ब्रिटेन का कड़ा रुख: अवैध प्रवासियों को वापस न लेने वाले देशों पर वीजा प्रतिबंध, पहले अंगोला-नामीबिया-कांगो निशाने पर
18 नवंबर 2025, लंदन: ब्रिटेन ने अपनी सीमाओं को और सख्त करने का नया ऐलान किया है, जहां अवैध प्रवासियों और अपराधियों को वापस लेने से इनकार करने वाले देशों पर ‘ट्रंप स्टाइल’ वीजा प्रतिबंध लगाए जाएंगे। गृह मंत्री शबाना महमूद ने संसद में पेश किए गए कड़े नियमों में कहा कि सहयोग न करने पर इन देशों के नागरिकों को ब्रिटिश वीजा से वंचित रखा जाएगा। पहले तीन अफ्रीकी देश—अंगोला, नामीबिया और कांगो डेमोक्रेटिक रिपब्लिक—निशाने पर हैं, जहां हजारों अवैध प्रवासी ब्रिटेन में मौजूद हैं। लेकिन क्या यह कदम भारत जैसे अन्य देशों को भी प्रभावित करेगा? और मानवाधिकार कानूनों में बदलाव कैसे निर्वासन को आसान बनाएगा? इस लेख में हम जानेंगे ब्रिटेन की नई आव्रजन नीति की पूरी तस्वीर, जो अवैध प्रवासन पर लगाम कसने का दावा कर रही है।
नई नीति का ऐलान: शबाना महमूद का ‘ट्रंप स्टाइल’ दांव
17 नवंबर को संसद में गृह मंत्री शबाना महमूद ने कहा, “अवैध प्रवासी और विदेशी अपराधी हमारे मानवाधिकार कानूनों का शोषण कर रहे हैं। हम जनता की नाराजगी साझा करते हैं।” उन्होंने ट्रंप की तर्ज पर वीजा प्रतिबंधों की ‘स्लाइडिंग स्केल’ पेश की, जो सहयोग न करने वाले देशों पर चरणबद्ध तरीके से लागू होगी। पीएम कीर स्टार्मर के नेतृत्व में लेबर सरकार ने इसे ‘एक पीढ़ी का सबसे बड़ा सुधार’ बताया, जो राष्ट्रीय एकता और सीमा नियंत्रण को मजबूत करेगा। महमूद ने चेताया कि दूतावासों द्वारा कागजी कार्रवाई में देरी या दस्तावेज सत्यापन में बाधा सहयोग की कमी का संकेत है। 2025 के जून तक ब्रिटेन ने 8.3 लाख वीजा जारी किए, लेकिन अवैध प्रवासन पर फोकस बढ़ा है। डेनमार्क मॉडल से प्रेरित यह नीति निर्वासन को तेज करेगी, जहां असफल शरणार्थियों को होटलों की बजाय ब्रिटिश परिवारों के साथ रखा जाएगा। लेकिन विशेषज्ञ चेताते हैं कि यह छोटे देशों पर दबाव डालेगी, जबकि बड़े जैसे पाकिस्तान (11,234 शरणार्थी आवेदन) पर असर कम।
पहले निशाने पर अफ्रीकी देश: अंगोला, नामीबिया और कांगो का दबाव
गृह मंत्रालय ने अंगोला, नामीबिया और कांगो डेमोक्रेटिक रिपब्लिक को पहला निशाना बनाया, जहां सहयोग ‘अस्वीकार्य रूप से कम’ है। इन देशों के हजारों अवैध प्रवासी और अपराधी ब्रिटेन में फंसे हैं, क्योंकि उनकी सरकारें वापसी प्रक्रिया में बाधा डाल रही हैं। महमूद ने कहा, “इन देशों को एक महीने का समय दिया जाएगा सुधार के लिए, वरना सभी वीजा—टूरिस्ट से लेकर VIP—रोक दिए जाएंगे।” 2025 के जून तक इन देशों को कुल 712 वीजा मिले—कांगो को 299, अंगोला को 273 और नामीबिया को 140—जो कुल वीजाओं का महज 0.09% है। लेकिन अवैध प्रवासन में इनका योगदान कम है: कांगो से 11, अंगोला से 3 और नामीबिया से शून्य छोटी नावों से आए। रिपोर्ट्स कहती हैं कि भारत उन कई देशों में शामिल है जो वापसी में प्रतिरोधी हैं, जहां 5,475 भारतीयों ने शरणार्थी आवेदन किया, लेकिन सिर्फ 20 को अनुमति मिली। यह प्रतिबंध ब्रिटेन की ‘सार्वजनिक सहमति’ बहाल करने की कोशिश है, लेकिन अफ्रीकी देशों ने इसे ‘उपनिवेशवादी दबाव’ बताया।
मानवाधिकार सुधार: निर्वासन आसान, अपील सीमित
ब्रिटेन मानवाधिकार कानूनों में बदलाव लाएगा, खासकर अनुच्छेद 8 (परिवार और निजी जीवन का अधिकार) की अदालती व्याख्या पर। अब ‘परिवार’ का मतलब सिर्फ निकट संबंधी—माता-पिता या बच्चे—होगा, ताकि संदिग्ध रिश्तों से ब्रिटेन में रहने का दावा न हो। प्रवासियों को एक ही अपील में सभी आधारों पर बहस करने की अनुमति होगी; हारने पर तत्काल देश छोड़ना पड़ेगा। महमूद ने कहा, “एक आगजनी आरोपी को पांच साल की सजा के बाद भी भाई के बहाने निर्वासित न करना अन्याय है।” यह सुधार डेनमार्क और स्कैंडिनेविया से प्रेरित हैं, जहां शरणार्थी दावों में 95% निर्वासन हुआ। ब्रिटेन में 2024-25 में शरणार्थी होटलों पर £2.1 बिलियन खर्च हुआ, जिसे कम करने के लिए ब्रिटिश परिवारों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। लेकिन आलोचक कहते हैं कि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन कर सकता है। भारत जैसे देशों पर असर पड़ सकता है, जहां 2,691 दावे खारिज हुए। यह नीति ब्रिटेन को ‘आश्रय देने वाले’ बनाए रखते हुए अवैध प्रवासन रोकने का दावा करती है।