सड़क खामोश होती है तो संसद आवारा हो जाती है, लोहिया के कथन को दोहराते हुए बोले INDIA ब्लॉक के VP उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी
लखनऊ/ 21 अगस्त 2025: INDIA ब्लॉक के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी ने संसद के सेंट्रल हॉल में गठबंधन के सांसदों से मुलाकात के दौरान समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया के मशहूर कथन “जब सड़क खामोश होती है, तो संसद आवारा हो जाती है” को दोहराया। खबरों के मुताबिक, रेड्डी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तारीफ करते हुए कहा कि राहुल सड़कों पर सन्नाटा नहीं होने देते और सरकार को जनहित में फैसले लेने के लिए मजबूर करते हैं। यह बयान उपराष्ट्रपति चुनाव के संदर्भ में आया, जहां रेड्डी का मुकाबला एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन से है।
रेड्डी का बयान
खबरों के मुताबिक, सुदर्शन रेड्डी ने कहा, “मैं थोड़ा नर्वस, उत्साहित और रोमांचित हूं। मैं लोहिया की विचारधारा से आता हूं, और मुझे उनकी यह पंक्ति याद आती है कि ‘जब सड़क खामोश होती है, तो संसद आवारा हो जाती है।’ राहुल गांधी सड़कों पर सन्नाटा नहीं होने देते। वह चुनौतियों का सामना करते हैं और सरकार को जवाबदेह बनाते हैं।” रेड्डी ने राहुल की भारत जोड़ो यात्रा और बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ उनके हालिया प्रदर्शन की सराहना की।
उपराष्ट्रपति चुनाव का संदर्भ
खबरों के मुताबिक, सुदर्शन रेड्डी ने 21 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल किया। उन्होंने एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को सम्मानित व्यक्ति बताया, लेकिन उनकी आरएसएस से जुड़ी पृष्ठभूमि पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह स्वयं समाजवादी और उदारवादी विचारधारा से हैं। रेड्डी ने एनडीए सांसदों से समर्थन मांगते हुए इसे विचारधारा की लड़ाई बताया।
राहुल गांधी की भूमिका
खबरों के मुताबिक, रेड्डी ने राहुल गांधी को सड़क से संसद तक सक्रिय रहने वाला नेता बताया। हाल ही में राहुल ने बिहार में SIR और कथित “वोट चोरी” के खिलाफ संसद भवन से चुनाव आयोग तक मार्च का नेतृत्व किया था, जिसमें सपा नेता अखिलेश यादव भी शामिल हुए। इस दौरान पुलिस बैरिकेड्स को पार करने की कोशिश में राहुल और अखिलेश ने सड़क पर मजबूत उपस्थिति दर्ज की। रेड्डी ने इसे लोकतंत्र में सड़क की आवाज को जीवित रखने का उदाहरण बताया।
लोहिया का कथन
राम मनोहर लोहिया का यह कथन 1960 के दशक में उनकी पुस्तक “भारत विभाजन की समीक्षा” में सामने आया था। खबरों के मुताबिक, लोहिया ने इस बात पर जोर दिया था कि लोकतंत्र में जनता की आवाज (सड़क) के बिना संसद दिशाहीन और गैर-जिम्मेदार हो जाती है। रेड्डी ने इस कथन को राहुल गांधी की सक्रियता से जोड़ते हुए कहा कि वह जनता के मुद्दों को संसद तक ले जाते हैं.
निष्कर्ष
सुदर्शन रेड्डी ने लोहिया के कथन को दोहराकर राहुल गांधी की सड़क से संसद तक की सक्रियता को रेखांकित किया। खबरों के मुताबिक, उनका यह बयान उपराष्ट्रपति चुनाव में INDIA ब्लॉक की विचारधारा को मजबूत करने का प्रयास है। राहुल की भारत जोड़ो यात्रा और हालिया प्रदर्शनों ने सड़क की आवाज को संसद में गूंजने का काम किया है, जिसे रेड्डी ने लोकतंत्र की ताकत बताया। उपराष्ट्रपति चुनाव में यह बयान गठबंधन की एकजुटता और राहुल की भूमिका को उजागर करता है।
