‘दीवाली पर ज्ञान मत दो’, बाबा बागेश्वर का तीखा बयान: पटाखों पर छिड़ी बहस, बकरीद-ताजिया का जिक्र
छिंदवाड़ा, 13 अक्टूबर 2025: दीवाली नजदीक आते ही पटाखों पर बहस फिर गरमा गई है। पर्यावरण प्रेमी पटाखे कम करने की अपील कर रहे हैं, लेकिन बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ‘दूसरे मजहब’ वालों को दीवाली पर ‘ज्ञान’ न देने की हिदायत दी, बोले—‘हम बकरीद और ताजिया पर टिप्पणी नहीं करते, तो आप भी हमारे त्योहारों पर चुप रहें।’ शास्त्री ने माना कि पटाखों से प्रदूषण होता है, लेकिन केवल दीवाली को निशाना बनाने पर नाराजगी जताई। यह बयान सियासी और सामाजिक हलकों में हलचल मचा सकता है। क्या यह धार्मिक ध्रुवीकरण की ओर इशारा है? पूरी कहानी आगे…
पटाखों पर बवाल: बाबा बागेश्वर की दो टूक
दीवाली की तैयारियों के बीच पटाखों पर छिड़ी बहस में बाबा बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बड़ा बयान दे दिया। उन्होंने कहा, “दूसरे मजहब के लोग दीवाली पर बहुत सावधानी रखें। पटाखों पर ज्ञान न दें। हम आपके बकरीद और ताजिया पर ज्ञान नहीं देते, तो आप होली-दीवाली पर चुप रहें।” शास्त्री ने अभिनेताओं को भी निशाने पर लिया, जो पर्यावरण के नाम पर दीवाली में पटाखे न जलाने की सलाह देते हैं। उन्होंने माना, “पटाखों से प्रदूषण होता है, कम जलाने चाहिए, लेकिन केवल दीवाली को टारगेट क्यों?” शास्त्री ने ऐलान किया, “हम तो पटाखे फोड़ेंगे।” यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जहां कुछ ने इसे हिंदू भावनाओं का समर्थन बताया, तो कुछ ने धार्मिक तनाव बढ़ाने की आलोचना की। पर्यावरण और परंपरा के बीच यह टकराव हर साल दीवाली से पहले उभरता है, लेकिन शास्त्री का बयान इसे नया रंग दे रहा।
‘I Love Mohammad’ पर बयान, फिर विवाद की आग
इससे पहले, धीरेंद्र शास्त्री ने ‘I Love Mohammad’ विवाद पर भी बयान दिया था, जो अब उनके ताजा बयान से जोड़ा जा रहा। विस्तार न्यूज़ के इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “मुझे ‘I Love Mohammad’ या ‘I Love Mahadev’ से कोई दिक्कत नहीं। इसमें एक परसेंट भी बुराई नहीं। लेकिन ‘सर तन से जुदा’ का मैं सख्त विरोध करता हूं। ये लोग अभी छिपे हैं, खत्म नहीं हुए।” शास्त्री का यह बयान तब आया जब उनसे धार्मिक नारों पर सवाल उठे। उनके इस रुख ने उनके समर्थकों में जोश भरा, लेकिन आलोचकों ने इसे उकसाने वाला बताया। अब दीवाली वाले बयान ने बहस को और हवा दी है। शास्त्री के बकरीद और ताजिया का जिक्र सामाजिक सौहार्द पर सवाल उठा रहा है। सोशल मीडिया पर लोग दो खेमों में बंट गए—एक पक्ष इसे धार्मिक अस्मिता की रक्षा बता रहा, दूसरा इसे सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिश। यह विवाद दीवाली तक और गहरा सकता है।
सामाजिक सौहार्द पर सवाल, क्या कहता है समाज?
धीरेंद्र शास्त्री का बयान सामाजिक और धार्मिक ध्रुवीकरण की बहस को फिर से हवा दे रहा। पर्यावरण के नाम पर पटाखों की चर्चा हर साल होती है, लेकिन शास्त्री ने इसे मजहबी रंग देकर नया मोड़ दे दिया। उनके समर्थक इसे हिंदू त्योहारों की रक्षा का कदम बता रहे, जबकि आलोचक इसे सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिश कह रहे। दिल्ली और अन्य शहरों में पटाखों पर बैन की चर्चा के बीच शास्त्री का यह बयान प्रशासन के लिए भी चुनौती है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि पटाखों से प्रदूषण बढ़ता है, खासकर दिल्ली-NCR में, जहां AQI खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। दूसरी ओर, हिंदू संगठन इसे परंपरा से जोड़ते हैं। शास्त्री का बयान छोटे शहरों और गांवों में ज्यादा असर डाल सकता है, जहां उनके लाखों अनुयायी हैं। क्या यह बयान दीवाली की रौनक को नया रंग देगा या तनाव की आग भड़काएगा? आने वाले दिन जवाब देंगे।
