उत्तर प्रदेश: विदेश भेजने के नाम पर 85 लाख रुपये की ठगी, कई गिरफ्तार- जानिए कैसे खुला पूरा मामला
लखनऊ, 12 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश में विदेश भेजने के नाम पर ठगी का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें ठगों ने लोगों से करीब 85 लाख रुपये लूट लिए। इस मामले में पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है, और जांच में एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। यह घटना उन लोगों के लिए सबक है जो विदेश में नौकरी या बेहतर जीवन के सपने देखकर बिना जांच-पड़ताल के ठगों के जाल में फंस जाते हैं। आइए, जानते हैं कि यह पूरा मामला कैसे सामने आया और ठगों ने क्या-क्या हथकंडे अपनाए।
मामले की शुरुआत: लुभावने वादों का जाल
यह ठगी का मामला लखनऊ और आसपास के इलाकों में सामने आया, जहां कई युवाओं और परिवारों को विदेश में नौकरी या स्थायी निवास (PR) दिलाने का झांसा दिया गया। ठगों ने सोशल मीडिया, फर्जी वेबसाइट्स, और स्थानीय एजेंटों के जरिए लोगों को अपने जाल में फंसाया। उनके विज्ञापनों में कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, और यूरोप जैसे देशों में उच्च वेतन वाली नौकरियों और आसान वीजा प्रक्रिया का दावा किया गया था।
लखनऊ के एक पीड़ित, रमेश कुमार (बदला हुआ नाम), ने बताया कि उसे एक फोन कॉल के जरिए संपर्क किया गया। कॉल करने वाले ने खुद को दिल्ली की एक नामी इमिग्रेशन कंपनी का एजेंट बताया और दावा किया कि वह कनाडा में होटल मैनेजमेंट की नौकरी दिला सकता है। रमेश से शुरुआत में 2 लाख रुपये की मांग की गई, जिसे “प्रोसेसिंग फीस” बताया गया। इसके बाद, अलग-अलग बहानों से उनसे और पैसे मांगे गए, जैसे वीजा फीस, मेडिकल टेस्ट, और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के नाम पर। कुल मिलाकर, रमेश ने 12 लाख रुपये गंवाए, लेकिन उन्हें न तो वीजा मिला और न ही कोई नौकरी।
ऐसे ही कई अन्य पीड़ितों ने ठगों को लाखों रुपये दिए। पुलिस के अनुसार, इस गिरोह ने कम से कम 50 लोगों को निशाना बनाया, और कुल मिलाकर 85 लाख रुपये की ठगी की।

पुलिस की कार्रवाई: कैसे खुला मामला
मामला तब सामने आया जब लखनऊ के गोमती नगर इलाके के एक पीड़ित ने साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की। पीड़ित ने बताया कि उसे फर्जी वीजा और जॉब लेटर भेजे गए, और जब उसने पैसे वापस मांगे तो एजेंट ने संपर्क तोड़ दिया। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की और साइबर क्राइम सेल की मदद से ठगों के नेटवर्क का पता लगाया।
पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर और वेबसाइट्स की जांच की, जिसके जरिए ठग लोगो को लुभाते थे। जांच में पता चला कि यह गिरोह दिल्ली, लखनऊ, और नोएडा से ऑपरेट कर रहा था। पुलिस ने लखनऊ के हजरतगंज और नोएडा के सेक्टर-18 में छापेमारी कर चार मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनके पास से कई लैपटॉप, मोबाइल फोन, फर्जी वीजा दस्तावेज, और बैंक खातों की जानकारी बरामद की गई।
लखनऊ के पुलिस अधीक्षक (साइबर क्राइम) ने बताया, “यह एक संगठित गिरोह था, जो लोगों की विदेश जाने की इच्छा का फायदा उठा रहा था। हमने चार लोगों को गिरफ्तार किया है, और अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है। पीड़ितों से अपील है कि वे अपनी शिकायत दर्ज करें ताकि हम इस नेटवर्क को पूरी तरह खत्म कर सकें।”
पुलिस जांच में ठगों के काम करने के तरीके का भी खुलासा हुआ। यह गिरोह निम्नलिखित हथकंडों का इस्तेमाल करता था:
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लुभावने विज्ञापन: ठग सोशल मीडिया पर फर्जी विज्ञापन चलाते थे, जिनमें विदेश में नौकरी और वीजा की गारंटी दी जाती थी। उनकी वेबसाइट्स को प्रोफेशनल लुक दिया जाता था ताकि लोग भरोसा कर लें।
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फर्जी कॉल सेंटर: दिल्ली और नोएडा में फर्जी कॉल सेंटर्स बनाए गए थे, जहां से लोगो को कॉल कर लुभावने ऑफर दिए जाते थे। कॉल करने वाले अंग्रेजी और हिंदी में बात करते थे और खुद को इमिग्रेशन एक्सपर्ट बताते थे।
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फर्जी दस्तावेज: पीड़ितों को फर्जी जॉब लेटर, वीजा, और मेडिकल सर्टिफिकेट भेजे जाते थे। ये दस्तावेज इतने विश्वसनीय लगते थे कि लोग आसानी से ठगों पर भरोसा कर लेते थे।
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किश्तों में पैसे वसूलना: ठग शुरुआत में छोटी रकम मांगते थे, जैसे प्रोसेसिंग फीस के नाम पर। बाद में वीजा, टिकट, और अन्य खर्चों के नाम पर और पैसे वसूले जाते थे।
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संपर्क तोड़ना: एक बार पूरी रकम लेने के बाद ठग अपने फोन नंबर बंद कर देते थे और कॉल सेंटर को दूसरी जगह शिफ्ट कर लेते थे।
पीड़ितों की आपबीती
इस ठगी के शिकार ज्यादातर मध्यमवर्गीय परिवार और युवा थे, जो विदेश में बेहतर जिंदगी का सपना देख रहे थे। एक अन्य पीड़ित, शालिनी सिंह (बदला हुआ नाम), ने बताया कि उसने ऑस्ट्रेलिया में नर्स की नौकरी के लिए 8 लाख रुपये दिए थे। उसे एक फर्जी जॉब लेटर और वीजा भेजा गया, लेकिन जब वह एंबेसी में वेरिफिकेशन के लिए गई तो सारे दस्तावेज फर्जी निकले। शालिनी ने कहा, “मेरे परिवार ने कर्ज लेकर यह पैसा जुटाया था। अब हम पूरी तरह टूट चुके हैं।”
पुलिस के अनुसार, कई पीड़ित शर्मिंदगी या डर के कारण शिकायत दर्ज नहीं कर रहे हैं। साइबर क्राइम सेल ने लोगों से अपील की है कि वे ऐसी ठगी का शिकार होने पर तुरंत पुलिस को सूचित करें।
पुलिस की सलाह: कैसे बचें ऐसी ठगी से
लखनऊ पुलिस ने लोगों को ऐसी ठगी से बचने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:
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सत्यापन करें: किसी भी इमिग्रेशन एजेंसी या एजेंट से डील करने से पहले उनकी साख की जांच करें। केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एजेंसियों पर भरोसा करें।
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फर्जी वादों से सावधान: अगर कोई आसान वीजा या नौकरी की गारंटी दे रहा है, तो सतर्क हो जाएं। विदेशी वीजा और नौकरी की प्रक्रिया जटिल होती है।
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पैसे देने से पहले जांच: कोई भी पेमेंट करने से पहले दस्तावेजों की सत्यता की पुष्टि करें। एंबेसी या संबंधित देश के ऑफिशियल पोर्टल पर जानकारी लें।
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साइबर क्राइम हेल्पलाइन: ठगी का शिकार होने पर तुरंत 1930 पर कॉल करें या नजदीकी साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज करें।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी और विदेश जाने की चाहत जैसे मुद्दों को फिर से चर्चा में ला दिया है। विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि युवाओं को रोजगार न मिलने के कारण वे ऐसी ठगी का शिकार हो रहे हैं। समाजवादी पार्टी के एक नेता ने कहा, “युवाओं को अगर यहीं रोजगार मिले तो वे ठगों के चक्कर में न पड़ें। सरकार को इस दिशा में काम करना चाहिए।”
वहीं, सत्तारूढ़ पार्टी ने पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना की और कहा कि ठगों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
आगे की जांच
पुलिस अब इस गिरोह के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शनों की जांच कर रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि कुछ फर्जी वेबसाइट्स विदेश से ऑपरेट की जा रही थीं। इसके अलावा, ठगों के बैंक खातों में भारी मात्रा में लेन-देन का पता चला है, जिसकी फॉरेंसिक जांच की जा रही है। पुलिस ने पीड़ितों से अपील की है कि वे आगे आकर अपनी शिकायत दर्ज करें ताकि सभी दोषियों को सजा दी जा सके।
