• April 21, 2025

यूपी: सेवा सुरक्षा बहाली के लिए भरी हुंकार, लखनऊ पहुंचे प्रदेश भर के शिक्षक, बोले- उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं

लखनऊ, 21 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों के हजारों शिक्षकों ने सेवा सुरक्षा की बहाली और उत्पीड़न के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने के लिए आज लखनऊ में जोरदार प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) के बैनर तले प्रदेश भर से आए लगभग 10 हजार शिक्षकों ने इको गार्डन में धरना दिया और विधान भवन का घेराव करने के लिए कूच किया। शिक्षकों ने सरकार पर सेवा सुरक्षा से संबंधित नियमों को कमजोर करने और प्रबंधन द्वारा मनमाने ढंग से कार्रवाई का आरोप लगाया, साथ ही स्पष्ट किया कि अब उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शिक्षकों की मांग: धारा 21, 12 और 18 की बहाली
उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सोहन लाल वर्मा ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम-1982 के तहत धारा 21, 12 और 18 में शिक्षकों की सेवा सुरक्षा, प्रमोशन और अन्य अधिकार सुनिश्चित थे। लेकिन उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 में इन प्रावधानों को हटा दिया गया, जिससे शिक्षकों का उत्पीड़न बढ़ गया है। प्रबंधन द्वारा मनमाने ढंग से निलंबन और बर्खास्तगी की कार्रवाइयां हो रही हैं, और दो साल से एडेड कॉलेजों में प्रमोशन रुके हुए हैं। वर्मा ने मांग की कि इन धाराओं को नए आयोग की नियमावली में शामिल किया जाए।
इको गार्डन से विधान भवन तक प्रदर्शन
सुबह से ही इको गार्डन में शिक्षकों का जमावड़ा शुरू हो गया था। रविवार शाम से ही प्रदेश के विभिन्न जिलों से शिक्षक लखनऊ पहुंचने लगे थे। संगठन ने धरना स्थल पर होर्डिंग्स और बैनर लगाकर आंदोलन की तैयारियां पूरी की थीं। धरने के बाद शिक्षक पैदल विधान भवन की ओर बढ़े, जहां पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। शिक्षकों ने नारेबाजी करते हुए सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
शिक्षकों का गुस्सा: “अब और सहन नहीं”
प्रदर्शन में शामिल शिक्षकों ने कहा कि सरकार उनकी मांगों पर लगातार अनदेखी कर रही है। एक शिक्षक ने कहा, “हमारी सेवा सुरक्षा छीन ली गई है। प्रबंधन बिना किसी ठोस कारण के हमें निलंबित या बर्खास्त कर रहा है। प्रमोशन रुके हुए हैं, और हमारी आवाज दबाई जा रही है। अब और उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं करेंगे।” शिक्षकों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
शासन के साथ वार्ता विफल
उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ ने बताया कि रविवार को माध्यमिक शिक्षा सचिव और निदेशक के साथ उनकी वार्ता विफल रही, क्योंकि सरकार की ओर से कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया गया। संगठन ने इसे शिक्षक समुदाय के साथ धोखा करार देते हुए 21 अप्रैल के धरने को और बड़े पैमाने पर आयोजित करने का फैसला किया।
सरकार का रुख और विपक्ष का समर्थन
उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने पहले कहा था कि शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 विधान परिषद से पारित हो चुका है, और उस समय इन मुद्दों को उठाना चाहिए था। हालांकि, विधान परिषद के सभापति ने इसे गैर-जिम्मेदाराना बयान करार देते हुए दो महीने में नियमावली में बदलाव के निर्देश दिए थे। लेकिन शिक्षकों का कहना है कि अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी ने शिक्षकों के इस आंदोलन का समर्थन किया है। सपा नेता अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर सरकार की नीतियों को शिक्षक विरोधी करार दिया और मांग की कि शिक्षकों की सेवा सुरक्षा बहाल की जाए।
क्या हैं शिक्षकों की अन्य मांगें?
सेवा सुरक्षा के अलावा, शिक्षक पुरानी पेंशन योजना की बहाली, तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने, वित्तविहीन शिक्षकों को सम्मानजनक मानदेय, और केंद्रीय कर्मचारियों की तरह आवासीय भत्ता देने की मांग भी उठा रहे हैं। संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो 2 दिसंबर से शिक्षण कार्य बाधित किया जाएगा और जेल भरो आंदोलन शुरू होगा।
प्रशासन की नजर, पुलिस मुस्तैद
लखनऊ पुलिस ने धरना स्थल और विधान भवन के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। भारी पुलिस बल की तैनाती के बावजूद शिक्षकों ने शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखी। प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया था, लेकिन कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
आगे की रणनीति
उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ ने कहा कि यह धरना केवल शुरुआत है। अगर सरकार ने जल्द उनकी मांगें नहीं मानीं, तो वे全省 स्तर पर और बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे। संगठन ने शिक्षकों से एकजुट रहने और अपनी ताकत दिखाने की अपील की है।

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