उत्तर प्रदेश: संतकबीरनगर में नर्स की हत्या का सनसनीखेज मामला, अस्पताल संचालक निकला मेडिकल माफिया, पूरी कहानी
संतकबीरनगर, 11 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले में एक निजी अस्पताल में नर्स की हत्या का मामला सामने आया है, जिसने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। इस हत्याकांड में मुख्य आरोपी कोई और नहीं, बल्कि अस्पताल का संचालक रामजी राव है, जिसके बारे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि वह पहले एक मामूली हेल्पर था और धीरे-धीरे मेडिकल माफिया बन गया। मृतक नर्स ममता चौधरी के साथ उसका प्रेम प्रसंग था, जो इस हत्याकांड की वजह बना। पुलिस ने इस मामले में कई साक्ष्य जुटाए हैं, जिसमें सीसीटीवी फुटेज और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट शामिल हैं। आइए, इस पूरी कहानी को विस्तार से जानते हैं।
हत्याकांड का खुलासा
घटना 8 अप्रैल 2025 की रात की है, जब संतकबीरनगर के खलीलाबाद क्षेत्र में स्थित राव नर्सिंग होम में 32 वर्षीय नर्स ममता चौधरी की लाश मिली। शुरुआत में इसे आत्महत्या का मामला माना गया, लेकिन ममता के परिवार ने हत्या का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज की। पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की और अस्पताल के संचालक रामजी राव को हिरासत में लिया।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने इस मामले में नया मोड़ ला दिया। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि ममता के गले पर खरोच के निशान थे और उनकी गले की हड्डियां टूटी हुई थीं, जो गला घोंटने की ओर इशारा करता है। इसके आधार पर पुलिस ने रामजी राव से सख्ती से पूछताछ की, जिसके बाद उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया।

प्रेम प्रसंग और हत्या की वजह
पुलिस पूछताछ में रामजी राव ने बताया कि उसका ममता चौधरी के साथ लंबे समय से प्रेम प्रसंग चल रहा था। दोनों के बीच नजदीकियां तब बढ़ीं, जब ममता ने राव नर्सिंग होम में नर्स के तौर पर काम शुरू किया। हालांकि, हाल के दिनों में उनके रिश्ते में तनाव आ गया था। रामजी ने दावा किया कि ममता उससे शादी का दबाव बना रही थी, जिसे वह टाल रहा था।
8 अप्रैल की रात दोनों के बीच तीखी बहस हुई। रामजी के अनुसार, ममता ने उसे धमकी दी कि वह उनके रिश्ते को सार्वजनिक कर देगी और उसकी पत्नी को सब बता देगी। गुस्से में आकर रामजी ने ममता का गला दबा दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए उसने ममता का शव अस्पताल के एक कमरे में लटका दिया और कर्मचारियों को गुमराह करने की कोशिश की।
हेल्पर से मेडिकल माफिया तक का सफर
इस हत्याकांड ने रामजी राव के अंधेरे अतीत को भी उजागर किया। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि रामजी राव, जो अब राव नर्सिंग होम का संचालक है, कभी एक मामूली हेल्पर हुआ करता था। उसने लगभग 15 साल पहले खलीलाबाद के एक छोटे क्लिनिक में हेल्पर के तौर पर काम शुरू किया था। धीरे-धीरे उसने नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों के बीच अपनी पैठ बनाई और अवैध तरीकों से पैसा कमाना शुरू किया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, रामजी ने फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट और डिग्रियों के जरिए खुद को नर्सिंग होम का संचालक बनाया। उसने न केवल अवैध रूप से अस्पताल चलाया, बल्कि नकली दवाइयां बेचने, फर्जी मेडिकल बिल बनाने, और मरीजों से अधिक वसूली जैसे गैरकानूनी धंधों में भी हाथ आजमाया। स्थानीय लोग उसे “मेडिकल माफिया” के तौर पर जानने लगे थे, क्योंकि वह क्षेत्र में मेडिकल सेवाओं पर एकछत्र राज चलाता था।
सीसीटीवी फुटेज और साक्ष्य
इस मामले में पुलिस को सबसे अहम सबूत अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज से मिला। फुटेज में रामजी राव को रात के समय ममता के साथ अस्पताल के एक कमरे में जाते हुए देखा गया। इसके बाद वह अकेले बाहर निकलता दिखाई दिया। पुलिस ने इस फुटेज को जब्त कर लिया और तकनीकी जांच के लिए भेज दिया। हालांकि, कुछ फुटेज के साथ छेड़छाड़ की आशंका भी जताई जा रही है, जिसकी जांच चल रही है।
पुलिस ने अस्पताल से कुछ अन्य साक्ष्य भी बरामद किए, जिसमें ममता का मोबाइल फोन और उनके कपड़ों पर खून के धब्बे शामिल हैं। ममता के फोन में रामजी के साथ उनकी कई तस्वीरें और बातचीत के स्क्रीनशॉट मिले, जो उनके प्रेम प्रसंग की पुष्टि करते हैं।
परिवार का गुस्सा और समाज में चर्चा
ममता चौधरी के परिवार ने इस हत्याकांड पर गहरा दुख और आक्रोश जताया है। ममता के भाई ने कहा, “मेरी बहन ने मेहनत से अपनी जिंदगी बनाई थी। वह एक नर्स थी, जो लोगों की सेवा करती थी, लेकिन उसका ऐसा अंत होगा, हमने कभी नहीं सोचा। हम चाहते हैं कि रामजी को कड़ी से कड़ी सजा मिले।” परिवार ने यह भी मांग की है कि रामजी के अवैध अस्पताल और उसके गैरकानूनी धंधों की गहन जांच हो।
इस घटना ने संतकबीरनगर और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक चर्चा छेड़ दी है। लोग इस बात से हैरान हैं कि एक हेल्पर कैसे मेडिकल माफिया बन गया और इतने बड़े अपराध को अंजाम दे सका। कई लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि क्षेत्र के सभी निजी अस्पतालों की जांच की जाए ताकि ऐसे फर्जी संचालकों पर लगाम लगाई जा सके।
पुलिस की कार्रवाई और कानूनी प्रक्रिया
पुलिस ने रामजी राव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाने की कोशिश), और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। उसे अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस अब रामजी के अवैध कारोबार की भी जांच कर रही है।
जिलाधिकारी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं कि राव नर्सिंग होम के लाइसेंस और दस्तावेजों की जांच की जाए। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि अस्पताल कई नियमों का उल्लंघन कर रहा था, जिसके आधार पर इसे सील करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
सामाजिक और प्रशासनिक सवाल
यह हत्याकांड कई गंभीर सवाल खड़े करता है। पहला, कैसे एक हेल्पर बिना किसी मेडिकल डिग्री के अस्पताल संचालक बन गया? दूसरा, प्रशासन ने उसके अवैध कारोबार पर पहले कार्रवाई क्यों नहीं की? और तीसरा, क्या निजी अस्पतालों की निगरानी के लिए कोई ठोस तंत्र मौजूद है?
यह मामला उत्तर प्रदेश में निजी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है। ग्रामीण और छोटे शहरों में कई निजी अस्पताल बिना उचित लाइसेंस के चल रहे हैं, जहां मरीजों के साथ धोखाधड़ी और लापरवाही आम बात है। ममता चौधरी की हत्या ने इन मुद्दों को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।
