अंबानी-जुकरबर्ग की सुपर डील: 855 करोड़ के AI JV से भारत का एंटरप्राइज सेक्टर बदलेगा
नई दिल्ली, 25 अक्टूबर 2025
रिलायंस इंडस्ट्रीज और मेटा प्लेटफॉर्म्स ने भारत में AI सेवाओं के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। दोनों कंपनियां मिलकर रिलायंस एंटरप्राइज इंटेलिजेंस लिमिटेड (REIL) नाम की नई कंपनी में 855 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। मुकेश अंबानी और मार्क जुकरबर्ग की यह साझेदारी भारतीय बाजार को किफायती और शक्तिशाली AI समाधान देगी। लेकिन यह डील आखिर इतनी खास क्यों है? क्या यह भारत को AI सुपरपावर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी? आइए, इस सुपर डील के तीन प्रमुख पहलुओं को समझते हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज और मेटा प्लेटफॉर्म्स ने भारत में AI सेवाओं के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। दोनों कंपनियां मिलकर रिलायंस एंटरप्राइज इंटेलिजेंस लिमिटेड (REIL) नाम की नई कंपनी में 855 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। मुकेश अंबानी और मार्क जुकरबर्ग की यह साझेदारी भारतीय बाजार को किफायती और शक्तिशाली AI समाधान देगी। लेकिन यह डील आखिर इतनी खास क्यों है? क्या यह भारत को AI सुपरपावर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी? आइए, इस सुपर डील के तीन प्रमुख पहलुओं को समझते हैं।
JV की संरचना और निवेश का खाका
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 24 अक्टूबर 2025 को REIL को अपनी 100% सहायक कंपनी रिलायंस इंटेलिजेंस लिमिटेड के तहत शामिल किया। इस JV में रिलायंस इंटेलिजेंस 70% हिस्सेदारी रखेगी, जबकि मेटा की सहायक फेसबुक ओवरसीज 30% हिस्सेदारी हासिल करेगी। दोनों पार्टनर्स ने मिलकर लगभग 855 करोड़ रुपये (करीब 100 मिलियन डॉलर) का प्रारंभिक निवेश प्रतिबद्ध किया है। रिलायंस इंटेलिजेंस ने शुरुआती पूंजी के रूप में 2 करोड़ रुपये निवेश कर 20 लाख इक्विटी शेयर (प्रति शेयर 10 रुपये) लिए। REIL का मुख्य फोकस एंटरप्राइज AI सेवाओं का विकास, मार्केटिंग और वितरण होगा। यह घोषणा अगस्त 2025 में रिलायंस की AGM में हुई थी, और अब यह औपचारिक रूप ले चुकी है। कोई सरकारी मंजूरी की जरूरत नहीं पड़ी, जो डील की तेजी को दर्शाता है।
पार्टनर्स की ताकतों का मेल और AI फोकस
इस JV में रिलायंस और मेटा अपनी-अपनी मजबूतियों का इस्तेमाल करेंगे। मेटा अपनी तकनीकी विशेषज्ञता लाएगी, खासकर ओपन-सोर्स Llama AI मॉडल्स पर आधारित समाधान विकसित करने में। Llama मॉडल्स उन्नत भाषा प्रोसेसिंग और जेनरेटिव AI के लिए जाने जाते हैं, जो REIL की कोर टेक्नोलॉजी बनेगी। वहीं, रिलायंस अपना विशाल डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और हजारों भारतीय उद्यमों व छोटे व्यवसायों तक पहुंच का लाभ देगी। REIL बहुमुखी AI सॉल्यूशंस पर काम करेगी, जो क्लाउड, ऑन-प्रिमाइसेस या हाइब्रिड सेटअप में काम करें। कुल लागत को कम रखने पर जोर होगा, ताकि AI टूल्स छोटे-मध्यम उद्यमों के लिए सुलभ हों। यह साझेदारी 2020 में मेटा के Jio Platforms में 5.7 अरब डॉलर निवेश की निरंतरता है, जो अब AI पर केंद्रित हो गई है।
भारतीय AI बाजार पर गेम-चेंजिंग प्रभाव
भारत का AI बाजार 2027 तक 20-22 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, और यह JV इसे तेजी से आगे ले जाएगा। REIL एंटरप्राइज AI को लोकल जरूरतों के हिसाब से ढालकर उत्पादकता बढ़ाएगी, जैसे ऑटोमेशन, डेटा एनालिटिक्स और डिसीजन मेकिंग। छोटे व्यवसायों के लिए किफायती AI से डिजिटल डिवाइड कम होगा, और भारत AI इनोवेशन का हब बनेगा। यह डील न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि जॉब्स और स्किल डेवलपमेंट में भी योगदान करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह साझेदारी भारतीय AI इकोसिस्टम को मजबूत करेगी, जहां मशीनें मानव-जैसी सोच सीखेंगी। कुल मिलाकर, अंबानी-जुकरबर्ग की यह डील भारत को वैश्विक AI रेस में मजबूत दावेदार बनाएगी।