डोडा मुठभेड़ में घायल सेना के कैप्टन सहित पांच जवान बलिदान
जम्मू, 16 जुलाई। जम्मू कश्मीर के डोडा के देसा वन क्षेत्र में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ में मंगलवार को बलिदान हुए सेना के कैप्टन और पांचों जवानों ने अदम्य साहस का परिचय दिया। राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह के जवानों ने सोमवार देर शाम डोडा शहर से करीब 55 किलोमीटर दूर देसा वन क्षेत्र के धारी गोटे उरबागी में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया था। मुठभेड़ में घायल पांचों बहादुरों ने मंगलवार को उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।
सेना की 16 वीं व्हाइट नाइट कोर ने कहा कि विशिष्ट खुफिया सूचनाओं के आधार पर भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डोडा के उत्तर में सामान्य क्षेत्र में एक संयुक्त अभियान जारी था। सोमवार रात करीब 9 बजे आतंकवादियों से संपर्क स्थापित हुआ, जिसके बाद भारी गोलीबारी शुरू हुई। सेना के अधिकारियों ने बताया कि सोमवार देर रात तक गोलीबारी के बाद आतंकवादियों ने भागने की कोशिश की, लेकिन कैप्टन के नेतृत्व में जवानों ने चुनौतीपूर्ण इलाके और घने जंगल के बावजूद उनका पीछा किया। इसके बाद सोमवार रात करीब 9 बजे फिर से गोलीबारी हुई। मुठभेड़ में पांच जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। सभी घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पर मंगलवार को उपचार के दौरान पांचों ने दम तोड़ दिया।
मंगलवार सुबह अधिक सैनिकों के साथ इलाके की तलाशी शुरू की गई है। मंगलवार को आतंकवादियों से कोई नया संपर्क नहीं हुआ है। माना जाता है कि वे सीमा पार से घुसपैठ कर आए हैं और पिछले कुछ महीनों से जंगल क्षेत्र में छिपे हुए हैं। इससे पहले 9 जुलाई को किश्तवाड़ जिले की सीमा से लगे घडी भगवा जंगल में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के बाद आतंकवादी भागने में सफल रहे। 26 जून को जिले के गंदोह इलाके में एक दिन के ऑपरेशन में तीन विदेशी आतंकवादी मारे गए। 12 जून को चत्तरगल्ला दर्रे में भीषण गोलीबारी के बाद डोडा में आतंकवाद विरोधी अभियान तेज कर दिया गया था, जिसमें पांच सैन्यकर्मी और एक विशेष पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे। अगले दिन गंदोह में एक अन्य मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया था।
जम्मू क्षेत्र में दशकों पुराने आतंकवाद का सफाया करने के बाद 2005 से 2021 के बीच अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रहा, पिछले महीने में आतंकी हमलों में वृद्धि देखी गई। इसमें एक तीर्थयात्री बस पर हमला भी शामिल था, जिसमें नौ लोग मारे गए और 40 घायल हो गए। अक्टूबर, 2021 में पुंछ और राजौरी के जुड़वां सीमावर्ती जिलों से आतंकी गतिविधियां फिर से सामने आईं। रियासी, कठुआ और डोडा में फैले कुछ घातक हमलों को सुरक्षा प्रतिष्ठान ने पाकिस्तानी आकाओं को जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद को फिर से जगाने के प्रयास के रूप में जिम्मेदार ठहराया।