरह इस बार भी भक्तों ने अपने घरों से भगवान शिव के लिए विशेष पूजा सामग्री लाकर श्रद्धा से चढ़ाई। यहां के वातावरण में भक्तों की भक्ति और महाशिवरात्रि की महिमा का अद्भुत दृश्य था। मंदिर में रात्रि के समय विशेष शिवरात्रि महापूजन का आयोजन किया गया, जिसमें लाखों भक्तों ने हिस्सा लिया।
तिरुपति मंदिर और अन्य शिव मंदिरों में धूमधाम
महाशिवरात्रि का पर्व सिर्फ उत्तर भारत में ही नहीं, बल्कि दक्षिण भारत में भी धूमधाम से मनाया जाता है। आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति मंदिर में इस दिन विशेष आयोजन किया गया। यहां पर भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ भक्तों ने उपवास रखकर रातभर शिव भजन और कीर्तन किए। तमिलनाडु के मीनाक्षी मंदिर में भी भक्तों का उत्साह देखने को मिला। यहां की श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या ने मंदिर में रातभर पूजन अर्चन किया और विशेष आरती का हिस्सा बने।
भक्तों की भक्ति का अद्भुत दृश्य
महाशिवरात्रि के इस दिन, शिवालयों में श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा करते हुए एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। कहीं भक्तों ने बेलपत्र चढ़ाए, तो कहीं उन्होंने कच्चे दूध और जल से शिवलिंग का अभिषेक किया। कहीं जगह-जगह रात्रि जागरण का आयोजन हुआ, जिसमें भक्तों ने शिव के गीत गाए और भजन संकीर्तन किया। पूरे देश में विभिन्न शिव मंदिरों में रात्रि भर विशेष पूजा का आयोजन किया गया, जिसमें लाखों की संख्या में भक्तों ने भाग लिया।
विशेष रूप से युवा पीढ़ी में इस दिन को लेकर बहुत अधिक जोश देखा गया। युवा अपने मित्रों के साथ मंदिरों में आए और भगवान शिव की पूजा करने के बाद ‘हर-हर महादेव’ का उद्घोष करते हुए एकजुटता का परिचय दिया।
महाशिवरात्रि के महत्व पर प्रकाश
महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव की उपासना और भक्ति का दिन है। इसे लेकर विभिन्न धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं, जिनके अनुसार इस दिन भगवान शिव ने समुद्र मंथन से अमृत प्राप्त करने के लिए विष का पान किया था, जिससे उनका गला नीला पड़ गया और तभी से उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना गया। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है, और यह विशेष रूप से उन भक्तों के लिए है जो शिव के परम भक्त हैं।
यह दिन उपवास, ध्यान और पूजा का दिन होता है। श्रद्धालु इस दिन भगवान शिव की आराधना कर अपनी आत्मा की शुद्धि और संसार के समस्त कष्टों से मुक्ति की कामना करते हैं। शिवरात्रि का पर्व धार्मिक एकता और सामूहिक भक्ति का प्रतीक भी है।
निष्कर्ष
महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की कतारें इस बात का प्रमाण हैं कि भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति का कोई अंत नहीं है। लाखों श्रद्धालु इस दिन अपनी श्रद्धा से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एकजुट हुए। महाशिवरात्रि के इस धार्मिक पर्व ने न सिर्फ धार्मिक आस्था को और मजबूत किया बल्कि समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी दिया।
