WPI Inflation: खाद्य वस्तुओं के सस्ता होने से मार्च में थोक महंगाई दर घटकर 2.05% पर, चार महीने में सबसे कम
लखनऊ, 15 अप्रैल 2025: भारत की थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर मार्च 2025 में घटकर 2.05% पर आ गई, जो पिछले चार महीनों में सबसे निचला स्तर है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, यह कमी मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं और ईंधन की कीमतों में कमी के कारण आई है। फरवरी 2025 में थोक महंगाई दर 2.38% थी। यह खबर आम जनता और अर्थव्यवस्था के लिए राहत भरी है, क्योंकि खाद्य वस्तुओं के दाम कम होने से रोजमर्रा की जरूरतों पर खर्च में कमी आएगी।
खाद्य महंगाई में कमी
WPI खाद्य सूचकांक, जिसमें खाद्य वस्तुएं और खाद्य उत्पाद शामिल हैं, मार्च में 5.94% से घटकर 4.66% पर आ गया। सब्जियों की कीमतों में मासिक आधार पर 4% की कमी देखी गई, हालांकि यह कमी पिछले महीनों की तुलना में धीमी रही। विशेष रूप से टमाटर, प्याज और आलू जैसी सब्जियों के दाम जनवरी 2025 के बाद से लगातार कम हुए हैं। हालांकि, खाद्य तेल और चीनी की कीमतों में मामूली वृद्धि दर्ज की गई।
अन्य क्षेत्रों का प्रदर्शन
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ईंधन और बिजली: मार्च में ईंधन और बिजली सूचकांक फरवरी के -0.71% की तुलना में 0.20% पर पहुंच गया। यह इंगित करता है कि ईंधन की कीमतों में कमी की दर धीमी हुई है।
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विनिर्माण: विनिर्माण क्षेत्र में महंगाई दर फरवरी के 2.86% से बढ़कर मार्च में 3.07% हो गई। खाद्य उत्पादों, कागज और रासायनिक उत्पादों की कीमतों में तेजी इसका प्रमुख कारण रही।
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प्राथमिक वस्तुएं: प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई दर भी कम होकर 2.81% पर आ गई, जो फरवरी में 4.69% थी।
आर्थिक संदर्भ
थोक महंगाई दर में यह कमी ऐसे समय में आई है, जब भारत का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) फरवरी 2025 में 2.9% की दर से बढ़ा, जो छह महीने में सबसे धीमी गति है। विनिर्माण क्षेत्र में केवल 2.9% की वृद्धि हुई, जबकि खनन और बिजली उत्पादन में क्रमशः 1.6% और 3.6% की वृद्धि दर्ज की गई। विशेषज्ञों का मानना है कि खाद्य और ईंधन की कीमतों में कमी के बावजूद, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भविष्य में महंगाई को प्रभावित कर सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च में थोक महंगाई दर के 2.1% तक कम होने का अनुमान था, जो वास्तविक आंकड़ों (2.05%) से थोड़ा अधिक था। रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल से मौसमी कारणों से खाद्य कीमतों में फिर से वृद्धि हो सकती है। आईसीआरए के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा, “खाद्य महंगाई में कमी सकारात्मक है, लेकिन वैश्विक कमोडिटी कीमतों और व्यापार तनावों पर नजर रखने की जरूरत है।” उन्होंने अनुमान लगाया कि वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में WPI महंगाई 3.0-3.3% के बीच रह सकती है।
तुलना: खुदरा महंगाई
खुदरा महंगाई दर (CPI) के आंकड़े भी मार्च के लिए 15 अप्रैल को जारी होने की उम्मीद है। दिसंबर 2024 में खुदरा महंगाई चार महीने के निचले स्तर 5.22% पर थी, जो खाद्य कीमतों में कमी के कारण थी। WPI और CPI में अंतर यह है कि WPI थोक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों को मापता है, जबकि CPI उपभोक्ता स्तर पर कीमतों को ट्रैक करता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) मौद्रिक नीति तय करते समय मुख्य रूप से CPI पर ध्यान देता है।
सरकार और RBI की भूमिका
RBI ने अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा (फरवरी 2025) में रेपो रेट को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि मार्च की कम WPI महंगाई दर RBI को ब्याज दरों में और कमी के लिए प्रोत्साहित कर सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ावा मिलेगा। सरकार भी सब्सिडी वाले खाद्य पदार्थों की आपूर्ति और स्टॉक रिलीज के जरिए कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है।
उत्तर प्रदेश के संदर्भ में प्रभाव
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े उपभोक्ता बाजार वाले राज्य में खाद्य कीमतों में कमी से आम जनता को राहत मिलेगी। विशेष रूप से सब्जियों और अनाज की कीमतों में कमी से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खाद्य खर्च कम होगा। हालांकि, स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि अप्रैल से गर्मी के मौसम में सब्जियों की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है, जिससे कीमतें फिर बढ़ सकती हैं।
