जाने क्यों मनाया जाता है फादर्स डे
जिंदगी में पिता की अहमियत किसी से छिपी नहीं है। उनके प्यार और त्याग के प्रति आभार जताने और उन्हें स्पेशल फील करवाने के लिए हर साल जून महिने के तीसरे रविवार को फादर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है।
पिता और बच्चो का रिश्ता अटूट होता है। हर बच्चे के लिए उसके पापा किसी सुपरहीरो से काम नहीं होते और बाप के लिए बाचे किसी ख़जाने से काम नहीं होते जिनकी हिफाज़त पिता अपने जान से भी ज्यादा करते है और इसी रिश्ते को सेलिब्रेट करने के लिए फादर्स डे मनाया जाता है। आज 16 जून है और आज के ही दिन दुनिया में फादर्स डे मनाया जाता है। ये एक बड़ा उत्सव होता है जिसमे बच्चे अपने पिता को उपहार देकर, केक काटकर, कार्ड्स देकर उनको ये जताने की कोशिश करते है की उनके पिता उनके लिए कितने एहम है और पिता का साथ उनके जीवन में क्या मायने रखता है।
क्यों मनाया जाता है फादर्स डे
पहली बार ‘फादर्स डे’ वाशिंगटन के स्पोकेन शहर में मनाया गया था, जिसका प्रस्ताव सोनोरा स्मार्ट डॉड ने दिया था। दरअसल, सोनोरा की मां नहीं थीं और उनके पिता ने ही पांच अन्य भाई-बहनों के साथ सोनोरा को मां और बाप दोनों का प्यार दिया था। बच्चों के पालन-पोषण से लेकर उनके प्रति प्यार, त्याग और समर्पण देकर सोनोरा ने मां के लिए मनाए जाने वाले दिन यानी ‘मदर्स डे’ की तरह ही पिता के प्रति प्रेम और स्नेह जाहिर करने के लिए इस दिन को मनाने की शुरुआत की।
दिलचस्प है फादर्स डे का इतिहास
ऐसा कहा जाता है की फादर्स डे यानि पितृ दिवस की शुरुवात सन 1910 को अमेरिका में हुई थी और इस दिन की शुरुवात सोनोरा स्मार्ट डोड ने की थी। दरअसल सोनोरा जब छोटी थी तभी उनकी माता का देहांत का और उनका पालन पोषण उनके पिता ने की थी और इसलिए वो अपने पिता के बेहद करीब थी ,पिता मनो सोनोरा स्मार्ट डोड के लिए उनकी पूरी कायनात बन गए थे और अपने पापा को स्पेशल महसूस करने लिए उन्होंने मातृ दिवस के जैसा ही फादर्स डे मनाया। इसके चार दशक बाद साल 1966 को अमेरिका राष्ट्रपति लिंडन जानसन ने पितृ दिवस को मंज़ूरी देते हुए कहा की अब हर साल जून में फादर्स डे मनाया जायेगा और आगे चलकर इसे पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में मान्यता मिली साथ ही 1972 में इस दिन अवकाश भी घोषित कर दिया गया। तब से ये दिन एक परंपरा बनकर हमारे साथ है।
पिता-बच्चों के रिश्ते पर बनीं बॉलीवुड की ये फ़िल्में भी है लाजवाब
आज यानी 16 जून को फादर्स डे मनाया जा रहा है. इस दिन को खास बनाने के लिए आप अपने पिता के साथ बॉलीवुड की ये 7 बेस्ट फिल्में देख सकते हैं. यह फिल्में पिता और बच्चों के बीच के बॉन्ड को अलग-अलग तरह से दिखाती हैं. और साथ ही बहुत सारी सीख भी देकर जाती हैं.
1.अंग्रेजी मीडियम – 2020 में आई इस फिल्म में इरफान खान और राधिका मदान ने पिता और बेटी की शानदार भूमिका निभाई थी. इस फिल्म में करीना कपूर का भी महत्वपूर्ण रोल था. फिल्म की कहानी एक ऐसे पिता की है, जो अपनी बेटी के सपनों और खुशी को पूरा करने के लिए जी-जान लगा देता है. इस फिल्म की कहानी दिल को छू लेने वाली है.
2. दंगल – 2016 में आई इस बायोपिक ड्रामा में आमिर खान ने पहलवान महावीर फोगाट की भूमिका अदा की थी, जो समाज-रिश्तेदारों की परवाह किए बिना अपनी बेटियाों गीता (फातिमा सना शेख) और बबीता (सान्या मल्होत्रा) को रेसलर बनाने का फैसला लेता है. अपनी बेटियों के टैलेंट के बारे में दुनिया से संदेह का सामना करने के बावजूद महावीर ने उन्हें ट्रेनिंग देने में कोई कसर नहीं छोड़ता और अंत में जब बेटियां देश का नाम रोशन कर मेडल जीतती हैं तो पूरी दुनिया का मुंह बंद हो जाता है.
3. पीकू – एक कैब कंपनी के मालिक राणा (इरफान खान), भास्कर (अमिताभ बच्चन) और उनकी बेटी पीकू (दीपिका पादुकोण) के साथ एक रोड ट्रिप पर जाते हैं, जहां इन तीनों की कहानी ने दर्शकों के दिलों को छू लिया. फिल्म वृद्ध माता-पिता और उनके वयस्क बच्चों के आधुनिक युग के रिश्तों को खूबसूरती से दर्शाती है.
4.छिछोरे – 2019 में आई फिल्म में दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को एक लापरवाह कॉलेज छात्र के रूप में चित्रित किया गया है, जो एक जिम्मेदार पिता के रूप में गहन परिवर्तन से गुजरता है. यह परिवर्तन तब होता है, जब उनका बेटा राघव (मोहम्मद समद द्वारा अभिनीत) असफल देखे जाने के डर से आत्महत्या का प्रयास करता है. यह इस महत्वपूर्ण क्षण में है कि सुशांत का चरित्र राघव का मार्गदर्शक बन जाता है.
5.उड़ान– 2010 में आई इस फिल्म का निर्देशन विक्रमादित्य मोटवानी ने किया है. बोर्डिंग स्कूल से निकाले जाने के बाद रोहन (रजत बरमेचा) अपने सख्त और समझौता न करने वाले पिता (रोनित रॉय) और 6 वर्षीय सौतेले भाई अर्जुन (अयान बोराडिया) के पास घर लौट आता है, जिसके बारे में किसी ने भी उसे नहीं बताया होता. रोहन के पिता चाहते हैं कि वह इंजीनियरिंग की क्लासेस लें, लेकिन रोहन सिर्फ एक लेखक बनना चाहता है.
6. मासूम– 1983 में आई फिल्म को शेखर कपूर ने डायरेक्ट किया था. इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी, सुप्रिया पाठक, उर्मिला मातोंडर, जुगल हंसराज मुख्. भूमिका में थे. फिल्म में देवेन्द्र कुमार का पारिवारिक जीवन तब अस्त-व्यस्त हो जाता है, जब उसे पता चलता है कि उसके पिछले संबंध से एक नाजायज बच्चा है. वह अपने बेटे राहुल को घर लाता है, लेकिन उसकी पत्नी इंदु राहुल को शुरुआत में स्वीकार करने में विफल रहती है.
7. वक्त: दे रेस अगेन्स्ट टाइम– 2005 में आई इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने पिता और अक्षय कुमार ने बेटे की भूमिका निभाई थी. ईश्वर चंद्र ठाकुर अपनी पत्नी सुमित्रा और बेटे आदिया के साथ संतुष्ट होकर अच्छा जीवन जी रहे हैं. एक चीज है, जो धीरे-धीरे ईश्वर को परेशान करती है कि उसके बेटे का आलस और अपने पिता पर निर्भरता. जब आदिया अपने पिता के दुश्मन की बेटी से शादी करता है तो ईश्वर अपने बेटे को उस गरीबी का सबक सिखाने का फैसला करता है, जिसे उन्होंने खुद अनुभव किया था.
फादर्स डे पर कुछ विशेष लाइन्स
मेरी रब से एक गुज़ारिश है ,
छोटी सी लगनी एक सिफारिश है ,
रहे जीवन भर खुश मेरे पापा ,
बस इतनी सी मेरी ख्वाहिश है।
चुपके से एक दिन रख आऊ,
सभी खुशिया उनके सिरहाने में,
जिहोने एक अरसा बिता दिया,
मुझे बेहतर इंसान बनाने में।
ख़ुशी सिंह