कौन हैं जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह, जो WIPO एडवाइजरी बोर्ड का नेतृत्व करेंगी?
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर 2025: बौद्धिक संपदा (IP) कानून की दुनिया में एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह को विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के एडवाइजरी बोर्ड ऑफ जजेज (2025-2027) का नेतृत्व करने का सम्मान मिला है। यह बोर्ड, जिसमें 10 देशों के प्रमुख न्यायाधीश शामिल हैं, IP न्यायिक मामलों में वैश्विक दिशा-निर्देश तय करेगा। जस्टिस सिंह, जो IP प्रभाग की पूर्व अध्यक्ष रहीं, अपनी गहन विशेषज्ञता के लिए जानी जाती हैं। लेकिन यह नियुक्ति उनके लंबे सफर का मात्र एक पड़ाव है। आखिर क्या बनाता है उन्हें इस भूमिका के लिए इतनी योग्य? उनके करियर की झलक, योगदान और चुनौतियां क्या हैं? आइए, इस प्रेरक यात्रा को तीन हिस्सों में समझते हैं।
कानूनी सफर की शुरुआत: बैंगलोर से दिल्ली हाईकोर्ट तक
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह का जन्म बैंगलोर में हुआ, जहां उन्होंने यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज से पांच वर्षीय कानून कोर्स पूरा किया। बैंगलोर यूनिवर्सिटी में प्रथम स्थान हासिल कर उन्होंने फिलिप सी. जेसअप इंटरनेशनल मूट कोर्ट प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया। स्नातक के बाद, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से ODASSS छात्रवृत्ति पर LLM प्राप्त किया। 1991 में दिल्ली बार में शामिल होकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट, IP अपीलीय बोर्ड और पेटेंट ऑफिस में अभ्यास शुरू किया। 2013 में सीनियर एडवोकेट नियुक्त हुईं। उनके फोकस हमेशा IP मामलों पर रहा, जहां उन्होंने ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और पेटेंट जैसे जटिल मुद्दों पर पैरवी की। यह दौर था जब भारत में IP कानून विकसित हो रहा था, और जस्टिस सिंह ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट की स्थायी जज बनीं, जो उनके करियर का स्वर्णिम मोड़ साबित हुआ।
IP कानून में योगदान: किताबें, सलाह और नेतृत्व
जस्टिस सिंह ने IP क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया। उन्होंने भारत की पहली पेटेंट कानून पुस्तक “प्रतिभा एम. सिंह ऑन पेटेंट लॉ” लिखी, जो कानूनी जगत में मानक बनी। कॉपीराइट ऑफिस और पेटेंट परीक्षाओं को सुव्यवस्थित करने में सलाह दी, साथ ही संसदीय समितियों को IP संशोधनों पर मार्गदर्शन प्रदान किया। 2021-22 में दिल्ली हाईकोर्ट के पहले IP प्रभाग की अध्यक्ष और पीठासीन जज रहीं, जहां IPAB के 2000 मामलों में से 600 का निपटारा एक वर्ष में किया। CII की IP स्टेयरिंग कमिटी में सदस्य रहीं। वर्तमान में WHO के AI इन हेल्थ रेगुलेटरी वर्किंग ग्रुप की सह-अध्यक्ष हैं। उनके प्रयासों से भारत का ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स रैंकिंग 81 से 40 पहुंचा। सम्मान जैसे मैनेजिंग IP का एशिया वीमेन इन बिजनेस लॉ अवार्ड और 2021-22 के IP के 50 सबसे प्रभावशाली लोगों में स्थान मिला। कैम्ब्रिज में उनके नाम पर LLM छात्रवृत्ति शुरू हुई।
WIPO बोर्ड का नेतृत्व: वैश्विक जिम्मेदारी और भविष्य
WIPO एडवाइजरी बोर्ड ऑफ जजेज (2025-2027) में जस्टिस सिंह के साथ 9 अन्य न्यायाधीश शामिल हैं: लुइस एंटोनियो कैमार्गो वर्गारा (पनामा), डू वेइक (चीन), झानार डुइसेनोवा (कजाकिस्तान), मोहम्मद एल्जेंड (मिस्र), जीन-क्रिस्टोफ़ गेएट (फ्रांस), माइकल मैनसन (कनाडा), मुस्तफ़र मोहम्मद सियानी (तंजानिया), सवास पापासव्वास (EU), वू सुंग्योप (कोरिया)। यह बोर्ड न्यायपालिकाओं के साथ WIPO के कार्य को मार्गदर्शन देगा, विविध प्रणालियों की जरूरतों को पूरा करेगा। सदस्य व्यक्तिगत क्षमता में कार्य करेंगे। जस्टिस सिंह का नेतृत्व IP न्याय में वैश्विक एकरूपता लाएगा, खासकर विकासशील देशों के लिए। भविष्य में यह बोर्ड AI, डिजिटल IP और अंतरराष्ट्रीय विवादों पर फोकस करेगा। उनकी नियुक्ति महिलाओं को न्याय और IP में प्रेरित करेगी, भारत की वैश्विक छवि मजबूत करेगी।
